पूर्वोत्तर भारत के विकास के संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों की समीक्षात्मक व्याख्या कीजिये।
19 Jun, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
प्रश्न-विच्छेद
हल करने का दृष्टिकोण
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भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र उग्रवादी हिंसा के कारण विकास के क्षेत्र में देश के अन्य इलाकों की अपेक्षा पिछड़ा हुआ है। भूमि की एक संकीर्ण पट्टी जिसे ‘चिकन नेक गलियारा’ के नाम से जाना जाता है, इस क्षेत्र को शेष भारत से जोड़ती है।
पूर्वोत्तर की धीमी विकास प्रक्रिया को गति देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनेक कार्य किये गए हैं, कुछ कार्य अभी जारी हैं तथा कुछ और किये जाने बाकी हैं। इस क्षेत्र में शांति बहाली के लिये सरकार द्वारा जहाँ अनेक विद्रोही संगठनों पर सख्ती से प्रतिबंध लगाए गए हैं, वहीं अफ्स्पा जैसे विवादास्पद कानून के दायरे को भी घटा दिया गया है। यह कानून अब केवल नगालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश तक ही सीमित है। इसके साथ ही बांग्लादेश के साथ सीमा रेखा की सीलिंग करने की घोषणा की गई थी, जिसके जल्द ही पूरा होने की संभावना है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में कमी लाने के लिये पुलिस बल में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने, पुलिस के बीच लैंगिक संवदेनशीलता में वृद्धि करने, 24X7 महिला पुलिस डेस्क की स्थापना करने जैसे महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक कदम उठाने के लिये केंद्र द्वारा राज्य सरकारों को सलाह दी गई है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र के सांस्कृतिक प्रसार हेतु दिल्ली में केंद्र की स्थापना ,स्टार्टअप के लिये वेंचर की स्थापना, ट्युरिअल जल विद्युत परियोजना, असम में भूपेन हजारिका सेतु, मेघालय में फुटबॉल स्टेडियम की स्थापना तथा हाल ही में 12वें पूर्वोत्तर व्यापार शिखर सम्मेलन का आयोजन इस क्षेत्र के विकास के लिये केंद्र सरकार के प्रयासों की एक बानगी है।
सरकार द्वारा अभी इस क्षेत्र में और प्रयास किये जाने बाकी है, जैसे एनएससीएन- आईएम तथा केंद्र सरकार के बीच एक ढाँचागत समझौते पर हस्ताक्षर की घोषणा, जिसमें इस समझौते को अभी अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016, जिसका मेघालय तथा असम में कड़ा विरोध हो रहा है, में कुछ सुधार करके इसे लागू करना, प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट 2015 (संशोधित) तथा एकल आपात कालीन प्रतिक्रिया नंबर स्थापित करने का प्रस्ताव जैसे अन्य कार्य भी इस क्षेत्र के विकास के लिये किये जाने शेष हैं।
वस्तुतः इन सभी कार्यों के पीछे मूल उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत के विकास के साथ ही इस क्षेत्र में व्याप्त हिंसा का खात्मा करते हुए शांति व्यवस्था को लागू करना रहा है, ताकि बहुत की सहज एवं शांत तरीके से विद्रोहियों की समस्याओं का हल ढूंढा जा सके और प्रदेश को विकास की राह पर अग्रसर किया जा सके।