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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत के राष्ट्रपति की संवैधानिक शक्तियों और कार्यों पर चर्चा करते हुए देश के औपचारिक प्रमुख एवं संविधान संरक्षक दोनों के रूप में उनकी भूमिका पर प्रकाश डालिये। (250 शब्द)

    16 Jan, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत के राष्ट्रपति का परिचय लिखिये।
    • भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त राष्ट्रपति की शक्तियाँ एवं कार्य लिखिये।
    • राष्ट्र के औपचारिक प्रमुख और संविधान के संरक्षक के रूप में राष्ट्रपति के महत्त्व का उल्लेख कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    भारत का राष्ट्रपति देश का प्रमुख और भारतीय सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर होता है। राष्ट्रपति की शक्तियाँ और कार्य संविधान में उल्लिखित हैं। राष्ट्रपति की भूमिका काफी हद तक औपचारिक है, इसकी भारत सरकार के कामकाज में कुछ शक्तियाँ और कार्य महत्त्वपूर्ण हैं।

    मुख्य भाग:

    राष्ट्रपति की कुछ प्रमुख संवैधानिक शक्तियाँ एवं कार्य:

    कार्यकारी शक्तियाँ:

    • प्रधानमंत्री की नियुक्ति: राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है। प्रधानमंत्री आमतौर पर लोकसभा (संसद का निम्न सदन) में बहुमत दल का नेता होता है। राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिपरिषद् के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है।

    विधायी शक्तियाँ:

    • संसद का आह्वान और सत्रावसान: राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) को बुलाने और स्थगित करने का अधिकार है। राष्ट्रपति के पास लोकसभा को भंग करने की भी शक्ति है।
    • संसद को संबोधित करना: राष्ट्रपति प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात् पहले सत्र की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों को संबोधित करता हैं।

    वित्तीय शक्तियाँ:

    • बजट अनुमोदन: राष्ट्रपति बजट को संसद के समक्ष रखवाता है और सामान्य परिचर्चा के बाद उस पर मतदान की अनुमति देता है।

    सैन्य शक्तियाँ:

    • कमांडर-इन-चीफ: राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों का सर्वोच्च कमांडर है और सभी सशस्त्र बलों के आदेशों का प्रयोग उसके द्वारा किया जाता है (अनुच्छेद 53)।

    न्यायिक शक्तियाँ:

    • क्षमा और प्रत्यावर्तन: राष्ट्रपति के पास किसी भी अपराध के लिये दोषी ठहराए गए किसी भी व्यक्ति की सज़ा को क्षमा करने, राहत देने या सज़ा में छूट प्रदान करने या सज़ा को निलंबित करने, कम करने या कम करने की शक्ति है (अनुच्छेद 72)।

    आपातकालीन शक्तियाँ:

    • आपातकाल की उद्घोषणा: राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर सकता है, यदि वह संतुष्ट है, कि एक गंभीर आपातकाल की स्थिति बन रही है, जिससे भारत या उसके क्षेत्र के किसी भी हिस्से की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो सकता है, चाहे वह युद्ध या बाह्य आक्रमण हो या सशस्त्र विद्रोह हो (अनुच्छेद 352 - 360)।

    भारत का राष्ट्रपति दोहरी भूमिका निभाता है, राज्य के औपचारिक प्रमुख और संविधान के संरक्षक दोनों के रूप में कार्य करता है। ये भूमिकाएँ राष्ट्रपति की स्थिति के प्रतीकात्मक और संवैधानिक पहलुओं को रेखांकित करती हैं:

    राज्य का औपचारिक प्रमुख:

    • प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व: राष्ट्रपति राष्ट्र की एकता और अखंडता का प्रतिनिधित्व करता है। कार्यालय के औपचारिक पहलुओं में राज्य समारोह और कार्यक्रम शामिल हैं, जहाँ राष्ट्रपति भारतीय राज्य के प्रतीक के रूप में कार्य करता है।
    • राजनयिक प्रोटोकॉल: राष्ट्रपति विदेशी गणमान्य व्यक्तियों की मेज़बानी करता है, राजदूतों के प्रमाणपत्र प्राप्त करता है साथ ही राजकीय दौरों में भाग लेता है। ये गतिविधियाँ वैश्विक मंच पर भारत की छवि प्रस्तुत करने में योगदान देती हैं।

    संविधान का संरक्षक:

    • विधान पर सहमति: राष्ट्रपति के पास संसद द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति देने की शक्ति है। कुछ परिस्थितियों में, राष्ट्रपति भी विधेयक को पुनर्विचार के लिये लौटा सकता है या सहमति देने से इनकार कर सकता है, जिससे संभावित रूप से संविधान का उल्लंघन करने वाले कानून को स्थगित किया जा सकता है।

    निष्कर्ष:

    राष्ट्रपति एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है, जो राष्ट्रीय एकता के औपचारिक सार और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की रक्षा के संवैधानिक कर्त्तव्य दोनों का प्रतीक है। कार्यकारी, विधायी, राजनयिक, सैन्य और आपातकालीन शक्तियों के सावधानीपूर्वक संतुलन के माध्यम से, राष्ट्रपति देश के लोकतांत्रिक ढाँचे को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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