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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "वंचितों के विकास और कल्याण की योजनाएँ अपनी प्रकृति से ही दृष्टिकोण में भेदभाव करने वाली होती हैं।" क्या आप सहमत हैं? अपने उत्तर के पक्ष के कारण दीजिये। (250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)

    26 Dec, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रश्न के संदर्भ को संक्षेप में बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • सकारात्मक भेदभाव की अवधारणा के संबंध में अपनी राय और तर्क प्रदान कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    पहली पंचवर्षीय योजना की शुरुआत के बाद से सरकार ने समाज के कमज़ोर वर्गों के उत्थान हेतु कई कल्याणकारी योजनाओं पर काम किया है। हालाँकि ये योजनाएँ एक खास वर्ग के लिये फायदेमंद हैं, लेकिन इनके खिलाफ विरोध नहीं दिखा है।

    मुख्य भाग:

    सकारात्मक भेदभाव की अवधारणा:

    • यह समाज के एक विशेष वर्ग को लाभ प्रदान करने का कार्य है, जो उनके खिलाफ भेदभाव के इतिहास पर आधारित है।
      • उदाहरण के लिये, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों को अतीत में उनके साथ हुए अमानवीय व्यवहार की भरपाई हेतु आरक्षण प्रदान करना।
    • यह दृष्टिकोण 'समता' के बजाय 'समानता' पर केंद्रित है, जिससे एक निश्चित जीवन स्तर तक पहुँचने के लिये समूहों की आवश्यकताओं में अंतर को पहचाना जाता है।

    इसकी आवश्यकता क्यों है?

    • कुछ समुदायों के पिछले नुकसानों ने उन्हें इतना वंचित कर दिया है कि सकारात्मक कार्रवाई के बिना उनके सामाजिक, शैक्षिक, राजनीतिक और आर्थिक स्तर को बेहतर करना मुश्किल है।
    • भारत में भौगोलिक भिन्नताओं के कारण कुछ स्थानों पर अतिरिक्त लाभ प्रदान करना आवश्यक हो जाता है।
    • उदाहरण के लिये, पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना (NESIDS)।
    • हमारे देश में लैंगिक असमानताएँ बहुत लंबे समय से मौज़ूद हैं, कन्या भ्रूण हत्या और बाल विवाह जैसी समस्याएँ हमारे समाज के मूल ढाँचे में अंतर्निहित हैं।
    • इसलिये ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘किशोरी शक्ति योजना’ जैसी योजनाएँ महत्त्वपूर्ण हैं।
    • पूरे समाज में आर्थिक मतभेद जिनकी जड़ें जाति व्यवस्था में मौज़ूद हैं, वंचित समूहों के लिये आर्थिक समस्याओं से बाहर निकलना मुश्किल बना देते हैं। इन समूहों को समर्थन देने हेतु समर्पित आर्थिक उत्थान योजनाओं की आवश्यकता है।
    • उदाहरण के लिये, जन धन योजना और SC/ST छात्रों को योग्यता आधारित छात्रवृत्ति।

    निष्कर्ष:

    इसलिये जबकि यह सच है कि वंचितों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ वास्तव में भेदभावपूर्ण प्रकृति की हैं, यह ध्यान में रखा जाना चाहिये कि यह 'सकारात्मक भेदभाव' उनके खिलाफ दशकों से हुए अन्याय की भरपाई के लिये किया गया है।

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