“भारत का संविधान अत्यधिक गतिशील क्षमताओं के साथ एक जीवंत यंत्र है। यह एक प्रगतिशील समाज के लिये बनाया गया संविधान है।” जीने के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में हो रहे निरंतर विस्तार के विशेष संदर्भ में उदाहरण सहित व्याख्या कीजिये। ( 250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारतीय संविधान की गतिशील प्रकृति और समाज की बदलती ज़रूरतों हेतु इसकी अनुकूलन क्षमता पर प्रकाश डालने वाले एक संक्षिप्त परिचय के साथ उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारतीय संविधान की गतिशीलता और विभिन्न निर्णयों के माध्यम से अनुच्छेद 21 के तहत खोजे गए नए क्षितिजों पर चर्चा कीजिये।
- इस विचार को दोहराते हुए निष्कर्ष दीजिये कि भारत का संविधान एक जीवंत यंत्र है जो समाज की प्रगतिशील आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है।
|
परिचय:
समाज की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए समय-समय पर संविधान में संशोधन और उसे उन्नत करने का प्रावधान संविधान को एक जीवंत दस्तावेज़ बनाता है। अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में हो रहा निरंतर विस्तार इसका एक प्रमुख उदाहरण है, समय के साथ इसके नए पहलुओं की खोज की गई है।
मुख्य भाग:
भारतीय संविधान की गतिशीलता:
- प्रिवी पर्स की समाप्ति: 26वें संशोधन द्वारा संविधान ने सामाजिक रूप से प्रगतिशील कदम उठाया और समानता में सुधार के कदम के रूप में राजा/महाराजाओं के विशेषाधिकारों को छीन लिया।
- लोकसभा सीटों में वृद्धि: जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिये क्रमशः सीटों की संख्या में वृद्धि की आवश्यकता होती है।
- मूल संरचना सिद्धांत: प्रतिष्ठित केशवानंद भारती मामला और 'बुनियादी संरचना सिद्धांत' के बाद का विकास संविधान की गतिशीलता को दर्शाता है।
अनुच्छेद 21 के तहत नये क्षितिज (Horizon):
- निजता का अधिकार: न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ मामले (2017) में सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिकार को अनुच्छेद 21 का अंतर्निहित अधिकार घोषित किया।
- आश्रय का अधिकार: इसे राजेश यादव बनाम यूपी राज्य मामले में एक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई थी, जहाँ न्यायालय ने कहा था कि निवासियों को घर देना राज्य का कर्त्तव्य है।
- ट्रांसजेंडरों के अधिकार: इस अधिकार को NALSA बनाम भारत संघ मामले (2014) में पेश किया गया, इसने स्वतंत्रता, सम्मान और भेदभाव से मुक्ति के उनके अधिकारों की पुष्टि की।
- गरिमा के साथ मृत्यु का अधिकार: कॉमन कॉज़ बनाम भारत संघ के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सक-सहायता आत्महत्या (PAS), जिसे अक्सर निष्क्रिय इच्छामृत्यु के रूप में जाना जाता है, को यह कहते हुए वैध कर दिया कि यह अनुच्छेद 21 में शामिल है।
निष्कर्ष:
संविधान समय-समय पर किये गए विभिन्न संशोधनों के माध्यम से विकसित हुआ है। अनुच्छेद 21 के तहत खुले 'जीवन जीने के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार' में हो रहे निरंतर विस्तार भारतीय संविधान की प्रगतिशील प्रकृति का प्रमाण हैं।