101वें संविधान संशोधन अधिनियम का महत्त्व समझाइये। यह किस सीमा तक संघवाद की समावेशी भावना को दर्शाता है? ( 250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- 101वें संविधान संशोधन अधिनियम का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- इस अधिनियम के महत्त्व का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह संघवाद को किस प्रकार प्रभावित करता है।
- इस अधिनियम के सकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
101वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम द्वारा 'वस्तु एवं सेवा कर' (GST) को लागू करके अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के सरलीकरण की प्रक्रिया हासिल की गई। GST ने वस्तुओं और सेवाओं पर विभिन्न करों को एक कर में समेकित कर दिया, जिससे आपूर्ति शृंखला में कराधान सरल हो गया।
मुख्य भाग:
अधिनियम का महत्त्व:
सम्मिलित विभिन्न अप्रत्यक्ष कर: सेवा कर, उत्पाद शुल्क जैसे सभी करों को GST के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है, जिससे भारत में कराधान एकीकृत हो गया है।
- कम अनुपालन बोझ: GST व्यवस्था के तहत करों की गणना आसान हो गई है जिससे अनुपालन का बोझ कम हो गया है।
- कर प्रशासन को सरल बनाना: कर संबंधी प्रयासों के अतिरेक और दोहराव को बहुत कम कर दिया गया है जिससे कराधान सरल हो गया है।
- व्यापार सुगमता में वृद्धि: कुछ राज्यों और प्रकारों में कराधान एक बोझिल प्रक्रिया हुआ करती थी जिसे अब ऑनलाइन स्थानांतरित कर दिया गया है।
- करों का व्यापक प्रभाव: उत्पादन के प्रत्येक चरण पर कर लगाने तथा इस प्रकार कर पर कर लगाने की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया।
- गंतव्य-आधारित कराधान: मूल्य वर्द्धित कर (VAT) के विपरीत, जो विनिर्माण या बिक्री के समय लगाया जाता था, GST एक गंतव्य-आधारित कराधान प्रणाली है।
अधिनियम और संघवादल:
- अधिनियम एक प्रावधान के साथ आया था जिसमें राज्यों को GST के कार्यान्वयन के कारण होने वाले किसी भी नुकसान के लिये मुआवज़ा दिया गया था।
- GST परिषद में केंद्र और राज्य दोनों के सदस्य शामिल हैं तथा निर्णय आम सहमति पर आधारित होते हैं, इसलिये सहकारी संघवाद को मज़बूत किया जाता है।
- GST के कारण बढ़े हुए राजस्व ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के लिये अधिक वित्त सुनिश्चित किया है, जिससे बुनियादी ढाँचे के विकास में मदद मिली है।
- GST से व्यापार में अंतर-राज्यीय बाधाएँ बहुत कम हो गई हैं, जिससे देश भर में व्यापार आसानी से संचालित हो रहा है।
निष्कर्ष:
101वें संविधान संशोधन अधिनियम ने वस्तु एवं सेवा कर को लागू करके राज्यों में व्यापार को सरल बनाने में पर्याप्त सहायता की है। राज्यों और केंद्र सरकारों के लिये बढ़ा हुआ राजस्व एक राष्ट्र, एक कर के उद्देश्य के साथ देश में संघवाद को मज़बूत करने की अनुमति देता है।