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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    किसी देश के परमाणु कार्यक्रम के रणनीतिक, पर्यावरणीय एवं अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थों पर चर्चा करते हुए वैश्विक सुरक्षा एवं कूटनीति पर इसके प्रभाव की चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    17 Apr, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परमाणु कार्यक्रम का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • किसी राष्ट्र के परमाणु कार्यक्रम के रणनीतिक, पर्यावरणीय एवं अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थों पर चर्चा कीजिये।
    • वैश्विक सुरक्षा एवं कूटनीति पर इसके प्रभाव का विश्लेषण कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    परमाणु कार्यक्रम का आशय परमाणु क्षमताओं को विकसित करने के क्रम में सरकार द्वारा की जाने वाली पहल है, जिसका उद्देश्य शांतिपूर्ण तरीके से परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के साथ परमाणु हथियार बनाना हो सकता है। इन कार्यक्रमों में परमाणु रिएक्टरों सहित परमाणु प्रौद्योगिकी का विकास, उत्पादन और उपयोग शामिल है।

    मुख्य भाग:

    रणनीतिक निहितार्थ:

    • निवारण और सुरक्षा:
      • परमाणु कार्यक्रम संभावित विरोधियों के खिलाफ निवारक के रूप में कार्य करते हैं, क्योंकि परमाणु क्षमता रखने से देश की सुरक्षा बढ़ती है।
      • पारस्परिक रूप से सुनिश्चित विनाश (MAD) की अवधारणा बड़े पैमाने पर संघर्षों को रोकने में भूमिका निभाती है।
      • परमाणु हथियार रक्षात्मक एवं आक्रामक दोनों स्थितियों के लिये विकल्प प्रदान करके देश की सैन्य रणनीति में योगदान करते हैं।
    • हथियारों की होड़ और प्रसार:
      • परमाणु क्षमताओं को हासिल करने से क्षेत्रीय या वैश्विक स्तर पर हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है, जिससे तनाव एवं अस्थिरता बढ़ सकती है।
      • इसके प्रसार संबंधी चिंताएँ तब उत्पन्न होती हैं जब अधिक राष्ट्र परमाणु हथियार हासिल कर लेते हैं, जिससे संभावित रूप से वैश्विक अप्रसार प्रयास कमज़ोर हो जाते हैं।
      • परमाणु प्रसार से मौजूदा संघर्षों के बढ़ने और परमाणु आतंकवाद की संभावना बढ़ने का जोखिम रहता है।

    पर्यावरणीय निहितार्थ:

    • परमाणु सुरक्षा और दुर्घटनाएँ:
      • परमाणु ऊर्जा के उत्पादन में अंतर्निहित जोखिम शामिल हैं, जिसमें चरनोबिल और फुकुशिमा जैसी दुर्घटनाओं की संभावना भी शामिल है, जिसके गंभीर पर्यावरणीय परिणाम होते हैं।
      • परमाणु दुर्घटनाओं के बाद रेडियोधर्मी संदूषण वातावरण में दशकों तक बना रह सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र तथा मानव स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
    • अपशिष्ट प्रबंधन:
      • परमाणु अपशिष्ट का निपटान, दीर्घकालिक पर्यावरणीय चुनौतियाँ प्रस्तुत करता है, क्योंकि रेडियोधर्मी पदार्थ हज़ारों वर्षों तक खतरनाक बने रहते हैं।
      • अपर्याप्त अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं से मृदा और जल के साथ वायु प्रदूषित हो सकती है, जिससे मानव आबादी तथा पारिस्थितिकी तंत्र दोनों के लिये खतरा उत्पन्न हो सकता है।

    अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थ:

    • राजनयिक संबंध:
      • परमाणु क्षमता वाले राष्ट्र अक्सर महत्त्वपूर्ण राजनयिक प्रभाव डालते हैं, जैसा कि वैश्विक भू-राजनीति को आकार देने में परमाणु शक्तियों की भूमिका से पता चलता है।
      • परमाणु प्रसार से राजनयिक संबंधों में तनाव आ सकता है, जिससे गैर-परमाणु देशों के साथ संबंधित पड़ोसी देशों के बीच चिंताएँ बढ़ सकती हैं।
        • उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर निंदा होने के साथ इससे कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव में वृद्धि हुई है।
        • कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद, उत्तर कोरिया के परमाणु प्रसार से क्षेत्रीय स्थिरता को चुनौती मिलने के साथ परमाणु अप्रसार मानदंडों की अवहेलना हुई है।
    • शस्त्र नियंत्रण और अप्रसार:
      • परमाणु अप्रसार संधि (NPT) जैसी अंतर्राष्ट्रीय संधियों का उद्देश्य परमाणु हथियारों के प्रसार पर अंकुश लगाना तथा निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना है।
      • अप्रसार प्रयासों के आलोक में सुरक्षा उपायों को लागू करने तथा परमाणु सामग्रियों के अवैध हस्तांतरण को रोकने के लिये राष्ट्रों के बीच सहयोग की आवश्यकता होती है।
    • वैश्विक सुरक्षा पहल:
      • परमाणु हथियारों के प्रसार से उत्पन्न जोखिमों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिये एक मज़बूत वैश्विक सुरक्षा पहल की आवश्यकता होती है।
      • अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) जैसी संस्थाएँ परमाणु गतिविधियों की निगरानी करने तथा शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
        • ईरान का परमाणु कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय जाँच का विषय रहा है, जिसमें उसके उद्देश्य तथा परमाणु समझौतों के अनुपालन को लेकर चिंताएँ हैं।
        • संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) जैसे पटलों का उद्देश्य इन चिंताओं को दूर करना तथा ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना है।

    निष्कर्ष:

    किसी देश के परमाणु कार्यक्रम के रणनीतिक विचारों से लेकर पर्यावरणीय चिंताओं एवं अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता तक बहुआयामी निहितार्थ होते हैं। इन आयामों की व्यापक जाँच करके नीति निर्माता परमाणु प्रसार से उत्पन्न जटिल चुनौतियों से निपटने के साथ वैश्विक सुरक्षा एवं कूटनीति को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य कर सकते हैं।

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