जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) ने वैश्विक समुद्र जलस्तर में 2100 ईस्वी तक लगभग एक मीटर की वृद्धि का पूर्वानुमान लगाया है। हिंद महासागर क्षेत्र में भारत और दूसरे देशों पर इसका क्या प्रभाव होगा? ( 250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत पर वैश्विक समुद्री जल स्तर में वृद्धि के प्रभाव की चर्चा कीजिये और इसके नकारात्मक प्रभाव से निपटने की तैयारियों हेतु उपाय बताइये।
- समाधान आधारित दृष्टिकोण के साथ निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
वैश्विक तापन और उससे जुड़ी समस्याएँ, जो कभी पूर्व की धारणाएँ मात्र थीं, अब वास्तविक समस्याएँ बन गई हैं। IPCC की रिपोर्ट जारी होने के पश्चात् से वैश्विक समुद्र स्तर में वृद्धि और इसके प्रभाव पर व्यापक रूप से चर्चा हो रही है।
मुख्य भाग:
भारत और क्षेत्र पर प्रभाव:
- पर्यावरणीय प्रभाव:
- तटरेखा का संकुचन: भारत को अपनी विशाल तटरेखा से अत्यधिक आर्थिक लाभ प्राप्त होता है। यदि तटरेखा का संकुचन होगा तो यह आर्थिक लाभ संकट में पड़ जाएगा।
- तटीय आर्द्रभूमि का क्षरण: तटीय क्षेत्रों के निकट आर्द्रभूमियों के क्षरण एवं विलुप्त होने का खतरा है।
- प्रवाल विरंजन: समुद्र की सतह के बढ़ते स्तर के परिणामस्वरूप मीठे जल के तनुकरण से प्रवाल विरंजन होना स्वाभाविक है।
- जीव-जंतुओं का विस्थापन: जीव-जंतु एवं जैव-विविधता का स्वयं के पर्यावरण से विस्थापन पारिस्थितिक तनाव उत्पन्न करेगा।
- भूजल लवणता: समुद्री अलवणीय जल से भूजल दूषित हो जाता है, जिससे उपयोग योग्य भूजल की उपलब्धता कम हो जाती है।
- आर्थिक प्रभाव:
- संपत्ति और संसाधन: तटीय आपदाओं की बढ़ती घटनाओं के कारण संपत्ति और संसाधनों को होने वाली हानि राष्ट्र के लिये संकट उत्पन्न करेगी।
- आजीविका की हानि: लागत आधारित व्यवसायों में रोज़गार प्रभावित होगा क्योंकि आजीविका के विकल्पों की कमी के कारण लोगों को स्थानांतरित होना पड़ेगा। इसके परिणामस्वरूप रोज़गार का पैटर्न भी परिवर्तित होगा।
- सामाजिक प्रभाव:
- जन विस्थापन: जलवायु शरणार्थी उन लोगों का एक समूह है जो जलवायु परिवर्तन के कारण विस्थापित हुए हैं। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण अपने मूल स्थान से विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या प्रति वर्ष बढ़ रही है।
- अंतर्देशीय तनाव: तटीय क्षेत्रों में परिवर्तन के कारण विस्थापित लोग अंतर्देशीय स्थानों की ओर जाने के लिये बाध्य हैं, जिससे पूर्व से ही तनावग्रस्त संसाधनों पर दबाव पड़ेगा।
उपाय:
- मैंग्रोव वृक्षारोपण जैसी गतिविधियाँ बढ़ती समुद्री तटीय समस्याओं को कम करने में सहायता कर सकती हैं।
- तटीय विनियमन क्षेत्र (CRZ) नियम एवं एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजना तटीय क्षेत्रों में प्रबंधन और संसाधन उपयोग को विनियमित करने का प्रयास करती है।
कई अन्य शोध और भी अधिक विनाशकारी परिणामों के साथ इन प्रभावों की भावी संभावनाओं को व्यक्त करते हैं। समुद्र के स्तर में वृद्धि के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए, सरकार को विशेष रूप से बढ़ते समुद्र के स्तर से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिये एक समग्र नीति पर कार्य करने की आवश्यता है।
निष्कर्ष:
इन चुनौतियों से निपटने के लिये क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग महत्त्वपूर्ण है। हिंद महासागर क्षेत्र के लोगों, पारिस्थितिकी प्रणालियों और अर्थव्यवस्थाओं पर समुद्र के जल स्तर में वृद्धि के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने हेतु स्थायी अनुकूलन एवं शमन रणनीतियों का विकास एवं कार्यान्वयन आवश्यक है।