भारत में भूमि सुधार के उद्देश्य एवं उपाय बताइए। आर्थिक मानदंडों के अंतर्गत, भूमि जोत पर भूमि सीमा नीति को कैसे एक प्रभावी सुधार माना जा सकता है, विवेचना कीजिये। (150 शब्द, यूपीएससी मेन्स 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अपने उत्तर की शुरुआत भूमि सीमा के महत्त्व के साथ कीजिये।
- भूमि सुधार के उद्देश्यों और भूमि सुधार के लिये सरकार द्वारा किये गए उपायों पर चर्चा कीजिये।
- भूमि सुधारों की प्रभावशीलता पर चर्चा कीजिये।
- भूमि सुधार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
कुमारप्पा समिति की सिफारिश पर शुरू की गई भूमि स्वामित्व नीति ने भारत को विभिन्न सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक आयामों में बदल दिया है।
मुख्य भाग:
भूमि सुधार के उद्देश्य:
- किसानों के अधिकारों को बहाल करना: इन सुधारों की शुरुआत के माध्यम से छोटे किसानों के अधिकारों को बहाल किया गया जो परंपरागत रूप से अपनी भूमि के मालिक थे।
- अभिलेख: नागरिकों के बीच विवादों को कम करने के लिये अभिलेखों को अद्यतन किया गया है।
- सशक्तीकरण: इससे हाशिये पर रहने वाले समुदायों का सशक्तीकरण हुआ है क्योंकि उनके पास अक्सर कम भूमि होती है जो उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति को कमज़ोर करती है।
- सामाजिक समानता: संसाधनों के समान वितरण से समाज में हाशिये पर रहे लोगों की स्थिति में सुधार होता है।
किये गए उपाय:
- भूमि सीमा: सरकार ने किसी व्यक्ति या परिवार द्वारा रखी जा सकने वाली भूमि की मात्रा पर एक सीमा लगा दी है।
- ज़मींदारी उन्मूलन: इसे राज्यों द्वारा विभिन्न कानूनों को पारित कर हासिल किया गया था, उदाहरण के लिये ज़मींदारी उन्मूलन अधिनियम, 1950 (उत्तर प्रदेश)।
- सहकारी खेती: किसानों को संसाधनों को एकत्रित करने और एक समुदायिक खेती करने के लिये प्रोत्साहित किया गया।
भूमि सीमा नीति किसी व्यक्ति या परिवार के पास अधिकतम भूमि की सीमा तय करती है। भूमि स्वामित्व को सीमित करके भूमि सीमा नीतियों का उद्देश्य भूमि का स्वामित्व कुछ धनी भूस्वामियों के हाथों में केंद्रित होने से रोकना है।
भूमि सीमा एक प्रभावी सुधार के रूप में:
- समतापूर्ण भूमि वितरण में वृद्धि जनसंख्या के व्यापक आधार में योगदान करती है जो देश की आर्थिक विकास में अत्यधिक योगदान दे सकती है।
- इससे व्यापक स्तर पर आबादी का आर्थिक विकास सुनिश्चित होने के साथ ही लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और अपने बच्चों हेतु बेहतर शिक्षा को प्राथमिकता देने में मदद मिलती है। इससे उनका जीवन स्तर ऊँचा उठता है।
- यह अपनी भूमि से आय अर्जित करने वाले किसानों की संख्या में वृद्धि के साथ व्यापक कर आधार प्रदान करता है, जिससे अधिक कर संग्रह होता है।
निष्कर्ष:
भारत में भूमि सुधारों ने न केवल भूमिहीनों को संसाधन उपलब्ध कराने में मदद की है, बल्कि ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने और अधिक समावेशी भविष्य की कल्पना को साकार करने में भी मदद की है।