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प्रश्न :
दक्षिण-पश्चिम मानसून भोजपुर क्षेत्र में ‘पुरवैया’ (पूर्वी) क्यों कहलाता है? इस दिशापरक मौसमी पवन प्रणाली ने क्षेत्र के सांस्कृतिक लोकाचार को कैसे प्रभावित किया है? (उत्तर 150 शब्दों में दीजिये, यूपीएससी मुख्य परीक्षा- 2023)
27 Nov, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
जून से सितंबर तक सक्रिय रहने वाला दक्षिण-पश्चिम मानसून भारत में पर्याप्त वर्षा करता है। जब ये मानसूनी पवन विभिन्न पर्वतों से टकराती हैं, तो वे अपना पथ परिवर्तित कर लेती हैं, जिससे भोजपुर क्षेत्र में पूर्वी 'पुरवैया' पवन का निर्माण होता है। यह विशिष्ट पवन प्रतिरूप भारत और नेपाल के कुछ हिस्सों तक फैले भोजपुर की सांस्कृतिक पहचान को महत्त्वपूर्ण आकार देता है।
भोजपुर की सांस्कृतिक प्रकृति पर पुरवैया का प्रभाव:
- कृषि और त्योहार: पुरवैया से रोपण का मौसम शुरू होता है और इसे तीज़ जैसे त्योहारों के साथ मनाया जाता है।
- अनुष्ठान और मान्यताएँ: यहाँ लोग अच्छी फसल के लिये इंद्र और पर्जन्य (वर्षा के देवता)जैसे वर्षा देवताओं की पूजा करते हैं। मधुश्रावणी में विषहरा एवं गोसौन की पूजा शामिल है।
- पारंपरिक व्यंजन: पुरवैया चावल, सब्जियों और फलों के विकास को सक्षम बनाती है, जिससे क्षेत्र के व्यंजन प्रभावित होते हैं। साथ ही इस मौसम में पुआ जैसे विशेष व्यंजन भी बनाए जाते हैं।
- लोककथाएँ: ये 'पुरवैया' कहावतों, गीतों और कविताओं में प्रकट होती है जो वायु के महत्त्व तथा भावनाओं को व्यक्त करती हैं। 'पुरवैया चले तो खेत खिले' जैसी कहावतें और 'बिरहा' जैसे लोकगीत इसके उदाहरण हैं।
इसलिये ‘पुरवैया’ पवन भोजपुर की संस्कृति, इसकी परंपराओं, रीति-रिवाजों और दैनिक जीवन को आकार देने के लिये आवश्यक है।
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