गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थीं? समकालीन दुनिया में उनकी प्रासंगिकता की व्याख्या कीजिये। (150 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- गुरु नानक देव और उनकी शिक्षाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- उनकी प्रमुख शिक्षाओं पर चर्चा कीजिये।
- समकालीन विश्व में उनकी शिक्षाओं की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
गुरु नानक सिख धर्म के संस्थापक और एक समाज सुधारक थे जिन्होंने समानता, सेवा, ईमानदारी और सद्भाव के सिद्धांतों पर बल दिया था। उनकी शिक्षाएँ समकालीन विश्व में अत्यधिक प्रासंगिक बनी हुई हैं।
मुख्य भाग:
सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक द्वारा दी गई शिक्षाएँ, समकालीन दुनिया में अत्यधिक प्रासंगिक बनी हुई हैं।
उनकी प्रमुख शिक्षाएँ:
- एक ईश्वर (इक ओंकार): गुरु नानक ने कई देवताओं की धारणा को खारिज करते हुए एक सार्वभौमिक ईश्वर की सत्ता पर बल दिया। धार्मिक सहिष्णुता एवं एकता को बढ़ावा देने वाला यह एकेश्वरवादी सिद्धांत, धार्मिक विविधता एवं संघर्षों की दुनिया में महत्त्वपूर्ण है।
- समानता और सामाजिक न्याय: गुरु नानक ने समानता का समर्थन करने के साथ सिख धर्म में न्याय, लैंगिक समानता तथा सेवाभाव जैसे मूल्यों को प्रेरित किया। वर्तमान दुनिया में उनकी शिक्षाएँ भेदभाव एवं असमानता के खिलाफ हमारे संघर्ष में आशा की किरण बनी हुई हैं।
- निस्वार्थ सेवा: गुरु नानक ने 'सेवाभाव' को बढ़ावा दिया। मानवता हेतु निस्वार्थ सेवा, करुणा, परोपकारिता और ज़िम्मेदारी की उनकी भावना आज भी प्रासंगिक है।
- अंतर-धार्मिक संवाद: गुरु नानक ने संवादों के माध्यम से अंतर-धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देने के साथ विविधता में एकता पर ज़ोर दिया। उनकी शिक्षाएँ वैश्विक शांति और सह-अस्तित्व के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- अनुष्ठानों और अंधविश्वासों को अस्वीकार करना: गुरु नानक ने आधारहीन अनुष्ठानों और अंधविश्वासों को खारिज करने के साथ ईश्वर की प्रत्यक्ष भक्ति पर बल दिया।
निष्कर्ष:
समकालीन दुनिया में गुरु नानक की शिक्षाएँ न केवल समावेशी, परोपकारी और सामंजस्यपूर्ण समाज को प्रेरित करने पर केंद्रित हैं बल्कि इनसे धार्मिक असहिष्णुता एवं सामाजिक असमानता जैसे आधुनिक मुद्दों का भी समाधान होता है जिससे हम अधिक प्रबुद्ध और न्यायसंगत भविष्य की ओर बढ़ने में सक्षम होते हैं।