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प्रश्न :
एक प्रसिद्ध भारतीय कार कंपनी ने ग्राहकों को समान गुणवत्ता के उत्पाद प्रदान करने के वादे के साथ स्थानीय बाज़ार में एक कार का एक अंतर्राष्ट्रीय मॉडल लॉन्च किया। हालाँकि एक औचक जाँच में पाया गया कि यह कारें अनुमोदित विशिष्टताओं के अनुरूप नहीं हैं और बाद में की गई जाँच से जानकारी मिली कि इसमें कदाचार किया गया है। यह कंपनी भारत में सिर्फ कम गुणवत्ता की कारें ही नहीं बेच रही थी बल्कि इसके द्वारा स्थानीय बिक्री हेतु अस्वीकृत निर्यात मॉडल को अपनाया जा रहा था। इस अनैतिक आचरण का पता चलने से कंपनी की प्रतिष्ठा के साथ उसे वित्तीय नुकसान हुआ। ऐसे में कंपनी को लोगों का विश्वास हासिल करने तथा ऑटोमोटिव उद्योग में अपनी स्थिति को बहाल करने हेतु इन मुद्दों को हल करना आवश्यक हो गया।
इन अनैतिक कार्यों से कंपनी की छवि को काफी नुकसान होने के साथ इसके परिणामस्वरूप घरेलू और वैश्विक स्तर पर इसको वित्तीय नुकसान हुआ। उपभोक्ताओं के साथ विश्वासघात करने से प्रतिस्पर्धी ऑटोमोटिव उद्योग में इस कंपनी की स्थिति नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई। ऐसे में कंपनी को सुधारात्मक उपायों को लागू करने तथा लोगों के बीच विश्वास को फिर से बहाल करने के साथ बाज़ार में अपनी स्थिति को पुनः मजबूत करना आवश्यक हो गया।
(a) इस आलोक में उपभोक्ताओं तथ नियामकों के बीच विश्वास बहाल करने में कंपनी की निर्णय निर्माण प्रक्रिया किन नैतिक विचारों से निर्देशित होनी चाहिये?
(b) कंपनी अपने हितधारकों के बीच नैतिक जागरूकता तथा जवाबदेही की संस्कृति को किस प्रकार बढ़ावा दे सकती है?
19 Jan, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- निर्णय लेने में नैतिकता के विषय में एक संक्षिप्त परिचय लिखिये।
- उन नैतिक विचारों का उल्लेख कीजिये जिनका कंपनी द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में पालन किया जाना आवश्यक है।
- विभिन्न हितधारकों की नैतिक जागरुकता और जवाबदेहिता का उल्लेख कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
निर्णय लेने में नैतिकता महत्त्वपूर्ण है, जो व्यक्तिगत और संगठनात्मक नैतिक मूल्यों को आकार देती है। इसमें हितधारक और सामाजिक प्रभाव पर विचार करते हुए उचित एवं अनुचित के आधार पर विकल्पों का आकलन करना शामिल है। नैतिक मानकों को कायम रखने से विश्वास, अखंडता और ज़िम्मेदार नेतृत्व को बढ़ावा मिलता है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में मूल्यों एवं सामाजिक मानदंडों के अनुरूप कार्यों का मार्गदर्शन होता है।
निकाय:
(a) अनैतिक कार्यों को सुधारने एवं उपभोक्ताओं और नियामकों के साथ विश्वास का पुनर्निर्माण करने में कंपनी को कई प्रमुख नैतिक विचारों द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिये:
- पारदर्शिता और प्रकटीकरण: कंपनी को स्वीकृत विनिर्देशों से विचलन और अस्वीकृत निर्यात मॉडल के उपयोग को खुले तौर पर स्वीकार करके पारदर्शिता को प्राथमिकता देनी चाहिये।
- जवाबदेहिता और उत्तरदायित्व: जानबूझकर कदाचार के लिये ज़िम्मेदारी लेना आवश्यक है। कंपनी को अनैतिक गतिविधियों हेतु ज़िम्मेदार लोगों की पहचान करनी चाहिये और उन्हें जवाबदेह बनाना चाहिये।
- उपभोक्ता कल्याण: कंपनी को यह सुनिश्चित करके अपने उपभोक्ताओं के कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिये कि सुधारात्मक उपाय उत्पाद की गुणवत्ता, सुरक्षा और नियामक मानकों के पालन पर ध्यान केंद्रित करें।
- नियामक अनुपालन: नियामक मानकों का सख्ती से पालन करना और प्रभावित उत्पादों के लिये पुनः अनुमोदन प्राप्त करना अनिवार्य है। यह नैतिक व्यावसायिक प्रथाओं और स्थापित मानदंडों के अनुपालन के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- नैतिक नेतृत्व और संस्कृति: कंपनी के नेतृत्व को नैतिक व्यवहार का उदाहरण देना चाहिये और एक कॉर्पोरेट संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिये, जो अखंडता एवं नैतिक निर्णय लेने को महत्त्व देती है।
- क्षतिपूर्ति और मुआवज़ा: कंपनी को प्रभावित उपभोक्ताओं को मुआवज़ा देने और घटिया उत्पादों के कारण होने वाले वित्तीय क्षति को कम करने के उपायों पर विचार करना चाहिये।
(b) कंपनी कई प्रमुख पहलों के माध्यम से अपने हितधारकों के बीच नैतिक जागरुकता और जवाबदेहिता संस्कृति को बढ़ावा दे सकती है:
- नैतिकता प्रशिक्षण कार्यक्रम: सभी स्तरों पर कर्मचारियों के लिये व्यापक नैतिकता प्रशिक्षण कार्यक्रम लागू करें। इन कार्यक्रमों को नैतिक निर्णय लेने पर व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करना चाहिये और नैतिक मानकों के पालन के महत्त्व को सुदृढ़ करना चाहिये।
- नेतृत्व का उदाहरण: नेतृत्व को नैतिक भूमिका मॉडल के रूप में काम करना चाहिये, लगातार नैतिक व्यवहार का प्रदर्शन और प्रचार करना चाहिये।
- स्पष्ट नैतिक दिशा-निर्देश: इन दिशा-निर्देशों में व्यवसाय संचालन के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिये और नैतिक निर्णयों को कर्मचारियों के लिये एक संदर्भ बिंदु के रूप में काम करना चाहिये।
- मुखबिरों (व्हिसिलब्लोअर) का संरक्षण: अनैतिक आचरण की रिपोर्ट करने के लिये एक सुरक्षित और गोपनीय तंत्र प्रदान करना, जवाबदेहिता संस्कृति को बढ़ावा देता है।
- आँकड़ों के प्रदर्शन में नैतिकता को शामिल करना: यह नैतिक व्यवहार के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता को दृढ़ करता है, साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों को नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिये पुरस्कृत किया जाए।
- नैतिकता समितियाँ: ये समितियाँ जटिल नैतिक मुद्दों पर मार्गदर्शन प्रदान कर सकती हैं और नैतिकता नीतियों के विकास में योगदान कर सकती हैं।
निष्कर्ष:
इन पहलों के साथ कंपनी एक ऐसी संस्कृति का निर्माण कर सकती हैं, जहाँ नैतिक जागरूकता और जवाबदेहिता इसकी पहचान के अभिन्न अंग हैं, जो हितधारकों को अपनी दैनिक गतिविधियों में नैतिक मूल्यों को अपनाने तथा बनाए रखने के लिये प्रोत्साहित करती हैं।
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