भारत में कृषि क्षेत्र को दी जाने वाली प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सब्सिडी क्या हैं? विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) द्वारा उठाए गए कृषि सब्सिडी संबंधी मुद्दों की विवेचना कीजिये। (250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- सब्सिडी की अवधारणा पर संक्षेप में चर्चा करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत में कृषि क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष सब्सिडी का उल्लेख करते हुए कृषि सब्सिडी के संबंध में WTO द्वारा उठाए गए मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार चिंताओं को संबोधित करते हुए कृषि क्षेत्र का समर्थन करने वाले संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
सब्सिडी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था के अंतर्गत विशिष्ट क्षेत्रों अथवा व्यक्तियों को प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता का एक रूप है। सब्सिडी का प्राथमिक उद्देश्य वस्तुओं और सेवाओं की लागत को कम करना तथा आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है।
मुख्य भाग:
भारत में कृषि क्षेत्र को प्रदान की जाने वाली प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सब्सिडी:
- किसानों के लिये उर्वरकों को किफायती बनाने के लिये सरकार NPK उर्वरकों पर सब्सिडी प्रदान करती है।
- HYV और आनुवंशिक रूप से उन्नत किस्मों के बीजों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिये प्रमाणित बीजों पर सब्सिडी प्रदान करती है।
- पी.एम.-किसान योजना के तहत केंद्र सरकार प्रत्येक किसान को प्रति वर्ष 6,000 रुपए का सीधा नकद अंतरण करती है।
- किसानों को कृषि मशीनरी और उपकरणों की खरीद के लिये भी सब्सिडी प्रदान की जाती है। उदाहरण के लिये, कृषि मशीनीकरण पर उप-मिशन (SMAM) योजना।
- भारत सरकार कुछ प्रमुख फसलों के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान करती है, इसके तहत किसानों को विभिन्न फसलों की लिये गारंटीकृत मूल्य प्रदान किया जाता है।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) द्वारा उठाए गए कृषि सब्सिडी संबंधी मुद्दे:
- WTO के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य तंत्र व्यापार को विकृत करता है, विशेष रूप से चावल के संदर्भ में, जिसमे सब्सिडी निर्धारित सीमा से काफी अधिक है।
- WTO भारत की कृषि पद्धतियों को पर्यावरण के लिये हानिकारक मानता है क्योंकि कृषि उपयोगों के लिये भू-जल का अत्यधिक दोहन तथा उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग चिंता का विषय बन गया हुआ है।
- कृषि संबंधी वस्तुओं की निर्यात मात्रा बढ़ाने के लिये घरेलू कृषि निर्यातकों को प्रदान किया जाने वाला सरकारी समर्थन भी चिंता का एक अन्य विषय रहा है।
निष्कर्ष:
कृषि भारत की लगभग आधी आबादी के लिये रोज़गार का स्रोत है और खाद्य असुरक्षा तथा बेरोज़गारी को कम करने में सब्सिडी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वैश्विक व्यापार प्रथाएँ इस प्रकार होनी चाहिये जिससे विकासशील देशों को अपनी आबादी के बड़े हिस्से को निर्धनता से बाहर निकालने के लिये पर्याप्त अवसर प्राप्त हो सके।