भारत में कृषि उत्पादकता, आय वितरण तथा खाद्य सुरक्षा पर कृषि सब्सिडी के प्रभाव की चर्चा कीजिये। इसकी बेहतर प्रभावशीलता हेतु सुझाव दीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- कृषि सब्सिडी के बारे में बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत में कृषि उत्पादकता, आय वितरण तथा खाद्य सुरक्षा पर कृषि सब्सिडी के प्रभाव की चर्चा कीजिये।
- कृषि सब्सिडी की बेहतर प्रभावशीलता हेतु सुझाव दीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
कृषि सब्सिडी एक प्रकार की वित्तीय सहायता या प्रोत्साहन है जिसे सरकार द्वारा किसानों एवं कृषि उत्पादकों को कृषि कार्यों का समर्थन करने, कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और कृषि बाज़ारों को स्थिर करने हेतु प्रदान की जाती है। ये सब्सिडी विभिन्न रूपों में हो सकती है, जिसमें प्रत्यक्ष भुगतान, मूल्य समर्थन, सब्सिडी वाले ऋण, फसल बीमा तथा कृषि बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु अनुदान देना शामिल हैं।
मुख्य भाग:
- कृषि उत्पादकता पर प्रभाव:
- कृषि सब्सिडी द्वारा किसानों को बीज, उर्वरक तथा मशीनरी जैसे इनपुट हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करके कृषि उत्पादकता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है।
- यह किसानों को आधुनिक कृषि तकनीक अपनाने में सक्षम बनाती है, जिससे प्रति हेक्टेयर पैदावार में वृद्धि होती है। उदाहरण के लिये, ड्रिप सिंचाई प्रणालियों हेतु सब्सिडी से जल की कमी वाले क्षेत्रों में किसानों को जल संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने में मदद मिली है।
- इसके अलावा, कृषि मशीनरी एवं उपकरणों पर सब्सिडी से मशीनीकरण को प्रोत्साहन मिलने के साथ शारीरिक श्रम पर निर्भरता में कमी आई है जिससे कृषि कार्यों में दक्षता को बढ़ावा मिला है।
- आय वितरण पर प्रभाव:
- कृषि सब्सिडी का लक्ष्य छोटे तथा सीमांत किसानों को समर्थन देना है जिससे आय असंतुलन को कम किया जा सके। बड़े किसानों की संसाधनों तथा बुनियादी ढाँचे तक अधिक पहुँच होने के कारण उन्हें सब्सिडी से अधिक लाभ होता है।
- इससे कृषि क्षेत्र में आय असमानता बढ़ जाती है, क्योंकि छोटे किसानों के पास सब्सिडी का लाभ उठाने की समान क्षमता नहीं होती है।
- उदाहरण के लिये, शांता कुमार समिति की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 6% किसान ही MSP योजना से लाभान्वित होते हैं।
- इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में सब्सिडी के वितरण से भी आय वितरण में असमानताओं को बढ़ावा मिलता है।
- बेहतर बुनियादी ढाँचे तथा बाज़ार पहुँच वाले संपन्न क्षेत्रों को सब्सिडी से अधिक लाभ मिलता है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों के बीच आय का अंतर बढ़ जाता है।
- खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव:
- कृषि सब्सिडी द्वारा खाद्य कीमतों को स्थिर करने एवं कृषि उत्पादन को प्रोत्साहित करने के माध्यम से खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जाती है।
- चावल और गेहूँ जैसी आवश्यक फसलों पर सब्सिडी से किसानों को फसलों की कृषि के लिये प्रोत्साहन मिलता है, जिनकी भारतीय आहार में प्रमुख भूमिका है।
- इससे घरेलू मांग को पूरा करने के लिये पर्याप्त खाद्य भंडार बनाए रखने (खासकर कमी या अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव के दौरान) में मदद मिलती है।
- इसके अतिरिक्त उर्वरकों एवं अन्य आदानों पर सब्सिडी से किसानों की उत्पादन लागत में कमी आती है, जिससे उपभोक्ताओं के लिये खाद्य कीमतें किफायती बनती हैं।
बेहतर प्रभावशीलता हेतु सुधार:
- लक्षित सब्सिडी:
- उन सीमांत किसानों के लिये अधिक प्रभावी ढंग से सब्सिडी का लाभ पहुँचाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, जिन्हें समर्थन की सबसे अधिक आवश्यकता है।
- इसे आधार-आधरित पहचान एवं प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण तंत्र के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सब्सिडी लाभार्थियों तक पहुँचे।
- सब्सिडी का विविधीकरण:
- केवल इनपुट सब्सिडी पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, कृषि बुनियादी ढाँचे, अनुसंधान एवं विस्तार सेवाओं हेतु सहायता प्रदान करने की दिशा में बदलाव लाना चाहिये।
- इससे किसानों को सतत् प्रथाओं को अपनाने एवं अपने आय स्रोतों में विविधता लाने के साथ जलवायु परिवर्तन और बाज़ार की अस्थिरता से संबंधित जोखिमों को कम करने में मदद मिलेगी।
- PM-KISAN: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना द्वारा छोटे और सीमांत किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान की जाती है।
- कृषि पारिस्थितिकी को बढ़ावा:
- कृषि प्रणालियों में पारिस्थितिकी सिद्धांतों के एकीकरण पर बल देने वाले कृषि-पारिस्थितिकी दृष्टिकोण को बढ़ावा देना चाहिये।
- इसमें जैविक कृषि, फसल विविधीकरण के साथ संरक्षण कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देना शामिल है, जिससे न केवल उत्पादकता को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता एवं अनुकूलन में भी योगदान मिलेगा।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: इस योजना के तहत उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के साथ उत्पादकता में सुधार के लिये मृदा परीक्षण हेतु सब्सिडी प्रदान करना शामिल है।
- बाज़ार सुधार:
- बाज़ार के बुनियादी ढाँचे में सुधार तथा बेहतर मूल्य प्रदान करने से किसानों की सब्सिडी पर निर्भरता कम हो सकती है।
- किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) की स्थापना को प्रोत्साहित करने तथा कृषि विपणन संबंधी बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने से किसानों को प्रत्यक्ष रूप से बाज़ारों तक पहुँचने में सक्षम बनाने के साथ बिचौलियों को कम किया जा सकता है।
- अनुसंधान एवं विकास में निवेश:
- उच्च उपज देने वाली तथा जलवायु-अनुकूल फसल किस्मों को विकसित करने के लिये कृषि अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश बढ़ाना आवश्यक है।
- इससे फसलों की उत्पादकता के साथ जैविक एवं अजैविक रूप से इनके अनुकूलन को बढ़ावा देने के माध्यम से सब्सिडी पर निर्भरता कम हो जाएगी।
निष्कर्ष:
कृषि सब्सिडी द्वारा भारत में कृषि विकास को समर्थन देने के साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई गई है लेकिन आय असमानता एवं पर्यावरणीय स्थिरता संबंधी चुनौतियों का समाधान करने हेतु सुधारों की आवश्यकता है। लक्षित और विविध सब्सिडी योजनाओं को लागू करने, कृषि पारिस्थितिकी प्रथाओं को बढ़ावा देने तथा बाज़ार सुधारों के साथ अनुसंधान एवं विकास में निवेश करके, भारत में समावेशी व सतत् कृषि विकास को बढ़ावा देते हुए कृषि सब्सिडी की प्रभावशीलता को बढ़ावा दिया जा सकता है।