वैदिक समाज और धर्म की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं? क्या आप सोचते हैं कि उनमें से कुछ विशेषताएँ भारतीय समाज में अभी भी प्रचलित हैं? (250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- वैदिक काल और उसके ऐतिहासिक संदर्भ (1500 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व) का संक्षेप में परिचय देते हुए वैदिक समाज के महत्त्व का उल्लेख कीजिये।
- वैदिक समाज और धर्म की मुख्य विशेषताओं पर चर्चा करने के साथ बताइये कि वैदिक विरासत आज भी कैसे प्रासंगिक बनी हुई है। वैदिक परंपराओं को कमज़ोर करने वाले कुछ कारकों की भी चर्चा कीजिये।
- आधुनिक भारत में वैदिक समाज की स्थायी विरासत के महत्त्व तथा विश्व की बदलती मांगों के साथ इस परंपरा को संतुलित करने की जटिलताओं को बताते हुए निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
वैदिक काल (लगभग 1500 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व तक) का भारतीय इतिहास में प्रमुख स्थान है। इसने भारतीय समाज और धर्म को व्यापक रूप से प्रभावित किया है।
मुख्य भाग:
इसकी प्रमुख विशेषताएँ:
- अनुष्ठान बलि प्रथा (यज्ञ): देवताओं को प्रसन्न करने के लिये मंत्रों के साथ अनुष्ठान करना।
- वर्ण व्यवस्था: कौशल और योग्यता के आधार पर समाज का वर्गीकरण, आगे चलकर यह जाति व्यवस्था का आधार बना।
- धर्म की अवधारणा: जीवन के विभिन्न चरणों और उत्तरदायित्व हेतु नैतिक एवं सैद्धांतिक अवधारणा की विद्यमानता।
- दार्शनिक ग्रंथ (उपनिषद्): स्वयं (आत्मा), परम सत्य (ब्रह्म) और आत्मज्ञान (मोक्ष) के मार्ग जैसी विभिन्न अवधारणाओं पर ग्रंथ।
- संसार और कर्म की अवधारणाएँ: जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से संबंधित अवधारणाओं के साथ कारण तथा प्रभाव एवं आध्यात्मिक उन्नति संबंधी सिद्धांतों की विद्यमानता।
आधुनिक भारत में वैदिक परंपरा के तत्त्व:
- अनुष्ठान और त्योहार: दिवाली जैसे वैदिक अनुष्ठान, संस्कृति और आध्यात्मिकता का हिस्सा हैं।
- दर्शन: वैदिक दर्शन ने वेदांत और योग जैसी विचारधाराओं को प्रभावित किया है। सत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद् में शामिल है।
- प्राकृतिक तत्त्व: प्राकृतिक तत्त्वों के साथ गंगा जैसी पवित्र नदियों के प्रति सम्मान, संस्कृति में अंतर्निहित है।
- उत्सव और नृत्य रूप: भरतनाट्यम और ओडिसी जैसे शास्त्रीय नृत्य रूपों में वैदिक ग्रंथों से संबंधित विवरण को दर्शाया जाता है।
- आयुर्वेद और चिकित्सा: भारत में प्रचलित आयुर्वेद, वैदिक ज्ञान पर आधारित एक प्राचीन चिकित्सा प्रणाली है।
वैदिक परंपरा से संबंधित प्रभावों को कम करने वाले कारक:
- शहरीकरण और आधुनिकीकरण: इससे कृषि के साथ ग्रामीण समाज की ऐसी पारंपरिक प्रथाओं में परिवर्तन हुआ है, जो वैदिक समाज का अभिन्न अंग हुआ करती थीं।
- इंटरनेट और सोशल मीडिया द्वारा लोग विभिन्न प्रकार के विचारों से अवगत हुए हैं।
- वैश्वीकरण: वैश्विक स्तर पर संस्कृतियों और विचारों के समन्वय से महानगरीय जीवनशैली के साथ वैश्विक दृष्टिकोण को प्राथमिकता मिली है।
निष्कर्ष:
प्राचीन परंपराओं और समकालीन प्रभावों के बीच परस्पर क्रिया, अपनी विरासत को संरक्षित करते हुए भारत की अनुकूलन क्षमता को दर्शाती है। यह सांस्कृतिक समृद्धि के साथ विकसित होने तथा परिवर्तन को अपनाने की भारत की क्षमता का परिचायक है।