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प्रश्न :
बाँधों की विफलता हमेशा प्रलयकारी होती हैं, विशेष रूप से नीचे की ओर, जिसके परिणामस्वरूप जीवन और संपत्ति का भारी नुकसान होता है। बाँधों की विफलता के विभिन्न कारणों का विश्लेषण कीजिये। बड़े बाँधों की विफलता के दो उदाहरण दीजिये।
22 Nov, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधनउत्तर :
बाँधों की विफलता सामान्यतः बाँध में संरचनात्मक विफलताओं अथवा कमियों के कारण बाँध के किसी जलाशय से जल की अनियंत्रित निकासी है। बड़े बाँधों के निर्माण के संदर्भ में भारत तीसरे स्थान पर स्थित है, बाँधों की विफलता की स्थिति में संभावित रूप से बड़ी मात्रा में जल निष्काषित हो सकता है जो निचले हिस्सों में लोगों या संपत्ति के लिये जोखिमपूर्ण हो सकता है।
बाँधों की विफलता का कारण:
- ओवरटॉपिंग: इसका प्रमुख कारण खराब ढलवाँ डिज़ाइन है, जिससे जलाशय बहुत अधिक भर जाता है, विशेषकर भारी वर्षा के समय में।
- अवसंरचनात्मक दोष: ढलानों की अस्थिरता से बाँध के नीचे जल का रिसाव हो सकता है।
- परिचालन संबंधी विफलताएँ: वाल्वों और नलिकाओं की विफलता के परिणामस्वरूप अक्सर संचालन में समस्या आती है, जिससे पानी का बहाव प्रभावित हो सकता है।
- भू-वैज्ञानिक अस्थिरता: भूस्खलन, भूकंप जैसी टेक्टोनिक प्रेरित आपदाएँ बाँध संरचनाओं के लिये खतरा उत्पन्न कर सकती हैं।
- बाँधों का पुराना हो जाना: बाढ़ की बढ़ती आवृत्ति और अन्य पर्यावरणीय परिवर्तन बाँध की संरचनात्मकता एवं क्रियात्मकता को प्रभावित कर सकते हैं जिससे बाँध की आयु कम हो जाती है।
- संरचनात्मक विफलता: डिज़ाइन, निर्माण सामग्री अथवा रखरखाव आदि की अपर्याप्तता बाँध विफलता का कारण बन सकता है।
बड़े बाँधों की विफलता के उदाहरण:
- मच्छू II बाँध विफलता (1979): अनुचित डिज़ाइन और भारी वर्षा के कारण गुजरात का मच्छू II बाँध क्षतिग्रस्त हो गया, जिसके परिणामस्वरूप प्रलयकारी बाढ़ आई। मूसलाधार प्रवाह के कारण कई गाँव नष्ट हो गए और 2,000 से अधिक लोगों को जान गँवानी पड़ी।
- तिवारे बाँध विफलता (2019): अत्यधिक वर्षा के कारण महाराष्ट्र के रत्नागिरी में स्थित तिवारे बाँध टूट गया, जिससे सात गाँव में बाढ़ आने से काफी लोगों की मृत्यु हो गई।
बाँध सुरक्षा अधिनियम 2021 और बाँध पुनर्वास एवं सुधार परियोजना (DRIP) जैसे प्रयास भारत में बाँध विफलता की प्रलयकारी घटनाओं को रोकने के लिये उठाए गए प्रमुख कदम हैं।
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