उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के परिणामों की विवेचना कीजिये। (150 शब्द, यू.पी.एस.सी. मुख्य परीक्षा 2023)
उत्तर :
जलवायु परिवर्तन से कृषि उत्पादकता, जल संसाधन, जैवविविधता और जन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
इसके कुछ नकारात्मक परिणाम:
- कृषि उत्पादकता में कमी: उच्च तापमान, वर्षा के प्रतिरूप में बदलाव के साथ निरंतर और तीव्र सूखा एवं बाढ़ के कारण कृषि उत्पादकता तथा गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है।
- अफ्रीका के उप-सहारा में मक्का की उत्पादकता में 5.8% की गिरावट आई है।
- मौसम में परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण स्थानीय स्तर पर मौसम में होने वाले परिवर्तन की वजह से कृषि उत्पादकता को नुकसान पहुँच सकता है।
- भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षण प्रतिरूप अनियमित होने से धान जैसी फसलों की फसल अवधि में कमी देखी जा रही है।
- खाद्य पदार्थों के मूल्य में अस्थिरता: जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य आपूर्ति एवं मांग बाधित होने से मूल्य अस्थिरता की स्थिति उत्पन्न होने की वजह से खाद्य पदार्थों तक पहुँच में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
- वर्ष 2007-2008 का खाद्य संकट आंशिक रूप से सूखे तथा बाढ़ जैसे जलवायु कारकों के कारण उत्पन्न हुआ था।
- संवेदनशीलता में वृद्धि होना: उष्णकटिबंधीय देशों की चक्रवातों और तूफानों के प्रति बढ़ती सुभेद्यता से फसलों एवं खाद्य प्रणालियों को नुकसान हो सकता है।
- वर्ष 2021 में अम्फान चक्रवात के कारण भारत में कृषि और मत्स्य पालन क्षेत्र को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ था।
उष्णकटिबंधीय देशों में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने हेतु आवश्यक अनुकूलन और शमन उपाय:
- भूमि प्रबंधन में सुधार, ताकि उत्सर्जन को कम कर कार्बन पृथक्करण को बढ़ावा दिया जा सके।
- पर्यावरण अनुकूल फसलों को विकसित करना।
- खाद्य उत्पादन प्रणालियों के साथ आहार में विविधता लाना।
- स्वस्थ एवं सतत् खान-पान की आदतों को बढ़ावा देना।
- समस्त आपूर्ति शृंखला में भोजन की बर्बादी को कम करना।