भारत में राज्य विधायिकाओं में महिलाओं की प्रभावी एवं सार्थक भागीदारी और प्रतिनिधित्व के लिये नागरिक समाज समूहों के योगदान पर विचार कीजिये। ( 250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- नागरिक समाज समूहों के बारे में बताते हुए सामाजिक एवं राजनीतिक परिवर्तनों को बढ़ावा देने में इनकी भूमिका को संक्षेप में परिभाषित कीजिये।
- महिलाओं की प्रभावी एवं सार्थक भागीदारी के लिये नागरिक समाज समूहों के योगदान पर चर्चा कीजिये।
- राज्य विधानसभाओं में महिलाओं की भागीदारी को आकार देने में नागरिक समाज समूहों के महत्त्व पर बल देते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
नागरिक समाज उन समुदायों एवं समूहों को संदर्भित करता है जो समाज में कुछ लोगों या मुद्दों को समर्थन प्रदान करने के लिये सरकार के बाहर कार्य करते हैं। वे नीति निर्धारण को प्रभावित करने के लिये गुप्त रूप से कार्य करते हैं। भारत जैसे बड़े देश में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाने के लिये स्वैच्छिक नागरिक समूह आवश्यक हैं।
मुख्य भाग:
योगदान:
- जागरूकता बढ़ाना: नागरिक समाज समूहों ने ज़मीनी स्तर पर आवश्यक जागरूकता उत्पन्न करने के लिये छोटे बैचों के रूप में जनता को शिक्षित किया है। इस संबंध में दबाव समूहों द्वारा '50% आरक्षण' जैसी कई पहलें की गई हैं।
- नीति परिवर्तन: ये संगठन विधायिका द्वारा नीति निर्माण को प्रभावित करने के लिये दबाव समूहों के माध्यम से विधायी प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। वे प्रमुख समस्या क्षेत्रों की पहचान करने तथा उन पर विशेष रूप से काम करने के लिये अनुसंधान एवं डेटा संग्रह में भी शामिल हैं।
- क्षमता निर्माण: ये समूह महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं और उन्हें विधायी प्रक्रिया में भाग लेने के लिये आवश्यक कौशल विकसित करने में सहायता कर रहे हैं। नागरिक समूह महिला नेताओं के आने तथा सामूहिक रूप से अधिक राजनीतिक भागीदारी के लिये रणनीति बनाने के लिये भी मंच तैयार करते हैं।
निष्कर्ष:
इसलिये भारत की विधायी प्रक्रिया पर नागरिक समाज समूहों के प्रभाव को कम करके नहीं आँका जा सकता। 'महिला आरक्षण विधेयक, 2023' का पारित होना देश पर नागरिक समूहों के सकारात्मक प्रभावों का प्रमाण है।