संसदीय संप्रभुता के प्रति ब्रिटिश और भारतीय दृष्टिकोणों की तुलना करें और अंतर बताएँ। (150 शब्द, यूपीएससी मेन्स 2023)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- संसदीय संप्रभुता की अवधारणा पर चर्चा कीजिये।
- संसदीय संप्रभुता के संबंध में ब्रिटिश और भारतीय संसद के बीच तुलना कीजिये।
- भले ही भारतीय संसद को ब्रिटिश संसद की प्रतिकृति माना जाता है, लेकिन इनमें कई मतभेद भी हैं। इस कथन के साथ उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
संसदीय संप्रभुता एक अवधारणा है जो न्यायपालिका सहित सभी सरकारी संस्थानों से ऊपर, देश की संसद या विधायी निकाय की पूर्ण सर्वोच्चता में विश्वास करती है।
मुख्य भाग:
ब्रिटिश बनाम भारतीय संसद
- ब्रिटेन संसदीय सर्वोच्चता की अवधारणा का पालन करता है, उसकी विधायी संस्था राष्ट्र पर पूर्ण संप्रभुता का प्रयोग करती है, जबकि भारत संवैधानिक संप्रभुता की प्रणाली का पालन करता है जिसमें संविधान, संसद से भी ऊपर है।
- ब्रिटेन की संसद द्वारा किसी विधेयक के पारित होने पर सम्राट की मंज़ूरी केवल एक औपचारिकता के रूप में ली जाती है। जबकि भारत के मामले में राष्ट्रपति के पास किसी विधेयक को पुनर्विचार के लिये लौटाने या सहमति रोकने की शक्ति है।
- ब्रिटेन में प्रधानमंत्री को संसद के निचले सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) का सदस्य होना चाहिये। भारत में प्रधानमंत्री संसद के दोनों सदनों में से किसी का भी सदस्य हो सकता है।
- ब्रिटेन के भीतर स्कॉटलैंड की एक अलग संसद के अस्तित्व में संसदीय संप्रभुता की कमी स्पष्ट है। इसके विपरीत भारत में जब जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति मौजूद थी, तब भी एक ही संसद थी।
निष्कर्ष:
हालाँकि अक्सर यह माना जाता है कि भारत में वेस्टमिंस्टर मॉडल के अनुरूप प्रणाली है, लेकिन करीब से देखने पर दोनों के बीच स्पष्ट अंतर का पता चलता है, जैसा कि संसदीय संप्रभुता के मामले में देखा गया है।