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प्रश्न :
भारतीय संदर्भ में कृषि उत्पादों के वितरण (Transportation) और विपणन से जुड़ी जटिलताओं का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द
10 Jan, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- कृषि उत्पादों के वितरण और विपणन से संबंधित जटिलताओं के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- इसके लिये एक कुशल परिवहन प्रणाली की आवश्यकता का उल्लेख कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये
परिचय:
वैश्विक कृषि उत्पादन में दूसरे स्थान पर होने के बावजूद भारत को अपनी उपज के वितरण और विपणन में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जिससे कुल उपज के लगभग 15% का नुकसान होने से किसानों की आय एवं उपभोक्ता तक इसकी पहुँच प्रभावित होती है।
मुख्य भाग:
परिवहन बाधाएँ:
- कमज़ोर बुनियादी ढाँचा: भारत में 63,72,613 किमी. का सड़क नेटवर्क (विश्व का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क) है। इसमें से 70% सड़कें पक्की हैं और 30% सड़कें कच्ची हैं।
- अपर्याप्त लॉजिस्टिक्स: लॉजिस्टिक्स क्षेत्र समन्वय, मानकीकरण, नवाचार और विनियमन की कमी से ग्रस्त है। भारत में लॉजिस्टिक लागत सकल घरेलू उत्पाद का 13-14% अनुमानित है, जो वैश्विक औसत (8-9%) से काफी अधिक है।
- सीमित भंडारण सुविधाएँ: भारत में भंडारण क्षमता अपर्याप्त एवं असमान रूप से वितरित है। भारत की लगभग 60% शीत भंडारण क्षमता पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश राज्यों में केंद्रित है।
- भारत में कोल्ड स्टोरेज की क्षमता 37-39 मिलियन टन है, लेकिन इसकी केवल 60% क्षमता का ही उपयोग हो पाता है।
- निवेश की कमी: आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत सरकार द्वारा कुछ वस्तुओं पर स्टॉक सीमा, मूल्य नियंत्रण और निर्यात प्रतिबंध लगाया जाता है, जिससे भंडारण एवं परिवहन क्षेत्र में निजी निवेश तथा नवाचार हतोत्साहित होता है।
विपणन मुद्दे:
- बाज़ार विखंडन: भारत में अलग-अलग नियमों और बुनियादी ढाँचे के साथ 6,000 से अधिक कृषि बाज़ार हैं। इनमें जटिलता होने के साथ पारदर्शिता की कमी के कारण विपणन अक्षम हो जाता है।
- इसके अलावा कृषि उपज विपणन समिति (APMC) अधिनियम के तहत किसानों को अपनी उपज को केवल निर्दिष्ट बाज़ारों में बेचना होता है।
- बाज़ार की जानकारी का अभाव: कई किसानों को विभिन्न बाज़ारों में कृषि उत्पादों की मांग, आपूर्ति एवं कीमतों के बारे में विश्वसनीय और समय पर जानकारी नहीं मिल पाती है।
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय के एक सर्वेक्षण के अनुसार वर्ष 2023 में भारत में केवल 5.8% किसानों ने ही बाज़ार की जानकारी हेतु किसी स्रोत का उपयोग किया।
- मानकीकरण और गुणवत्ता नियंत्रण का अभाव: भारत में कृषि उत्पादों को उनकी गुणवत्ता, मात्रा एवं विविधता के अनुसार मानकीकृत तथा वर्गीकृत नहीं किया जाता है। इससे बाज़ार में मिलावट संबंधी समस्याएँ पैदा होती हैं।
- खाद्य और कृषि संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक में भारत 113 देशों में से 74वें स्थान पर है।
आगे की राह:
- सड़क, रेलवे, जलमार्ग, हवाई अड्डे, भंडारण के रूप में कृषि उपज हेतु बुनियादी ढाँचे संबंधी सुविधाओं में सुधार करना।
- कृषि उत्पादों के मानकीकरण एवं गुणवत्ता नियंत्रण को बढ़ावा देना, जैसे- उत्पादों की गुणवत्ता, मात्रा और विविधता के अनुसार ग्रेडिंग, लेबलिंग, प्रमाणीकरण एवं परीक्षण सुविधा प्रदान करना।
- नीतिगत सुधारों, डिजिटल तकनीक और वैकल्पिक विपणन चैनलों, प्रत्यक्ष विपणन, कृषक बाज़ार, अनुबंध कृषि एवं ई-ट्रेडिंग जैसे नवीन मॉडल के माध्यम से बाज़ार एकीकरण एवं प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देना।
- eNAM की पहुँच का विस्तार करना: eNAM प्लेटफॉर्म को दूरदराज़ के क्षेत्रों सहित सभी किसानों के लिये अधिक सुलभ बनाया जाना चाहिये।
निष्कर्ष:
भारतीय कृषि प्रणाली को पुनर्जीवित करने के साथ बुनियादी ढाँचे के विकास, प्रौद्योगिकी उन्नयन, किसान सशक्तीकरण और मूल्य संवर्द्धन के माध्यम से वितरण एवं विपणन चुनौतियों का समाधान करने से न केवल किसान समृद्ध होंगे बल्कि गुणवत्तापूर्ण उपज तक उपभोक्ताओं की पहुँच सुनिश्चित होगी।
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