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प्रश्न :
उभरते वैश्विक जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) की भविष्य की संभावनाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)
03 Apr, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के बारे में बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) की भविष्य की संभावनाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- उभरते वैश्विक जलवायु परिवर्तन परिदृश्यों के संदर्भ में उपर्युक्त पहलुओं पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) की स्थापना वर्ष 1992 में जलवायु प्रणाली में नकारात्मक मानवीय हस्तक्षेप को रोकने तथा वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों की सांद्रता को स्थिर बनाए रखने के उद्देश्य से की गई थी।
मुख्य भाग:
UNFCCC के समक्ष चुनौतियाँ:
- अंतर्राष्ट्रीय वार्ता में जटिलता:
- इसके विमर्श में अलग-अलग हितों और प्राथमिकताओं वाले विविध हितधारक शामिल होते हैं, जिससे जटिलता के साथ प्रक्रियाएँ लंबी हो जाती हैं।
- विभिन्न आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक संदर्भों वाले लगभग 200 सदस्य देशों के बीच आम सहमति हासिल करना चुनौतीपूर्ण है।
- वर्तमान प्रतिबद्धताओं की सीमित प्रभावकारिता:
- UNFCCC के तहत की गई प्रतिबद्धताएँ जैसे कि पेरिस समझौता (ग्लोबल वार्मिंग को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना) पर्याप्त नहीं है।
- जैसा कि उत्सर्जन अंतराल रिपोर्ट में बताया गया है, कई देश अपने उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों को पूरा नहीं कर रहे हैं, जिससे समझौते की प्रभावशीलता कम हो रही है।
- प्रवर्तन तंत्र का अभाव:
- UNFCCC के तहत मज़बूत प्रवर्तन तंत्र का अभाव है और यह स्वैच्छिक अनुपालन पर निर्भर है।
- इससे कुछ देश ज़िम्मेदारी से बचने के साथ जलवायु कार्रवाई पर अल्पकालिक आर्थिक हितों को प्राथमिकता देते हैं।
- जलवायु कार्रवाई का वित्तपोषण:
- जलवायु परिवर्तन अनुकूलन एवं शमन प्रयासों के लिये अपर्याप्त धन से इस दिशा में प्रगति (विशेष रूप से विकासशील देशों) में बाधा आती है।
- विकसित देशों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं के बावजूद, ग्रीन क्लाइमेट फंड जैसे पर्याप्त वित्तीय संसाधन जुटाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
सुधार हेतु अवसर:
- जलवायु विज्ञान और प्रौद्योगिकी में प्रगति:
- जलवायु विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और संभावित शमन रणनीतियों की बेहतर समझ प्रदान करती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और कार्बन कैप्चर एवं भंडारण जैसे- तकनीकी नवाचार, उत्सर्जन को कम करने के लिये समाधान प्रदान करते हैं।
- सार्वजनिक जागरूकता और सक्रियता बढ़ाना:
- जलवायु परिवर्तन के बारे में बढ़ती जन जागरूकता और चिंता सरकारों एवं व्यवसायों पर कार्रवाई करने का दबाव डाल रही है।
- ज़मीनी स्तर के आंदोलन, युवा सक्रियता और फ्राईडेज़ फॉर फ्यूचर जैसी पहल जलवायु कार्रवाई के लिये गति बढ़ा रही हैं।
- सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ जलवायु कार्रवाई का एकीकरण:
- एसडीजी में उल्लिखित व्यापक विकास उद्देश्यों के साथ जलवायु कार्रवाई को संरेखित करने से हितधारकों की एक विस्तृत शृंखला से समर्थन प्राप्त हो सकता है।
- जलवायु कार्रवाई के सह-लाभ, जैसे- बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य, जैवविविधता संरक्षण और गरीबी में कमी, भागीदारी को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
- वैश्विक सहयोग और भागीदारी:
- सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज और निजी क्षेत्र के बीच बेहतर सहयोग सामूहिक कार्रवाई को सुविधाजनक बना सकता है।
- क्लाइमेट एक्शन समिट और सीओपी सम्मेलन जैसी पहल बातचीत, ज्ञान-साझाकरण एवं साझेदारी के लिये मंच प्रदान करती हैं।
- हरित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन:
- स्वच्छ ऊर्जा, सतत् बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकियों में निवेश को बढ़ावा देने से उत्सर्जन को कम करते हुए आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
- हरित वित्तपोषण तंत्र (जैसे- कार्बन मूल्य निर्धारण एवं हरित बॉण्ड) से जलवायु-अनुकूलन परियोजनाओं में निवेश को प्रोत्साहन मिल सकता है।
निष्कर्ष:
वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने में UNFCCC की भविष्य की संभावनाएँ, चुनौतियों का समाधान करने तथा अवसरों का लाभ उठाने की क्षमता पर निर्भर करती हैं। अंतर्राष्ट्रीय वार्ता की जटिलताएँ तथा वर्तमान प्रतिबद्धताओं की अपर्याप्तता से इसमें कुछ बाधाएँ आती हैं लेकिन जलवायु विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में प्रगति, लोक जागरूकता एवं सक्रियता में वृद्धि तथा सतत् विकास लक्ष्यों के साथ इसके एकीकरण से वैश्विक सहयोग और हरित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन हेतु प्रगति का मार्ग प्रशस्त होता है।
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