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प्रश्न :
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराने में भारत निर्वाचन आयोग के महत्त्व पर चर्चा करते हुए इसके समक्ष आने वाली समकालीन चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
16 Jan, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत निर्वाचन आयोग (ECI) का परिचय लिखिये।
- भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में इसका महत्व लिखिये।
- चुनौतियों और उनके समाधानों का उल्लेख कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है, जो भारत में लोकसभा (संसद के निम्न सदन) से लेकर राष्ट्रपति तक सभी चुनाव कराने के लिये उत्तरदायी है। भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को अपनी शक्तियाँ और कार्य भारत के संविधान के अनुच्छेद-324 के तहत प्राप्त हैं। उसके पास संपूर्ण चुनावी प्रक्रिया की देखरेख, निर्देशन और नियंत्रण का अधिकार है।
मुख्य भाग:
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में ECI का महत्त्व:
- चुनावों का निष्पक्ष संचालन: ECI, राजनीतिक प्रभाव से पृथक एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय है, जो चुनावों का निष्पक्ष संचालन सुनिश्चित करता है। यह स्वतंत्रता निर्वाचन प्रक्रिया में जनता का विश्वास प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- मतदाता पंजीकरण और पहचान: निर्वाचन आयोग सटीक मतदाता सूचियों के रखरखाव और मतदाता पहचान पत्र जारी करने की देखरेख करता है। इससे फर्जी मतदान जैसे चुनावी कदाचार को रोकने में मदद मिलती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि केवल योग्य मतदाता ही चुनावी प्रक्रिया में भाग लें।
- आदर्श आचार संहिता का कार्यान्वयन: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिये एक आदर्श आचार संहिता का निर्माण करता है और उसे लागू करता है। यह संहिता समान अवसर, नैतिक प्रचार सुनिश्चित करती है और मतदाताओं को प्रभावित करने के लिये धन और बाहुबल के इस्तेमाल को रोकती है।
- राजनीतिक व्यय की निगरानी: भारत निर्वाचन आयोग (ECI) चुनावों के दौरान राजनीतिक व्यय की निगरानी और विनियमन करता है, यह राजनीति में धन के प्रभाव पर अंकुश लगाता है और राजनीतिक दलों के बीच निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देता है।
कुछ उल्लेखनीय चुनौतियों में शामिल हैं:
- धन-बल और चुनाव व्यय: नियमों के बावजूद, चुनावों में धन का प्रभाव एक चुनौती बना हुआ है। अवैध फंडिंग, बेहिसाब व्यय और प्रचार में काले धन का इस्तेमाल चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को कमज़ोर कर सकता है।
- आदर्श आचार संहिता का क्षरण: राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले बढ़ रहे हैं। निर्वाचन आयोग को नैतिक मानकों को प्रभावी ढंग से लागू करने, समान अवसर सुनिश्चित करने और उल्लंघनों को तेजी से संबोधित करने की चुनौती का सामना करना पड़ता है।
- चुनाव प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा: निर्वाचन प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग से साइबर सुरक्षा संबंधित नई चुनौतियाँ सामने आती हैं। चुनाव परिणामों की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिये इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) और मतदाता डेटाबेस को हैकिंग से सुरक्षित रखना महत्त्वपूर्ण है।
- राजनीतिक प्रभाव और स्वतंत्रता: निर्वाचन आयोग की अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने और अनुचित राजनीतिक प्रभाव का विरोध करने की क्षमता महत्त्वपूर्ण है। आयोग की निष्पक्षता के संबंध में आरोपों के उदाहरण निर्वाचन प्रक्रिया में जनता के विश्वास को कमज़ोर कर सकते हैं।
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के समक्ष आने वाली चुनौतियों को नियंत्रित करने के उपाय:
- आदर्श आचार संहिता को मज़बूत बनाना: राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा उल्लंघन के विरुद्ध त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करते हुए आदर्श आचार संहिता को सख्ती से लागू करना। आचार संहिता के उल्लंघन के लिये मज़बूत दंडात्मक उपायों के साथ भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को सशक्त बनाने हेतु कानूनी सुधारों के विकल्पों का पता लगाना।
- वैधानिक प्रवर्तन के साथ सहयोग: मतदाताओं, उम्मीदवारों और निर्वाचन अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय को मज़बूत करना। चुनाव में होने वाली हिंसा की आशंका वाले क्षेत्रों के लिये व्यापक सुरक्षा योजनाओं को विकसित और कार्यान्वित करना।
- चुनाव फंडिंग में सुधार: चुनावों में धन के प्रभाव को कम करने के लिये राजनीतिक फंडिंग में सुधार का समर्थन। राजनीतिक दान और व्यय में, संभवतः सख्त वित्तीय प्रकटीकरण आवश्यकताओं के माध्यम से, पारदर्शिता को प्रोत्साहित करना।
- स्वतंत्रता और जवाबदेहिता: राजनीतिक हस्तक्षेप से भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिये तंत्र को मज़बूत करना। यहाँ तक कि, विधि आयोग ने चुनाव सुधारों पर अपनी 255वीं रिपोर्ट (2015) में ECI को अधिक स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिये एक चयन समिति के गठन की सिफारिश की थी।
निष्कर्ष:
भारत निर्वाचन आयोग को तकनीकी नवाचार, वैधानिक सुधार, जन जागरुकता और वैश्विक सहयोग को शामिल करते हुए एक रणनीति के माध्यम से चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है। लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिये चुनावी अखंडता, समावेशिता और जवाबदेहिता को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
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