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प्रश्न :
ज़िला मजिस्ट्रेट के रूप में आपको अपने ज़िले में एक बड़ी विकास परियोजना के लिये दो प्रतिस्पर्द्धी प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाते हैं: एक आधुनिक औद्योगिक पार्क से संबंधित है जिसमें महत्त्वपूर्ण आर्थिक विकास के साथ रोज़गार का वादा किया जाता है और एक वन्यजीव अभयारण्य से संबंधित है जिसका उद्देश्य लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा करने के साथ पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखना है। दोनों परियोजनाओं में भूमि अधिग्रहण के साथ स्थानीय समुदायों का विस्थापन होना संभावित है। हालाँकि औद्योगिक पार्क से संभावित पर्यावरण प्रदूषण के बारे में चिंता उत्पन्न होती है।
a) इन दो असंगत प्रतीत होने वाली परियोजनाओं के बीच चयन संबंधी नैतिक दुविधाओं पर चर्चा कीजिये।
02 Feb, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
b) सार्वजनिक हित, स्थिरता, न्याय एवं पारदर्शिता के सिद्धांतों पर विचार करते हुए इस संदर्भ में नैतिक रूप से सही निर्णय लेने हेतु एक रूपरेखा तैयार कीजिये।उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- किसी औद्योगिक परिसर की स्थापना और उससे संबंधित पर्यावरणीय समस्याओं के बारे में एक संक्षिप्त परिचय लिखिये।
- नैतिक दुविधाओं और ठोस निर्णय लेने की रूपरेखा का उल्लेख कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
एक आधुनिक औद्योगिक परिसर की स्थापना अपने साथ पर्यावरण प्रदूषण की संभावना लेकर आती है, जो ज़िला मजिस्ट्रेट के लिये एक महत्त्वपूर्ण विचार प्रस्तुत करती है। इन घटकों से जुड़ी औद्योगिक गतिविधियाँ, जैसे- विनिर्माण प्रक्रियाएँ, अपशिष्ट निपटान और उत्सर्जन, वायु, जल एवं मृदा की गुणवत्ता के लिये जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं।
मुख्य भाग-
a) निर्णय लेने में दुविधाओं को संतुलित करना:
- उपयोगितावाद बनाम अधिकारों की दुविधा (Utilitarianism vs. Rights Dilemma):
- आर्थिक विकास के लिये औद्योगिक परिसर को चुनने से बहुसंख्यकों को लाभ हो सकता है, लेकिन विस्थापित अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है। वन्यजीव अभयारण्य का विकल्प चुनने से अधिकारों की रक्षा होती है, लेकिन संभावित रूप से विकास पर निर्भर लोगों के हित में बाधा उत्पन्न होती है।
- न्याय बनाम सामान्य अच्छी दुविधा (Justice vs. Common Good Dilemma):
- समृद्धि को बढ़ावा देने वाले औद्योगिक परिसर के परिणामस्वरूप हाशिये पर रहने वाले समूहों के साथ अन्याय हो सकता है। इसके विपरीत, वन्यजीव अभयारण्य न्याय को बरकरार रखता है, लेकिन समग्र सामाजिक प्रगति को सीमित कर सकता है।
- स्थिरता बनाम अल्पकालिक लाभ की दुविधा (Sustainability vs. Short-Term Gains Dilemma):
- औद्योगिक परिसर के अल्पकालिक लाभ भविष्य की स्थिरता से समझौता कर सकते हैं, जबकि वन्यजीव अभयारण्य तत्काल विकास आवश्यकताओं की कीमत पर दीर्घकालिक लाभ सुनिश्चित करता है। इन दुविधाओं को संतुलित करने के लिये नैतिक, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है।
b) नैतिक निर्णय लेने की रूपरेखा:
- इस जटिल परिदृश्य से निपटने के लिये, एक दृढ़ नैतिक निर्णय लेने की रूपरेखा महत्त्वपूर्ण है। विचार करने के लिये यहाँ कुछ प्रमुख सिद्धांत दिये गए हैं:
- सार्वजनिक हित: दोनों परियोजनाएँ जनता की भलाई की सेवा करने का दावा करती हैं, लेकिन यह निर्धारित करना महत्त्वपूर्ण है, कि दीर्घ अवधि में हितधारकों की एक विस्तृत शृंखला को क्या लाभ होता है। एक लागत-लाभ विश्लेषण जिसमें आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय कारक शामिल हों, आवश्यक है।
- स्थिरता: दीर्घकालिक पारिस्थितिक स्थिरता को प्राथमिकता देना। क्या औद्योगिक परिसर महत्त्वपूर्ण क्षति के बिना पर्यावरणीय सीमाओं के भीतर काम कर सकता है? परियोजना के पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन का आकलन करना और शमन रणनीतियों का पता लगाना।
- न्याय: सभी हितधारकों, विशेषकर विस्थापित समुदायों के लिये न्याय सुनिश्चित करना। उनकी चिंताओं को समझना और पुनर्वास विकल्पों का पता लगाने के लिये सहभागी मूल्यांकन करना, जो नुकसान को कम तथा लाभ को अधिकतम करते हों।
- पारदर्शिता: निर्णय लेने की प्रक्रिया को खुली और पारदर्शी बनाए रखना। प्रभावित समुदायों, पर्यावरण विशेषज्ञों एवं संबंधित अधिकारियों को चर्चा में शामिल करना तथा जानकारी तक पहुँच सुनिश्चित करना।
निष्कर्ष:
औद्योगिक परिसर एवं वन्यजीव अभयारण्य के बीच चयन करने के लिये पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक आकांक्षाओं को संतुलित करते हुए नैतिक सिद्धांतों पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता होती है। एक ठोस निर्णय लेने की रूपरेखा को नियोजित करके, सक्रिय रूप से हितधारकों को शामिल करके और प्रासंगिक कानूनी ढाँचे को तैयार करके, ज़िला मजिस्ट्रेट एक ऐसे समाधान के लिये प्रयास कर सकता है जो पर्यावरण तथा समुदाय दोनों के लिये दीर्घकालिक कल्याण सुनिश्चित करता हो।
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