पद्म पुरस्कार और भारत रत्न जैसे पुरस्कारों के प्रभाव, प्राप्तकर्त्ताओं की व्यक्तिगत पहचान से परे भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं पर किस प्रकार प्रदर्शित होते हैं? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत रत्न और पद्म पुरस्कार जैसे पुरस्कारों के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- उल्लेख कीजिये कि कैसे ये पुरस्कार व्यक्तिगत पहचान के साथ-साथ समाज पर भी प्रभाव डालते हैं।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
भारत रत्न और पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं, जो भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किये जाते हैं। ये पुरस्कार मानव प्रयास के किसी भी क्षेत्र में असाधारण सेवा या उच्चतम स्तर के प्रदर्शन को मान्यता देने के लिये दिये जाते हैं। इन पुरस्कारों के प्राप्तकर्ताओं को न केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों के लिये बल्कि भारतीय समाज के विभिन्न पहलुओं पर उनके प्रभाव के लिये भी सम्मानित किया जाता है। ये पुरस्कार राष्ट्र के मूल्यों, आकांक्षाओं एवं विविधता के साथ-साथ उत्कृष्टता तथा सार्वजनिक सेवा हेतु सराहना को दर्शाते हैं।
मुख्य भाग:
इस प्रकार भारत रत्न और पद्म पुरस्कार न केवल व्यक्तिगत मान्यता के प्रतीक हैं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव एवं कृतज्ञता की अभिव्यक्ति भी हैं। वे उन नागरिकों की उपलब्धियों का परिचायक हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा, दूरदर्शिता तथा समर्पण से देश एवं विश्व को लाभ पहुँचाया है।
भारत रत्न और पद्म पुरस्कार व्यक्तिगत पहचान के साथ-साथ समाज पर भी प्रभाव डालते हैं:
- उत्कृष्टता और नवीनता को मान्यता देना: ये पुरस्कार विज्ञान, साहित्य, कला, खेल आदि क्षेत्रों में प्राप्तकर्ताओं की उत्कृष्ट उपलब्धियों एवं योगदान को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिये, सी. वी. रमन को रमन प्रभाव की खोज के लिये वर्ष 1954 में भारत रत्न प्राप्त हुआ था। सत्यजीत रे को उनकी सिनेमाई प्रतिभा के साथ भारत एवं विश्व सिनेमा पर प्रभाव के लिये वर्ष 1992 में भारत रत्न मिला। सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट में उनके अद्वितीय रिकॉर्ड एवं प्रभाव के लिये वर्ष 2014 में भारत रत्न मिला, एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी को कर्नाटक संगीत में महारत एवं नवीनता के लिये वर्ष 1975 में पद्म विभूषण मिला।
- सामाजिक न्याय और कल्याण को बढ़ावा देना: ये पुरस्कार देश में सामाजिक न्याय, समानता और कल्याण की दिशा में प्राप्तकर्ताओं के प्रयासों को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिये, बी. आर. अम्बेडकर को भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने तथा उत्पीड़ित वर्गों के अधिकारों की वकालत करने में उनकी भूमिका के लिये वर्ष 1990 में भारत रत्न मिला। अरुणा आसफ अली को भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने और महिलाओं तथा बच्चों के उत्थान में उनके कार्य के लिये वर्ष 1992 में पद्म विभूषण मिला।
- प्रेरक देशभक्ति और नेतृत्व: ये पुरस्कार देश की नियति को आकार देने तथा नागरिकों के बीच देशभक्ति को प्रेरित करने में प्राप्तकर्ताओं के नेतृत्व और दूरदृष्टि को दर्शाते हैं। उदाहरण के लिये, अटल बिहारी वाजपेयी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उनके नेतृत्व एवं विदेश नीति तथा आर्थिक सुधारों में उनकी पहल के लिये वर्ष 2015 में भारत रत्न मिला। लाल बहादुर शास्त्री को वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान उनके नेतृत्व एवं "जय जवान जय किसान" के नारे के लिये वर्ष 1966 में भारत रत्न मिला।
निष्कर्ष:
भारत रत्न और पद्म पुरस्कार व्यक्तिगत पहचान से कहीं आगे तक विस्तारित हैं। वे प्रेरणा, सामाजिक परिवर्तन, राष्ट्रीय एकता एवं वैश्विक मंच पर भारत की शक्ति को बढ़ावा देने के क्रम में शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करते हैं। इनके द्वारा व्यक्तिगत उत्कृष्टता को पहचान प्रदान करने के साथ भारतीय समाज की प्रगति एवं भलाई में लोगों के महत्त्वपूर्ण योगदान को दर्शाया जाता है।