भारत में विजयनगर साम्राज्य के दौरान हुए स्थापत्य विकास का परीक्षण कीजिये। इसकी प्रमुख विशेषताओं को बताते हुए इस काल में देश के वास्तुशिल्प इतिहास पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डालिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- विजयनगर साम्राज्य के बारे में परिचय लिखिये।
- विजयनगर साम्राज्य की वास्तुकला से संबंधित विभिन्न विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।
- भारत के इतिहास पर विजयनगर साम्राज्य की स्थापत्य कला के प्रभावों का उल्लेख कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
विजयनगर साम्राज्य, जो 14वीं से 17वीं शताब्दी तक दक्षिण भारत में फला-फूला, ने इस क्षेत्र के स्थापत्य इतिहास पर एक महत्त्वपूर्ण छाप छोड़ी। विजयनगर साम्राज्य के दौरान वास्तुशिल्प विकास को विभिन्न अवधियों के माध्यम से देखा जा सकता है, जिनमें से प्रत्येक का गुण विशिष्ट विशेषताएँ और शैलियाँ हैं।
मुख्य भाग:
प्रारंभिक चरण (1336-1446):
- मंदिर:
- हम्पी: विजयनगर साम्राज्य की राजधानी, हम्पी, विशाल मंदिर स्थापत्य का केंद्र बन गई। भगवान शिव को समर्पित विरुपाक्ष मंदिर इस काल का एक प्रमुख उदाहरण है, जो होयसल और चालुक्य शैलियों का मिश्रण प्रदर्शित करता है।
- अच्युतराय मंदिर: अपने प्रभावशाली स्तंभों वाले कक्ष के लिये जाना जाने वाला यह मंदिर समृद्ध नक्काशीदार स्तंभों के साथ प्रारंभिक विजयनगर शैली को प्रदर्शित करता है।
- शहर नियोजन:
- शहरी संरचना: प्रारंभिक विजयनगर स्थापत्य शहर नियोजन पर केंद्रित था। हम्पी का लेआउट बाज़ारों, आवासीय स्थानों और धार्मिक संरचनाओं के लिये निर्दिष्ट क्षेत्रों के साथ एक सुव्यवस्थित शहर को दर्शाता है।
(1446-1565): परिपक्व काल (1446-1565):
- मंदिर और स्मारक:
- विट्ठल मंदिर: अपने प्रसिद्ध पत्थर के रथ और संगीतमय स्तंभों के लिये जाना जाने वाला, विट्ठल मंदिर विजयनगर स्थापत्य के शिखर का उदाहरण है। राया गोपुरम और अलंकृत नक्काशी इसकी भव्यता में योगदान करती है।
- कृष्ण मंदिर: भगवान कृष्ण को समर्पित यह मंदिर, जटिल नक्काशी और एक सीढ़ीनुमा पिरामिड संरचना को दर्शाता है, जो विकसित होती द्रविड़ शैली का प्रदर्शन करता है।
- शाही बाड़ा:
- कमल महल: हिंदू और इस्लामी स्थापत्य का एक अनूठा मिश्रण, कमल महल इस अवधि के दौरान धर्मनिरपेक्ष वास्तुकला का उदाहरण है। इसमें कमल के आकार का गुंबद और मेहराब बने हुए हैं।
- किले और सैन्य स्थापत्य:
- कृष्णदेव राय के किले की दीवार: रक्षात्मक संरचनाओं को मज़बूत करना विजयनगर स्थापत्य का एक अभिन्न अंग था। कृष्णदेव राय द्वारा निर्मित किलेबंदी ने रक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उत्तर चरण (1565-1646):
- धार्मिक स्थापत्य:
- वीरभद्र मंदिर: विजयनगर साम्राज्य के अंत में निर्मित यह मंदिर विजयनगर और नायक स्थापत्य शैली का मिश्रण प्रदर्शित करता है। इसकी स्तंभ और मूर्तियाँ जटिल शिल्प कौशल की परंपरा को व्यक्त करती हैं।
- पतन और प्रभाव:
- हम्पी का पतन (1565): वर्ष 1565 में तालीकोटा युद्ध के पश्चात् साम्राज्य को पतन का सामना करना पड़ा, जिससे हम्पी का विनाश हुआ। पतन के बावजूद, विजयनगर स्थापत्य ने क्षेत्र में बाद के राज्यों, जैसे मदुरै और तंजौर के नायकों को प्रभावित करना जारी रखा।
स्थापत्य इतिहास पर प्रभाव:
- मंदिर स्थापत्य में नवाचार: विजयनगर साम्राज्य ने नए तत्त्वों और शैलियों को पेश करके द्रविड़ मंदिर स्थापत्य के विकास में योगदान दिया है।
- शहरी संरचना: हम्पी के संगठित लेआउट ने क्षेत्र में बाद की शहरी संरचना को प्रभावित किया, जो शहरी विकास के लिये एक मॉडल के रूप में कार्य कर रहा था।
- मिश्रित शैली: विजयनगर स्थापत्य की विशेषता विभिन्न क्षेत्रीय शैलियों का मिश्रण है, जो विविध सांस्कृतिक और कलात्मक प्रभावों का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण प्रदर्शित करती है।
- सैन्य स्थापत्य: गढ़वाली संरचनाओं और सैन्य स्थापत्य पर ज़ोर दिये जाने से इसने दक्कन क्षेत्र के राज्यों को प्रभावित किया।
निष्कर्ष:
विजयनगर साम्राज्य के पतन के दौरान इसकी स्थापत्य विरासत कायम रही, जिसने दक्षिण भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिदृश्य को प्रभावित किया। शेष स्मारक साम्राज्य की भव्यता एवं रचनात्मक उपलब्धियों के प्रमाण के रूप में स्थित हैं।