भारत के तीसरे चंद्रमा मिशन का मुख्य कार्य क्या है जिसे इसके पहले के मिशन में हासिल नहीं किया जा सका? जिन देशों ने इस कार्य को हासिल कर लिया है उनकी सूची दीजिये। प्रक्षेपित अंतरिक्ष यान की उपप्रणालियों को प्रस्तुत कीजिये और विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के ‘आभासी प्रक्षेपण नियंत्रण केंद्र’ की उस भूमिका का वर्णन कीजिये जिसने श्रीहरिकोटा से सफल प्रक्षेपण में योगदान दिया है। ( 250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
20 Dec, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी
हल करने का दृष्टिकोण:
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परिचय:
चंद्रयान-3, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला मिशन है इसके माध्यम से भारत ने विश्व के समक्ष इतिहास रचने का कार्य किया है। भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के साथ चंद्रमा पर इस प्रकार का सफल प्रक्षेपण करने वाला विश्व का चौथा देश बन गया है।
मुख्य भाग:
चंद्रयान-3 में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल थे। रोवर का लक्ष्य लैंडिंग साइट के चारों ओर अंवेषण कार्य करना एवं प्रयोग करना है तथा प्राप्त आँकड़ों को लैंडर को प्रेषित करना है जो तद्नुसार ऑर्बिटर को आँकड़े भेजेगा, अंततः ऑर्बिटर इन आँकड़ों को पृथ्वी पर भेजने का कार्य करेगा। चंद्रयान-3 एक
महत्त्वपूर्ण मिशन बन सकता है क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के 'स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों' पर जल, बर्फ और अन्य संसाधन मौज़ूद हो सकते हैं। इसके लिये, चंद्रयान-3 में मौज़ूद विभिन्न उपप्रणालियाँ इससे संबंधित प्रयोगों के लक्ष्य अंतर्निहित करती हैं।
लैंडर पेलोड:
रोवर पेलोड:
प्रणोदन मॉड्यूल पेलोड:
वर्चुअल लॉन्च कंट्रोल सेंटर की भूमिका:
निष्कर्ष:
चंद्रयान-3 की सफलता के साथ ही भारत अब चंद्रयान-4 मिशन के अंतर्गत चंद्रमा की सतह से नमूना पुनर्प्राप्ति की आशा कर सकता है जो चंद्रमा सतह के संबंध में हमारे ज्ञान में वृद्धि करने में सहायक होगा। इस सफल प्रक्षेपण के परिणामस्वरूप हमारे मनोबल में हुई वृद्धि आगामी मिशनों के लिये भी प्रेरणा प्रदान करेगी।