संघीय सरकार द्वारा 1990 के दशक के मध्य से अनुच्छेद 356 के उपयोग की कम आवृत्ति के लिये ज़िम्मेदार विधिक एवं राजनीतिक कारकों का विवरण प्रस्तुत कीजिये। ( 250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अनुच्छेद 356 और इसके महत्त्व का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- 1990 के दशक के मध्य से इसके उपयोग में गिरावट होने के कारकों पर चर्चा कीजिये।
- इस बात पर बल देते हुए निष्कर्ष लिखिये कि धारा 356 के कम उपयोग ने लोकतंत्र को मज़बूत किया है।
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परिचय:
अनुच्छेद 356, जिसे बोलचाल की भाषा में राष्ट्रपति शासन कहा जाता है, संघ को कुछ मामलों में राज्य मशीनरी पर सीधे नियंत्रण लेने की शक्ति प्रदान करता है, जहाँ उसका मानना है कि राज्य संविधान के प्रावधानों के अनुसार सामान्य कामकाज़ जारी करने में असमर्थ है।
मुख्य भाग:
हालाँकि यह माना जाता था कि यह एक 'मृत पत्र' है जिसका उपयोग शायद ही कभी किया जाएगा, अतीत में इसका उपयोग 100 से अधिक बार किया गया है। लेकिन हाल के दिनों में विभिन्न राजनीतिक एवं कानूनी कारकों के कारण इसका उपयोग काफी कम हो गया है।
कम आवृत्ति के कारक:
- एस.आर. बोम्मई मामला: इस प्रतिष्ठित मामले ने अनुच्छेद 356 के उपयोग को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया।
- इसने अनुच्छेद को लागू करने के निर्णय को न्यायिक समीक्षा का विषय बना दिया तथा राष्ट्रपति शासन को उचित ठहराने के लिये 'भौतिक साक्ष्य को आवश्यक' बना दिया।
- अंत में इसने न्यायालय को राज्य विधायिका को बहाल करने की शक्ति प्रदान की, यदि वह किसी राज्य में अनुच्छेद के आवेदन के तर्क से संतुष्ट नहीं है।
- अंतर-राज्यीय परिषदें: इनके गठन से राज्य एवं केंद्र के बीच संबंधों में सुधार हुआ।
- गठबंधन की राजनीति: इसके उद्भव के साथ केंद्र में पक्षकारों को उन क्षेत्रीय पार्टियों के प्रति अधिक उदार होना पड़ा जो केंद्र में विभिन्न पार्टियों को सशक्त बना रही थीं।
- क्षेत्रीय दलों का उदय: मज़बूत क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के उदय के साथ, केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कठिन होता गया।
निष्कर्ष:
विभिन्न राजनीतिक एवं कानूनी मामलों में अनुच्छेद 356 के कम उपयोग ने भारत को एक स्वस्थ, अधिक संघीय लोकतंत्र बना दिया है।