भारत में जातीय अस्मिता गतिशील और स्थिर दोनों ही क्यों हैं? (250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- जाति व्यवस्था का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- जाति व्यवस्था की विशेषताएँ बताइये।
- भारतीय जाति व्यवस्था की गतिशील और स्थिर दोनों विशेषताओं को परिभाषित कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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भारत में जाति व्यवस्था सामाजिक स्तरीकरण, सामाजिक प्रतिबंध के साथ-साथ सकारात्मक कार्रवाई का आधार है। यह सामाजिक, आर्थिक एवं ऐतिहासिक कारणों से गतिशील तथा स्थिर दोनों तत्त्वों को प्रदर्शित करती है।
भारतीय जाति व्यवस्था की विशेषताएँ:
- जाति जन्मजात है: भारत में जाति व्यवस्था जटिल और गतिहीन है। यह जाति ही है जो जीवन में किसी की स्थिति निर्धारित करती है।
- पदानुक्रमित सामाजिक संरचना: समाज की जाति संरचना श्रेष्ठता और हीनता के संबंधों द्वारा एक साथ रखी गई पदानुक्रम या अधीनता की प्रणाली है।
जातीय अस्मिता का गतिशील पहलू:
- अंतर-जातीय विवाह: हाल के दशकों में अंतर-जातीय विवाह विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में अधिक आम हो गए हैं।
- शहरीकरण और प्रवासन: शहरीकरण और शहरों की ओर प्रवासन ने जातिगत अस्मिताओं को पीछे छोड़कर विषम एवं महानगरीय वातावरण का निर्माण किया है।
- शिक्षा और रोज़गार: शिक्षा का अधिकार (RTE) तथा सकारात्मक कार्रवाई जैसे कानूनों ने बेहतर शैक्षिक स्तर सुनिश्चित किया है, जैसा कि राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जैसे व्यक्तियों द्वारा उदाहरण दिया गया है, जो अनुसूचित जाति पृष्ठभूमि से आने के बावजूद देश के सर्वोच्च पद तक पहुँचे।
जातीय अस्मिता का स्थिर पहलू:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : भारत में जातीय अस्मिता की ऐतिहासिक जड़ें हज़ारों साल पुरानी हैं और जनता की सामूहिक चेतना में बनी हुई हैं।
- पारंपरिक व्यवसाय: कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अभी भी जाति से जुड़े वंशानुगत व्यवसाय का पालन करना जारी रखे हैं।
- जाति संघ: जाति पर आधारित संगठन अभी भी एक दबाव समूह के रूप में कार्य करते हैं।
इस प्रकार भारत में जाति गतिशील और स्थिर तत्त्वों की एक जटिल परस्पर क्रिया है। जाति बाधाओं को दूर करने के लिये विधायी एवं संवैधानिक उपायों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाने चाहिये।