प्रश्न :
क्षेत्र में पर्यावरण अनुपालन की देखरेख करने वाले अधिकारी के रूप में, आपको पर्यावरण मंज़ूरी प्रमाण पत्र धारण करने वाले कई छोटे और मध्यम उद्योगों से उत्पन्न एक जटिल चुनौती का सामना करना पड़ा है। इन उद्योगों के पास पर्यावरण मंज़ूरी प्रमाण पत्र तो है लेकिन यह जल, वायु और मृदा को प्रदूषित करने में अपना योगदान दे रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय आबादी पर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव पड़ रहा है।
पर्यावरण से संबंधित उल्लंघनों का पता चलने पर, आपने सभी औद्योगिक इकाइयों को नए सिरे से पर्यावरण मंज़ूरी हेतु आवेदन करने के लिये नोटिस जारी करके निर्णायक कार्रवाई की। हालाँकि, आपके प्रयासों को कुछ औद्योगिक हितधारकों, निहित स्वार्थी समूहों और स्थानीय राजनेताओं के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। इसके अतिरिक्त, श्रमिकों के बीच संभावित नौकरी छूटने और आर्थिक असुरक्षा को लेकर आशंका भी विद्यमान है।
संभावित वित्तीय घाटे और उत्पाद की कमी को उजागर करने वाले उद्योग मालिकों की दलीलों और श्रमिक संघों द्वारा बंद से बचने की अपील के बावजूद, आप पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहे। हालाँकि, इस रुख ने आपको अज्ञात स्रोतों से खतरों के प्रति उजागर कर दिया।
प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए आपको उन सहकर्मियों का समर्थन मिला जो पर्यावरण नियमों के कड़ाई से पालन पर ज़ोर दे रहे थे और आसपास के गैर सरकारी संगठनों ने मांग की थी कि प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को तुरंत बंद कर दिया जाए।
(A) इस मामले में कौन-से नैतिक मुद्दे शामिल हैं?
(B) उपरोक्त केस स्टडी के आधार पर, आपके लिये क्या विकल्प उपलब्ध हैं?
(C) पर्यावरणीय अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये आप किस प्रकार की व्यवस्था का सुझाव देंगे?
23 Feb, 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- उत्तर की शुरुआत परिचय के साथ कीजिये, जो प्रश्न के लिये एक संदर्भ निर्धारित करता है।
- इस मामले में शामिल नैतिक मुद्दों को बताइये।
- परिस्थिति से निपटने के लिये उपलब्ध विकल्पों का वर्णन कीजिये।
- पर्यावरण अनुपालन सुनिश्चित करने के तंत्र का वर्णन कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
इस परिदृश्य में, चुनौती क्षेत्र के कई छोटे और मध्यम उद्योगों के बीच पर्यावरण अनुपालन लागू करने के इर्द-गिर्द घूमती है। ये उद्योग पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन करते पाए गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। औद्योगिक इकाइयों, निहित स्वार्थी समूहों और राजनेताओं के विरोध का सामना करने के बावजूद, सहकर्मियों और गैर-सरकारी संगठनों (NGO) से पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता की अपेक्षा की जाती है।
(a) इस मामले में निम्न नैतिक मुद्दे शामिल हैं:
- पर्यावरण संरक्षण बनाम आर्थिक हित: संभावित आर्थिक प्रभावों, जैसे कि नौकरी छूटना और उद्योगों के लिये वित्तीय क्षति के विरुद्ध पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करने की आवश्यकता को संतुलित करना।
- जवाबदेही और उत्तरदायित्व: यह सुनिश्चित करना कि उद्योग पर्यावरण नियमों का पालन करें और अपने कार्यों का उत्तरदायित्व संभालें, मूलतः जब उन्हें पर्यावरण स्वीकृति प्रदान की गई हो।
- पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा: निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बनाए रखना और निहित स्वार्थ समूहों और राजनेताओं के दबाव का विरोध करना, जो पर्यावरण मानकों से समझौता कर सकते हैं।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति कर्त्तव्य: वायु, जल और मृदा की गुणवत्ता पर प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभावों पर विचार करते हुए, उद्योगों के वित्तीय हितों पर स्थानीय आबादी के स्वास्थ्य और कल्याण को प्राथमिकता देना।
- व्यक्तिगत सुरक्षा और अखंडता: पर्यावरणीय नियमों के प्रवर्तन के कारण अज्ञात स्रोतों से खतरों का सामना करना, नैतिक मानकों को बनाए रखते हुए व्यक्तिगत सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर प्रकाश डालना।
(b) परिस्थिति से निपटने के लिये उपलब्ध विकल्प:
- प्रवर्तन कार्रवाइयाँ जारी रखना: उद्योगों को नवीन पर्यावरण स्वीकृति हेतु आवेदन करने के लिये नोटिस जारी करना और हितधारकों के विरोध के बावजूद गैर-अनुपालन इकाइयों को बंद करना।
- संवाद में शामिल होना: चिंताओं को दूर करने और पर्यावरण संरक्षण एवं आर्थिक स्थिरता दोनों को प्राथमिकता देने वाले संभावित समाधान तलाशने के लिये उद्योग मालिकों, श्रमिक संघों, स्थानीय राजनेताओं और अन्य हितधारकों के साथ चर्चा की सुविधा प्रदान करना।
- कानूनी सहारा लेना: कानूनी कार्यवाही में उचित प्रक्रिया और निष्पक्षता सुनिश्चित करते हुए पर्यावरणीय नियमों को लागू करने और गैर-अनुपालन करने वाले उद्योगों को जवाबदेह बनाने हेतु कानूनी तंत्र का उपयोग करना।
- सहायक हितधारकों के साथ सहयोग करना: समर्थन जुटाने और प्रवर्तन प्रयासों को मज़बूत करने के लिये पर्यावरण अनुपालन का समर्थन करने वाले सहयोगियों के साथ-साथ स्थानीय गैर सरकारी संगठनों और सामुदायिक समूहों के साथ मिलकर काम करना।
- अनुपालन हेतु प्रोत्साहन लागू करना: पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाने और प्रदूषण नियंत्रण उपायों में निवेश करने के इच्छुक उद्योगों को नियमों के अनुपालन को प्रोत्साहित करते हुए प्रोत्साहन या सहायता तंत्र की पेशकश करना।
(c) पर्यावरण अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये तंत्र:
- नियमित निगरानी और निरीक्षण: पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघनों का शीघ्र पता लगाने और उनका समाधान करने के लिये औद्योगिक गतिविधियों की निगरानी और नियमित निरीक्षण करने के लिये एक मज़बूत प्रणाली स्थापित करना।
- सार्वजनिक रिपोर्टिंग और पारदर्शिता: पर्यावरणीय अनुपालन डेटा और प्रवर्तन कार्यों की सार्वजनिक रिपोर्टिंग के लिये तंत्र लागू करना, नियामक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना।
- क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण: पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अनुपालन की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये उद्योग हितधारकों, नियामक कर्मचारियों और स्थानीय समुदायों के लिये प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पहल प्रदान करना।
- नियामक ढाँचे को मज़बूत करना: खामियों को दूर करने और प्रवर्तन तंत्र को मज़बूत करने के लिये नियामक ढाँचे की समीक्षा और अद्यतन करना, उभरते पर्यावरणीय मानकों एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ संरेखण सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष:
सरकारी एजेंसियों, उद्योगों, नागरिक समाज संगठनों और स्थानीय समुदायों के बीच सहयोग और संवाद को बढ़ावा देकर क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण और सतत् विकास के लिये साझा जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाएगी।