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प्रश्न :
हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOFs) की संवेदनशीलता को बढ़ाने वाले कारकों का परीक्षण करते हुए इससे संबंधित जोखिमों को कम करने हेतु प्रभावी रणनीतियाँ बताइये। (250 शब्द)
04 Mar, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड्स (GLOF) का संक्षिप्त परिचय लिखिये।
- उन कारकों को बताइये, जो हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) की संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं।
- इससे संबंधित जोखिमों को कम करने हेतु रणनीतियाँ बताइये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) एक हिम झील से जल के आकस्मिक निर्गमन को संदर्भित करता है, जो आमतौर पर एक प्राकृतिक बाँध के टूटने या ढहने के कारण होता है, जैसे कि मोरैन या हिम अवरोध, जो झील के जल को रोकता है। इसरो के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने हिमालयी नदी घाटियों के लिये एक हिमनद झील एटलस जारी किया, जिसने क्षेत्र में 28,000 से अधिक हिमनद झीलों की पहचान की।
मुख्य भाग:
- वे कारक जो हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) से आने वाली बाढ़ की संवेदनशीलता को बढ़ाते हैं:
- ग्लेशियर का खिसकना: जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय के ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं, जिससे हिमनद झीलों का निर्माण हो रहा है। जैसे-जैसे ग्लेशियर पीछे हटते हैं, जल की मात्रा में वृद्धि होती है, जिससे GLOF का संकट बढ़ जाता है।
- भू-वैज्ञानिक भेद्यता: हिमालय क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय है, जिसमें भूकंप और भूस्खलन की संभावना रहती है। भूकंपीय घटनाएँ मोरैन बाँधों को अस्थिर करके या भूस्खलन का कारण बनकर GLOF को ट्रिगर कर सकती हैं जो नदी घाटियों को अवरुद्ध करती हैं और हिमनद झीलों के लिये अस्थायी बाधाएँ उत्पन्न करती हैं।
- खड़ा भू-भाग और उच्च वर्षा: हिमालय का उत्खात भूभाग, उच्च वर्षा दर के साथ मिलकर,GLOF के दौरान जल की गति को तीव्र कर देता है, जिससे नीचे की ओर बाढ़ की विनाशकारी शक्ति बढ़ जाती है।
- उच्च भेद्यता गुणांक: इन झीलों के तटबंधों में ग्लेशियर मोरैन, चट्टानों, बोल्डर, मृदा और हिम के सुस्त जमाव होते हैं। चूँकि ये तटबंध ठीक से संकुचित नहीं हैं, इसलिये इसमें जोखिम की संभावना अधिक है।
- मानवीय गतिविधियाँ: हिमालयी क्षेत्र में वनाच्छादन, बुनियादी ढाँचे का विकास और खनन गतिविधियाँ ढलानों को अस्थिर करके, नदी के मार्गों को परिवर्तित करके तथा प्राकृतिक जल निकासी मार्ग को बाधित करके GLOF के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
GLOF आपदा को कम करने के लिये कुछ उपाय किये जा सकते हैं:
- निगरानी और डेटा संग्रह: संवेदनशील ग्लेशियर झीलों के तटों के पास मौसम संबंधी घटनाओं की गहन निगरानी एक तत्काल आवश्यकता है। डेटा को वेधशालाओं में एकत्र किया जाना चाहिये और एक केंद्रीकृत कार्यालय को सूचित किया जाना चाहिये। हिमनद झीलों के व्यवहार का पूर्वानुमान लगाने और लोगों को सचेत करने के लिये इसे वास्तविक समय में संसाधित किया जाना चाहिये।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: उपग्रहों और ड्रोनों द्वारा संवेदनशील ग्लेशियर झीलों की नियमित निगरानी के लिये एक राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिये। यह तकनीक भू-आधारित वेधशालाओं को पूरक कर सकती है तथा GLOF की समग्र समझ और भविष्यवाणी को बढ़ा सकती है।
- संशोधित सुरक्षा मानक: GLOF से बढ़ते खतरों को देखते हुए, पर्वतीय क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के लिये सुरक्षा मानकों को संशोधित किया जाना चाहिये। इसमें बाँध, पुल और राजमार्ग जैसी परियोजनाएँ शामिल हैं। ऐसी परियोजनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये गुणवत्ता नियंत्रण उपाय कड़े होने चाहिये।
- निर्माण का विनियमन: पहाड़ों में बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं - बाँध, पुल और राजमार्ग को कड़े गुणवत्ता नियंत्रण उपायों के अधीन किया जाना चाहिये। पहाड़ी क्षेत्रों में GLOF और अन्य बाढ़ों से पता चला है कि नदियों के नज़दीक बनी इमारतें सबसे पहले एवं सबसे ज़्यादा प्रभावित हुई हैं।
- व्यापक जोखिम मूल्यांकन: हिमालय क्षेत्र को एक व्यापक जोखिम मूल्यांकन की आवश्यकता है, जो अनुमानित तापमान वृद्धि, वर्षा पैटर्न में परिवर्तन और भूमि-उपयोग/आवरण परिवर्तन को ध्यान में रखे। इस मूल्यांकन से आपदा जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियों की जानकारी मिलनी चाहिये।
- पुनर्वनीकरण और वाटरशेड प्रबंधन: हिमालयी क्षेत्र में प्राकृतिक वनस्पति आवरण की रक्षा एवं पुनर्स्थापना से ढलानों को स्थिर करने, मृदा अपरदन को कम करने और जल प्रवाह को विनियमित करने में मदद मिल सकती है, जिससे GLOF के जोखिम को कम किया जा सकता है तथा समग्र वाटरशेड के लचीलेपन को बढ़ाया जा सकता है।
- सामुदायिक सहभागिता और क्षमता निर्माण: जागरूकता अभियानों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों एवं भागीदारी योजना पहलों के माध्यम से GLOF जोखिम कम करने के प्रयासों में स्थानीय समुदायों को शामिल करने से सामुदायिक लचीलेपन को बढ़ावा मिल सकता है और निवासियों को अपनी तथा अपनी आजीविका की रक्षा के लिये सक्रिय उपाय करने के लिये सशक्त बनाया जा सकता है।
निष्कर्ष:
वैज्ञानिक ज्ञान, सामुदायिक जुड़ाव और सीमा पार सहयोग को एकीकृत करने वाले समग्र दृष्टिकोण को अपनाकर, हिमालय क्षेत्र की GLOF के प्रति संवेदनशीलता को कम करना तथा जलवायु से संबंधित खतरों के प्रति लचीलापन बढ़ाना संभव है।
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