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प्रश्न :
चीनी यात्री ह्वेनसांग के भारत भ्रमण के यात्रा वृत्तांत 7वीं सदी के भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन को उद्घाटित करने में महत्त्वपूर्ण सिद्ध हो सकते हैं। विवेचन करें।
12 Sep, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा
- ऐतिहासिक यात्रा वृत्तांतों के महत्त्व को बताते हुए ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांतों का उल्लेख कीजिये।
- इन यात्रा वृत्तांतों का महत्त्व बताते हुए निष्कर्ष लिखें।
उद्यमशील और जिज्ञासु प्रवृत्ति के व्यक्ति यात्राओं द्वारा अपनी उद्यमिता को साकार तथा जिज्ञासा को शांत करते हैं। इतिहास में भी ऐसे व्यक्तियों ने विश्व के विभिन्न हिस्सों की यात्राएँ कीं तथा तत्कालीन सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की बहुमूल्य सूचनाएँ अपने यात्रा वृत्तांतों में लिखीं। ह्वेनसांग भी ऐसे ही यात्रियों में से एक था जो 7वीं शताब्दी में बौद्ध धर्म की शिक्षा ग्रहण करने तथा महत्त्वपूर्ण बौद्ध ग्रंथों के संग्रहण के लिये चीन से भारत आया था। यद्यपि उसके उद्देश्य व्यक्तिगत थे, तथापि उसके यात्रा वृत्तांतों ने समकालीन भारतीय सामाजार्थिक स्थितियों की सूचनाओं का पूरा कोश निर्मित कर दिया।
ह्वेनसांग के यात्रावृत्तांतों से हमें निम्नलिखित सूचनाएँ प्राप्त होती हैं:
- ह्वेनसांग उत्तर तथा दक्षिण भारत दोनों जगह गया।
- ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत मुख्यतः हर्षवर्धन के काल की जानकारी देते हैं।
- उसने नालंदा विश्वविद्यालय में पाँच वर्ष बिताए।
- उसने हर्ष द्वारा आयोजित धार्मिक सभा की अध्यक्षता भी की थी।
- नालंदा से बंगाल जाते समय उसे डाकुओं ने पकड़ लिया था, जिनके चंगुल से वह बहुत कठिनाई से बचा।
- उसने प्रयाग को महत्त्वपूर्ण धार्मिक केंद्र बताया है।
- कन्नौज द्वारा पाटलिपुत्र के महत्त्व को प्रतिस्थापित कर दिया गया।
- उसने भारतीय के परिधानों के बारे में बताया है कि भारतीय सिल्क, सूती और ऊनी वस्त्र पहनते थे।
- शिक्षा अधिकांशतः धार्मिक होती थी, जो 9 से 13 वर्ष की आयु में दी जाती थी।
- ब्राह्मणों के बोलचाल की भाषा संस्कृत थी। अधिकांश पाण्डुलिपियाँ भी संस्कृत में ही लिखी जाती थीं।
ह्वेनसांग द्वारा दी गई समकालीन भारतीय समाज की सूचनाएँ निम्नलिखित रूप से महत्त्वपूर्ण हो सकती हैं:
- समकालीन समाज के इतिहास के लेखन में।
- भारत की सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि का प्रसार-प्रचार करने में।
- समकालीन भारत की धार्मिक स्थिति का ज्ञान प्राप्त करने में।
- तत्कालीन भारतीय समाज की सहिष्णुता तथा विविधता को पुनर्परिभाषित करने में ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत महत्त्वपूर्ण हैं।
यद्यपि ह्वेनसांग के यात्रावृत्तांतों की विश्वसनीयता पर इतिहासकारों में मतभेद है क्योंकि उसने बौद्ध धर्म और हर्ष के शासन के पक्ष में ही लिखा है। इसलिये उसकी निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लगता है। फिर भी यह समकालीन भारत की सामाजार्थिक स्थिति को जानने का महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
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