मानव संसाधन विकास पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया जाना भारत की विकास प्रक्रिया का एक कठोर पक्ष रहा है। ऐसे उपाय सुझाइए जो इस अपर्याप्तता को दूर कर सकें।
उत्तर :
मानव संसाधन किसी देश के विकास का मूलमंत्र है। विकास के इस भाग पर अपर्याप्त ध्यान देने के कारण वृहद स्तर पर अल्प-प्रशिक्षित आबादी का बड़ा भाग उत्पन्न हुआ है, जिसे अन्य मुद्दों के बीच पेशेवर अवसरों का फायदा उठाने में मुश्किल होती है।
अपर्याप्तता से निपटने के उपाय:
- शिक्षा: नई आर्थिक नीति के तहत प्रस्तावित GDP का 6% के बराबर निवेश करने से शिक्षा का स्तर बेहतर हो सकेगा। जिसके लिये सरकार द्वारा छात्रवृत्ति और अन्य कार्यक्रमों को भी व्यापक रूप से सुलभ बनाने की आवश्यकता है।
- कौशल विकास: रोज़गार क्षमता बढ़ाने के लिये व्यावसायिक कौशल और अन्य कौशल विकास के अवसर आवश्यक हैं। उदाहरण के लिये बांग्लादेश ने अपनी GDP में वृद्धि करने के लिये बहुत से लोगों को कुशल बनाया और अपने उद्योगों में उनका उपयोग किया।
- स्किल इंडिया एक बेहतरीन पहल है, जिसे उद्योग की ज़रूरतों के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है।
- स्वास्थ्य देखभाल: आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं के तहत दवाओं की उपलब्धता, अस्पताल के कामकाज़ और पूरी आबादी के लिये स्वास्थ्य देखभाल की समग्र उपलब्धता पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
- लैंगिक संवेदनशीलता: 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसी योजनाओं का कार्यान्वयन, जिन्हें लैंगिक संवेदनशील माना जाता है, समग्र मानव संसाधन निकायों के विकास के लिये आवश्यक है।
भारत एक युवा, जीवंत आबादी वाला एक विकासशील देश है, अगर इसे विकसित करने पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया तो यह वृहद् स्तर पर जनसांख्यिकीय लाभांश खो सकता है।