संविधान की 9वीं अनुसूची न्यायपालिका पर कार्यपालिका द्वारा नियंत्रण स्थापित करने का माध्यम बन गई है। परीक्षण कीजिये।
09 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
प्रश्न-विच्छेद
हल करने का दृष्टिकोण
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अनुसूची 9 में डाले गए कानूनों को अनुच्छेद 31 B के तहत संरक्षण प्राप्त हो जाता है जिससे उन्हें किसी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती। यह अनुसूची प्रथम संविधान संशोधन, 1951 के तहत संविधान में जोड़ी गई।
1951 में केंद्र सरकार द्वारा किये गये भूमि सुधारों को मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की अदालतों में चुनौती दी गई, जिसमें बिहार में इस कानून को अवैध माना गया। इस विषम स्थिति से बचने और सुधारों को जारी रखने के लिये सरकार द्वारा संविधान में संशोधन कर इस अनुसूची का प्रावधान किया गया ताकि उसके द्वारा किये गए भूमि सुधारों को अदालत में चुनौती न दी जा सके। वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एससी/एसटी अधिनियम के प्रावधान ‘तुरंत गिरफ्तारी’ पर रोक लगाने के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिये सरकार द्वारा इस अधिनियम को 9वीं अनुसूची में डालने की तैयारी की जा रही है न्यायपालिका और कार्यपालिका के मध्य जारी गतिरोध के संदर्भ में सरकार के इस कदम को न्यायपालिका को नियंत्रित करने के रूप में देखा जा सकता है। परंतु 9वीं अनुसूची के विषयों पर भी न्यायालय को न्यायिक समीक्षा का अधिकार है, यदि वे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
वस्तुतः 11 जनवरी, 2007 को सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय संविधान पीठ के एक निर्णय द्वारा यह स्थापित किया गया कि 9वीं अनुसूची में शामिल किसी भी कानून को इस आधार पर चुनौती दी जा सकती है कि वह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इससे पहले इस अनुसूची में शामिल कानूनों की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती थी।
अतः 9वीं अनुसूची को कार्यपालिका द्वारा न्यायपालिका पर नियंत्रण स्थापित करने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये, क्योंकि इस अनुसूची के विषय भी न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर नहीं है।