कृषि उपज के मूल्य को बढ़ाने तथा आर्थिक विकास में योगदान देने में खाद्य प्रसंस्करण की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- खाद्य प्रसंस्करण के बारे में संक्षिप्त परिचय लिखिये।
- कृषि उपज के मूल्य एवं आर्थिक विकास को बढ़ाने में खाद्य प्रसंस्करण की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
खाद्य प्रसंस्करण कृषि और आर्थिक परिदृश्य का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, जो कच्ची फसल उत्पादन के मूल्य को बढ़ाने एवं समग्र आर्थिक विकास में योगदान देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र में विभिन्न गतिविधियाँ शामिल हैं, जो कृषि उत्पादों को मूल्यवर्द्धित वस्तुओं में परिवर्तित कर देती हैं, जिससे वे उपभोग या अन्य उद्योगों में उपयोग के लिये उपयुक्त हो जाते हैं।
मुख्य भाग:
- कृषि उपज में मूल्यवर्द्धन: खाद्य प्रसंस्करण कच्चे कृषि माल को प्रसंस्कृत और पैकेज्ड उत्पादों में बदलकर उनका मूल्य बढ़ाता है। इसमें सफाई, छँटाई, कटाई, संरक्षण और पैकेजिंग जैसे चरण शामिल हैं। ये प्रक्रियाएँ शेल्फ लाइफ को बढ़ाती हैं, खराब होने की संभावना को कम करती हैं एवं बाज़ार तक पहुँच को व्यापक बनाती हैं।
- उदाहरण के लिये, मूँगफली का उपयोग कई प्रकार के उत्पाद बनाने के लिये किया जा सकता है, जैसे- मूँगफली का मक्खन, मूँगफली का तेल, मूँगफली का आटा, मूँगफली कैंडी, आदि। इन उत्पादों का मूल्य अधिक है तथा इनकी शेल्फ लाइफ भी लंबी होती है।
- आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन: खाद्य प्रसंस्करण उद्योग रोज़गार के अवसर उत्पन्न करके और उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। लघु स्तर के उद्यमों से लेकर बड़े औद्योगिक परिसरों तक खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना, खेती और परिवहन से लेकर प्रसंस्करण, वितरण एवं खुदरा तक मूल्य शृंखला में रोज़गार उत्पन्न करती है।
- कृषि स्थिरता और कम अपव्यय: खाद्य प्रसंस्करण फसल के बाद के नुकसान और अपव्यय को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खराब होने वाली फसलों को संरक्षित और संसाधित करके, उद्योग चरम फसल के मौसम के दौरान अधिशेष उपज की विपणन क्षमता को बनाए रखने में मदद करता है।
- कृषि उत्पादों का विविधीकरण: खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र कृषि उत्पादों के विविधीकरण को प्रोत्साहित करता है। यह स्नैक्स और रेडी-टू-ईट भोजन से लेकर प्रसंस्कृत पेय पदार्थों तक खाद्य पदार्थों की एक विस्तृत शृंखला के निर्माण में सक्षम बनाता है।
चुनौतियाँ:
- बुनियादी ढाँचे का विकास: बुनियादी ढाँचे की कमियों को दूर करने एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की दक्षता बढ़ाने के लिये कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं, परिवहन नेटवर्क और आधुनिक प्रसंस्करण इकाइयों में निवेश आवश्यक है।
- प्रौद्योगिकी को अपनाना: स्वचालन और डिजिटलीकरण सहित आधुनिक प्रौद्योगिकियों को अपनाने को प्रोत्साहित करने से दक्षता में सुधार हो सकता है, अपव्यय कम हो सकता है तथा प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में वृद्धि हो सकती है।
- कौशल विकास: केंद्रित कौशल विकास कार्यक्रम खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में कार्यबल की क्षमताओं को बढ़ा सकते हैं और नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा दे सकते हैं।
- नियामक सुधार: नियमों को सुव्यवस्थित करना, अंतर्राष्ट्रीय मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करना और लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं को सरल बनाना खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास के लिये अनुकूल वातावरण का निर्माण कर सकता है।
निष्कर्ष:
सतत् आर्थिक विकास के लिये कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के बीच सहजीवी संबंध अपरिहार्य है। मूल्य संवर्द्धन, रोज़गार सृजन और कृषि स्थिरता के उत्प्रेरक के रूप में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग अपनी संपूर्ण क्षमता को अनलॉक करने तथा आर्थिक विकास एवं खाद्य सुरक्षा के व्यापक लक्ष्यों में योगदान करने के लिये सहायक नीतियों का हकदार है।