‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग ने विकासशील देशों के विकास को एक नया रूप प्रदान किया है।’ इसके लाभों की चर्चा करते हुए इस संबंध में भारतीय दृष्टिकोण को रेखांकित कीजिये।
11 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध
उत्तर की रूपरेखा
|
विकासशील व अल्प विकसित देशों को ‘दक्षिण’ के देश कहा जाता है, क्योंकि इनमें से अधिकांश देश दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित हैं। दक्षिण-दक्षिण सहयोग से तात्पर्य विकासशील देशों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देकर आर्थिक व तकनीकी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है। जो इन देशों के विकास को एक नया रूप प्रदान करेगा।
नई अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थापना के लिये विकसित और विकासशील देशों में उत्तर-दक्षिण संवाद की शुरुआत हुई। परंतु विकसित राष्ट्रों के उपेक्षापूर्ण व अड़ियल व्यवहार के कारण उत्तर-दक्षिण सहयोग के मुद्दे को आशानुरूप बल नहीं मिला। वस्तुतः विकासशील देशों पर ऋणों का भार लगातार बढ़ता जा रहा था। उन्हें प्राप्त होने वाली अधिकतर विदेशी सहायता का इस्तेमाल ब्याज के भुगतान के रूप में किया जा रहा था जिसके परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध और भी जटिल होते गए। विकासशील देशों को यह महसूस होने लगा कि उत्तर-दक्षिण सहयोग की बात से उनके हित को कोई विशेष फायदा नहीं होगा और ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ के मुद्दे को बल दिया गया।
वैश्विक व्यापार को निष्पक्ष, पारदर्शी बनाने के लिये निर्धारित 17 लक्ष्यों और 169 टारगेट वाले सतत् विकास लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में भी यह महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके अन्य लाभ निम्नलिखित हैं—
जहाँ तक इस संबंध में भारतीय दृष्टिकोण का प्रश्न है, तो वह दक्षिण-दक्षिण सहयोग को उत्तर-दक्षिण सहयोग के विकल्प के रूप में नहीं बल्कि पूरक के रूप में देखता है। इसके लिये भारत ने व्यापार और निवेश से संबद्ध द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों, खासतौर पर द्विपक्षीय निवेश संवर्द्धन एवं संरक्षण समझौते, मुक्त व्यापार समझौते, समग्र आर्थिक सहयोग समझौते, दोहरे कराधान से बचाव समझौतों के संबंध में विशेष रूप से अपना ध्यान केंद्रित किया है। इतना ही नहीं भारत स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकी का रुख करते हुए ऊर्जा के हरित एवं अक्षय स्रोतों के विकास तथा उनका इस्तेमाल करने की प्रौद्योगिकी के संबंध में भी निरंतर प्रगतिशील है। इसके साथ ही विकासशील देशों में सतत् विकास परियोजनाओं को समर्थन देने के लिये भारत और संयुक्त राष्ट्र के दक्षिण-दक्षिण सहयोग कार्यालय अर्थात् UNOSSC ने एक भागीदारी कोष की स्थापना की है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र प्रतिवर्ष 12 सितंबर को दक्षिण-दक्षिण सहयोग दिवस का आयोजन भी करता है।
हाल ही में भारतीय राष्ट्रपति की ग्रीस, सूरीनाम और क्यूबा यात्रा के दौरान भी दक्षिण-दक्षिण एकजुटता एवं विकासशील देशों को मजबूत बनाने के लिये दक्षिण-दक्षिण सहयोग को और विस्तार देने की कही गई।