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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    क्या भारतीय महानगरों में शहरीकरण गरीबों को और भी अधिक पृथक्करण और/या हाशिये पर ले जाता है? ( 250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)

    01 Jan, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • शहरीकरण की अवधारणा का संक्षिप्त विवरण देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि किस प्रकार शहरीकरण गरीबों को और भी अधिक पृथक्करण और/या हाशिये पर ले जाता है।
    • इस दृष्टिकोण पर बल देते हुए निष्कर्ष लिखिये कि शहरीकरण से जुड़ी जटिलताओं को दूर करने के लिये एक समग्र और समावेशी दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।

    परिचय:

    भारत में शहरीकरण एक अपरिहार्य समस्या बन गई है। एक विकसित शहर के निर्माण में अनियोजित विकास शामिल है, जो केवल अमीर तथा गरीब के बीच शहरों में प्रचलित द्वंद्व को बढ़ावा देता है। हालाँकि पृथक्करण तथा हाशियाकरण एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में भिन्न होता है।

    मुख्य भाग:

    शहरीकरण से गरीबों का पृथक्करण:

    • आय असमानताएँ: शहरीकरण के परिणामस्वरूप प्राय: आय असमानता की स्थिति उत्पन्न होती है, गरीबों के लिये वहनीय आवास विकल्प सीमित होते हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर इनके पृथक्करण को बढ़ावा मिलता है।
    • अपर्याप्त आवास नीतियाँ: अनियोजित शहरीकरण तथा अपर्याप्त आवास नीतियाँ, मलिन बस्तियों की सघनता का कारण हो सकती हैं।
    • रोज़गार के अवसर: विशिष्ट शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों का संकेंद्रण गरीबों को नौकरी की निकटता के कारण निम्न समुदायों में स्थानांतरित होने के लिये मजबूर कर सकता है।
    • रोज़गार के अवसर: शहर के विशिष्ट क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों का संकेंद्रण होने से गरीब समुदाय नौकरी की तलाश में कम सुविधा वाले नज़दीकी क्षेत्रों में बसने के लिये मजबूर हो सकते हैं।
    • सामाजिक पूर्वाग्रह: इसके कारण गरीब लोग अक्सर शहरी केंद्रों के परिधीय क्षेत्रों में विस्थापित हो सकते हैं।

    शहरीकरण के कारण पृथक्करण/हाशियाकरण को बढ़ावा मिलना:

    • सामाजिक सेवाओं का अभाव: शहरी मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा एवं स्वच्छता जैसी आवश्यक सेवाओं का अपर्याप्त प्रावधान गरीबों को हाशिये पर धकेल देता है।
    • भूमि विस्थापन: शहरी विकास परियोजनाएँ प्राय: शहरी गरीब समुदायों को उचित मुआवज़े या वैकल्पिक आवास विकल्पों के बिना विस्थापित कर देती हैं।
    • स्वास्थ्य संबंधी असमानताएँ: मलिन बस्तियों में भीड़भाड़ और अस्वच्छता स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती है, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुँच समस्या को बढ़ाती है।
    • सामाजिक भेदभाव: शहरी गरीबों को उनकी आर्थिक स्थिति एवं पृष्ठभूमि के आधार पर भेदभाव तथा सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है।

    गरीबों के पृथक्करण/हाशियाकरण के समाधान हेतु सरकारी पहलें:

    • प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना
    • कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन
    • दीनदयाल अंत्योदय योजना

    निष्कर्ष:

    हालाँकि विभिन्न स्तरों पर कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इनकी सफलता बेहतर नीति कार्यान्वयन, सामुदायिक भागीदारी और शहरी गरीबों के अधिकारों के लिये निरंतर समर्थन पर निर्भर करेगी।

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