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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत की अध्यक्षता में G-20 के सदस्य देशों द्वारा अपनाया गया नई दिल्ली घोषणापत्र, समानता एवं समावेशन का एक प्रमाण है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    13 Feb, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • नई दिल्ली लीडर्स घोषणा के बारे में एक संक्षिप्त परिचय लिखिये।
    • समानता और समावेशन को बढ़ावा देने वाले जी-20 के कार्यों और योजनाओं का उल्लेख कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    G20 शिखर सम्मेलन में अपनाया गया, नई दिल्ली लीडर्स घोषणापत्र एक दस्तावेज़ है जो 'वसुधैव कुटुंबकम' या 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' की थीम के तहत 21वीं सदी की वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिये G20 सदस्यों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। घोषणापत्र में आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरणीय और संस्थागत विकास के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है, और G20 तथा अन्य हितधारकों के बीच सहयोग, समन्वय और बहुपक्षवाद की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है।

    मुख्य भाग:

    घोषणा के कुछ पहलू जो समानता और समावेशन को प्रदर्शित करते हैं:

    • समानता
      • लैंगिक समानता: घोषणापत्र महिलाओं और लड़कियों को सशक्त बनाने एवं जीवन के सभी क्षेत्रों में उनकी पूर्ण तथा समान भागीदारी सुनिश्चित करने के महत्त्व को पहचानता है। घोषणापत्र लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण पर G20 कार्य योजना का भी समर्थन करता है, जिसका उद्देश्य श्रम बल भागीदारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, डिजिटल पहुँच और नेतृत्व में लैंगिक अंतर को कम करना है।
      • सामाजिक समानता: घोषणा 'किसी को भी पीछे न छोड़ने' के सिद्धांत के आधार पर 2030 एजेंडा और उसके सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को प्राप्त करने की G20 की प्रतिज्ञा की पुष्टि करती है।
        • घोषणापत्र विकासशील देशों, कम विकसित देशों और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों में मज़बूत पुनर्प्राप्ति और लचीलेपन के लिये G20 रोडमैप का भी समर्थन करता है, जो इन देशों की विशिष्ट चुनौतियों और कमज़ोरियों का समाधान करना चाहता है।
      • आर्थिक समानता: घोषणापत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन संकट के असमान प्रभावों को स्वीकार करता है और अधिक समावेशी एवं लचीले सुधार का आह्वान करता है, जिससे सभी लोगों तथा देशों को लाभ हो।
        • घोषणापत्र ऋण सेवा निलंबन पहल से परे ऋण उपचार के लिये G20 कॉमन फ्रेमवर्क का भी समर्थन करता है।
    • समावेशन
      • हितधारकों का समावेशन: घोषणापत्र G20 प्रक्रिया और परिणामों में विभिन्न हितधारकों, जैसे नागरिक समाज, व्यवसाय, श्रम, युवा, महिलाएँ, थिंक टैंक और शिक्षा जगत के मूल्यवान योगदान और इनपुट को स्वीकार करता है।
        • घोषणापत्र गैर-G20 देशों और क्षेत्रों, विशेष रूप से अफ्रीका के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों, जैसे संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संगठन और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संघ के साथ G20 की भागीदारी और संवाद का भी स्वागत करता है।
      • सांस्कृतिक समावेशन: घोषणापत्र सांस्कृतिक सहयोग और विकास के लिये G20 सिद्धांतों का समर्थन करता है, जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान, संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना एवं सांस्कृतिक विविधता और अधिकारों की रक्षा करना और बढ़ावा देना है।
      • तकनीकी समावेशन: घोषणापत्र डिजिटल परिवर्तन और चतुर्थ औद्योगिक क्रांति की क्षमता तथा चुनौतियों को पहचानता है, जो सभी लोगों और क्षेत्रों के लिये प्रौद्योगिकी के लाभों का उपयोग करने के लिये प्रतिबद्ध है।
        • घोषणापत्र G20 डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पहल का भी समर्थन करता है, जिसका उद्देश्य डिजिटल सेवाओं और प्लेटफॉर्मों तक सार्वभौमिक, किफायती पहुँच प्रदान करना और डिजिटल साक्षरता, कौशल तथा समावेशन को बढ़ाना है।

    निष्कर्ष:

    G20 शिखर सम्मेलन से नई दिल्ली की लीडर्स घोषणा एकता और सहयोग के मार्गदर्शक सिद्धांत के तहत समकालीन चुनौतियों का समाधान करने की वैश्विक प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। यह घोषणा विभिन्न क्षेत्रों में समानता और समावेशन पर ध्यान केंद्रित करके अधिक न्यायसंगत और लचीले वैश्विक समुदाय की नींव रखती है। हितधारकों का जुड़ाव और सांस्कृतिक एवं तकनीकी समावेशिता पर ज़ोर देने से सतत् विकास और साझा समृद्धि की दिशा में सहयोगात्मक प्रयासों का मार्ग प्रशस्त होता है।

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