संसदीय समिति प्रणाली की संरचना को समझाइये। भारतीय संसद के संस्थानीकरण में वित्तीय समितियों ने कहाँ तक मदद की? ( 250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत में संसदीय समिति प्रणाली का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- संसदीय समितियों के प्रकार बताते हुए वित्तीय समितियों की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
- वित्तीय समितियों के महत्त्व को व्यक्त करते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
संसदीय समितियाँ संसद के पटल पर समय बचाने और विशेषज्ञों की राय लेकर तथा राष्ट्रीय हित के मामलों पर समर्पित समय खर्च करके सर्वोत्तम नीति निर्माण सुनिश्चित करने के लिये तैयार किया गया एक प्रमुख उपकरण है।
मुख्य भाग:
संसदीय समितियों के प्रकार:
- स्थायी समितियाँ: ये वार्षिक रूप से गठित स्थायी निकाय हैं।
- स्थायी समितियों को निम्नलिखित छह श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- वित्तीय समितियाँ
- विभागीय स्थायी समितियाँ
- पूछताछ हेतु समितियाँ
- जाँच और नियंत्रण हेतु समितियाँ
- सदन के दिन-प्रतिदिन के कार्य से संबंधित समितियाँ
- हाउस-कीपिंग समितियाँ या सेवा समितियाँ
- तदर्थ समितियाँ: ये विशेष कार्यों के लिये बनाई गई अस्थायी समितियाँ हैं।
- इसके अंतर्गत दो श्रेणियाँ शामिल हैं 'जाँच समितियाँ' और 'सलाहकार समितियाँ'।
- वित्तीय समितियों और संसद का संस्थागतकरण
- तीन विशिष्ट वित्तीय समितियाँ हैं, जो विशिष्ट कार्य करती हैं। ये समितियाँ हैं:
प्राक्कलन समिति:
- ये समितियाँ व्यय की दक्षता का आकलन करती हैं और नीतिगत बदलावों का सुझाव देती हैं, इसलिये इन्हें सतत् अर्थव्यवस्था समिति कहा जाता है।
- ये यह सुनिश्चित करती हैं कि पॉलिसी की आवश्यकताओं के अनुसार पैसा अच्छी तरह से रखा गया है अथवा नहीं तथा यह सुझाव देती हैं कि अनुमानों को संसद में किस रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिये।
सार्वजनिक उपक्रम समितियाँ:
- ये अनिवार्य रूप से सार्वजनिक उपक्रमों के प्रदर्शन का आकलन करती हैं तथा सार्वजनिक उपक्रमों की दक्षता और स्वायत्तता सुनिश्चित करती हैं।
- समिति की भूमिका केवल सलाहकार की है और वह रोजमर्रा के तकनीकी मामलों की जाँच या निरीक्षण नहीं करती है।
लोक लेखा समिति (PAC):
- वे सार्वजनिक व्यय की जाँच तकनीकी दृष्टिकोण के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से भी करते हैं। यह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट का ऑडिट करता है।
- यह कार्यपालिका की वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित करता है तथा सरकारी योजनाओं व परियोजनाओं की जाँच करता है। उदाहरण के लिये, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन।
निष्कर्ष:
पिछले कुछ वर्षों में वित्तीय समितियाँ संसद के समुचित कामकाज और संस्थागतकरण के लिये महत्त्वपूर्ण साबित हुई हैं। तीन वित्तीय समितियाँ सरकार के वित्तीय मामलों में वित्तीय विवेक, जवाबदेही तथा पारदर्शिता स्थापित करने में मदद करती हैं।