'भारत में राज्य शहरी स्थानीय निकायों को कार्यात्मक एवं वित्तीय दोनों ही रूप से सशक्त बनाने के प्रति अनिच्छुक प्रतीत होते हैं।'' टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द, यूपीएससी मेन्स 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अपने उत्तर की शुरुआत उस परिचय से कीजिये जो प्रश्न का संदर्भ निर्धारित करता है।
- चर्चा कीजिये कि कैसे राज्य शहरी स्थानीय निकायों को सशक्त बनाने में लगातार अनिच्छा दिखा रहे हैं।
- अपनी राय देकर सकारात्मक टिप्पणी के साथ निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
नगर पालिकाओं की तरह शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies- ULB) के खराब प्रदर्शन के बारे में अक्सर खबरों में चर्चा होती रहती है। 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा प्रदान किये गए संवैधानिक प्रावधानों के बावजूद इन निकायों को मुख्य रूप से धन और पदाधिकारियों की कमी का समस्या का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्य भाग:
राज्य क्यों अनिच्छुक हैं?
- वित्त की कमी: ULB अनुदान के लिये राज्य सरकारों पर निर्भर हैं, क्योंकि उनकी आय के स्रोत अपर्याप्त हैं और एकत्र किया जाने वाला कर पर्याप्त नहीं है।
- हालाँकि ULB को कर एकत्र करने की अनुमति है, वे मतदाताओं को नाराज़/अप्रसन्न न करने के लिये इससे बचते हैं।
- पूंजी जुटाने के उपकरण जैसे- नगरपालिका बॉण्ड, सार्वजनिक-निजी भागीदारी और मौजूदा बुनियादी ढाँचे का मुद्रीकरण, पूंजी जुटाने के सभी ऐसे क्षेत्र हैं जो वर्तमान में अप्रयुक्त हैं।
- कार्यात्मक नियंत्रण: अनुच्छेद 243P से 243ZG के तहत संवैधानिक आदेश के बावजूद राज्य सरकारें ULB को शक्तियाँ सौंपने की अनिच्छुक दिखती हैं।
- समानांतर संरचनाएँ: जल बोर्ड और विकास प्राधिकरण जैसे निकाय ULB से ज़िम्मेदारियाँ तथा शक्तियाँ छीन लेते हैं।
- नौकरशाही का प्रभुत्व: राज्य में नियुक्त नौकरशाही द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों की निर्णय लेने की शक्ति में भारी कटौती की जाती है।
निष्कर्ष:
शहरी स्थानीय निकायों के उदारीकरण और शक्तियों के उचित हस्तांतरण, ताकि वे अपनी पूरी क्षमता का एहसास कर सकें, इसके लिये अभी एक लंबा रास्ता तय करना है।