अल नीनो और ला नीना जैसी घटनाओं से संबंधित अवधारणाएँ क्या हैं? ये घटनाएँ भारत में मानसून तथा वायु की गुणवत्ता को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अल नीनो और ला नीना घटनाओं का संक्षिप्त परिचय लिखिये।
- भारत में मानसून एवं वायु गुणवत्ता पर इन घटनाओं के प्रभाव बताइये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
अल नीनो और ला नीना, अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) चक्र की विपरीत अवस्था है, जो एक प्राकृतिक जलवायु परिघटना है, यह मध्य एवं पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सागरीय सतह के तापमान (SST) में होने वाले उतार-चढ़ाव की विशेषता है।
मुख्य भाग:
- अल नीनो:
- अल नीनो घटनाओं के दौरान, मध्य एवं पूर्वी प्रशांत महासागर में सागरीय सतह का तापमान औसत से अधिक गर्म हो जाता है, जिससे सामान्य वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न बाधित हो जाता है।
- इस व्यवधान के परिणामस्वरूप वैश्विक जलवायु पैटर्न में परिवर्तन होता है, जिसमें परिवर्तित वर्षा पैटर्न और वायुमंडलीय परिसंचरण शामिल हैं।
- भारत में अल नीनो सामान्यतः मानसून को कमज़ोर कर देता है, जिसके परिणामस्वरूप औसत से अधिक शुष्क परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है और वर्षा कम हो जाती है। इससे शुष्कता, जल की कमी एवं कृषि हानि हो सकती है।
- ला नीना:
- ला नीना घटनाओं की विशेषता मध्य एवं पूर्वी प्रशांत महासागरों में सागरीय सतह का तापमान औसत से अधिक शीतल होना है।
- ला नीना सामान्यतः भारतीय मानसून को मज़बूत करता है, जिसके परिणामस्वरूप भारत में वर्षा में वृद्धि होती है और औसत से अधिक आर्द्रता की परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे कुछ क्षेत्रों में बाढ़ एवं जलभराव की घटनाएँ देखने को मिलती हैं।
- भारत में वायु गुणवत्ता पर इन घटनाओं का प्रभाव:
- अल नीनो: अल नीनो स्थिर वायुमंडलीय परिस्थितियों और कम वर्षा में योगदान देकर भारत में वायु प्रदूषण को बढ़ा सकता है, जो प्रदूषकों को सतह के करीब रोक सकता है तथा खराब वायु गुणवत्ता का कारण बन सकता है।
- ला नीना: क्षेत्रीय जलवायु पैटर्न के आधार पर ला नीना का भारत में वायु गुणवत्ता पर अलग-अलग प्रभाव पड़ सकता है। ला नीना से संबंधित वर्षा वृद्धि स्थिर आर्द्रता के माध्यम से वातावरण से प्रदूषकों को पृथक करके वायु प्रदूषण को कम करने में सहायक हो सकती है। फिर भी इन प्रभावों में कई विसंगतियों का अनुभव हुआ है।
- वर्ष 2022 में एक अध्ययन ने सुझाव दिया कि गाज़ियाबाद और नोएडा में PM2.5 सांद्रता काफी कम हो गई, जबकि इसके विपरीत मुंबई एवं बेंगलुरु में PM2.5 स्तर में वृद्धि देखी गई।
निष्कर्ष:
भारत के लिये अल नीनो और ला नीना घटनाओं की गहन समझ आवश्यक है ताकि वह अपने जल संसाधनों, कृषि एवं वायु गुणवत्ता का प्रभावी ढंग से प्रबंधन कर सके, साथ ही अर्थव्यवस्था तथा समाज के विभिन्न क्षेत्रों पर जलवायु परिवर्तनशीलता व चरम मौसमी घटनाओं के प्रभावों को कम करने के लिये अनुकूल रणनीति विकसित कर सके।