फ्राँसीसी क्रांति का वैश्विक शासन और सामाजिक पुनर्गठन पर दीर्घकालिक महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये, फ्राँसीसी क्रांति के अग्रणी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक कारकों की जाँच कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- फ्राँसीसी क्रांति का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- फ्राँसीसी क्रांति के लिये अग्रणी सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिये।
- वैश्विक शासन एवं सामाजिक पुनर्गठन के लिये इसके दीर्घकालिक महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
फ्राँसीसी क्रांति (1789-1799) विश्व इतिहास में एक ऐतिहासिक क्षण था, जो सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक उथल-पुथल का चरण था। यह उन कारकों की जटिल परस्पर क्रिया से प्रेरित था जिनका वैश्विक शासन तथा सामाजिक पुनर्गठन पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा था।
मुख्य भाग:
सामाजिक कारक:
- सामाजिक असमानता: फ्राँसीसी समाज तीन संप्रदायों में विभाजित था, जिसमें पादरी और कुलीन लोगों को विशेषाधिकार प्राप्त थे, जबकि आम लोगों को उत्पीड़न तथा गरीबी का सामना करना पड़ रहा था।
- बौद्धिक ज्ञानोदय: स्वतंत्रता, समानता एवं भाईचारे की वकालत करने वाले प्रबुद्ध विचारों ने पारंपरिक मान्यताओं को चुनौती दी तथा राजशाही और चर्च के अधिकार पर सवाल उठाया।
- राजशाही के प्रति नाराज़गी: लुई XVI के तहत पूर्ण राजशाही को दमनकारी एवं आम लोगों की ज़रूरतों के खिलाफ माना जाता था।
- अमेरिकी क्रांति से प्रेरणा: ब्रिटिश शासन के खिलाफ सफल अमेरिकी क्रांति (1775-1783) ने फ्राँसीसियों को राजशाही शासन से मुक्ति पाने के लिये प्रेरित किया।
राजनीतिक कारक:
- वित्तीय कुप्रबंधन: फ्राँसीसी राजशाही के वित्तीय कुप्रबंधन (जिसमें युद्धों पर अत्यधिक खर्च शामिल था) के कारण आर्थिक संकट पैदा हो गया।
- एस्टेट-जनरल की विफलता: वर्ष 1789 में बुलाई गई एस्टेट-जनरल, तीसरे एस्टेट की शिकायतों को हल करने में विफल रही, जिसके कारण नेशनल असेंबली का गठन हुआ।
- नेशनल असेंबली का गठन: तीसरे एस्टेट का प्रतिनिधित्व करने वाली नेशनल असेंबली ने क्रांति की शुरुआत करते हुए खुद को फ्राँस की वैध सरकार घोषित किया।
आर्थिक कारक:
- फसल का खराब होना: 1780 के दशक के अंत में फसल के खराब होने के कारण भोजन की कमी हो गई तथा कीमतें बढ़ गईं, जिससे आम लोगों की स्थिति काफी नाज़ुक हो गई।
- कराधान प्रणाली: इससे आम लोगों पर कर का बोझ बढ़ गया, जबकि पादरी एवं कुलीन वर्ग को इससे छूट प्राप्त थी, जिससे लोगों में नाराज़गी और असंतोष को बढ़ावा मिला।
- पूंजीपति वर्ग की आर्थिक आकांक्षाएँ: पूंजीपति वर्ग (जिसमें धनी व्यापारी और पेशेवर शामिल थे) ने सामंती व्यवस्था को चुनौती देते हुए अधिक राजनीतिक शक्ति एवं आर्थिक अवसरों को पाने का प्रयास किया।
दीर्घकालिक महत्त्व :
- शासन का लोकतंत्रीकरण: फ्राँसीसी क्रांति ने आधुनिक लोकतांत्रिक सिद्धांतों एवं संस्थानों के लिये आधार तैयार करते हुए, पूर्ण राजतंत्र से प्रतिनिधिक लोकतंत्र में परिवर्तन को उत्प्रेरित किया।
- राष्ट्रवाद और नागरिकता: इस क्रांति ने राष्ट्रीय पहचान एवं नागरिकता की भावना को बढ़ावा दिया, जिससे राजशाही या स्थानीय प्रमुखों के प्रति पारंपरिक निष्ठा के इतर, विश्व भर में राष्ट्रवाद के उदय में योगदान मिला।
- मानव अधिकार और सामाजिक न्याय: इस क्रांति के दौरान मानव और नागरिक अधिकारों की घोषणा से मानव अधिकारों एवं सामाजिक समानता के सिद्धांत को बल मिला जिसका प्रभाव स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों के लिये होने वाले बाद के आंदोलनों पर पड़ा।
- वैश्विक शासन पर प्रभाव: फ्राँसीसी क्रांति ने लैटिन अमेरिका एवं कैरेबियन सहित विश्व के अन्य हिस्सों में क्रांतिकारी आंदोलनों को प्रेरित किया, जिससे औपनिवेशिक शासन को उखाड़ फेंकने की प्रेरणा मिली।
- सामाजिक पुनर्गठन: सामंती विशेषाधिकारों के उन्मूलन एवं भूमि के पुनर्वितरण ने सामाजिक परिदृश्य को मौलिक रूप से बदल दिया, इससे आधुनिक पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं एवं सामाजिक गतिशीलता का मार्ग प्रशस्त हुआ।
निष्कर्ष:
फ्राँसीसी क्रांति सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक कारकों के संयोजन से प्रेरित एक जटिल घटना थी। इसका दीर्घकालिक महत्त्व वैश्विक शासन, प्रेरक क्रांतिकारी आंदोलनों एवं सामाजिक पुनर्गठन पर इसके प्रभाव में निहित है। यह क्रांति परिवर्तन लाने तथा इतिहास की दिशा को आकार देने के क्रम में लोकप्रिय आंदोलनों की शक्ति की याद दिलाती है।