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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    करेंसी डेरिवेटिव क्या है? इसकी लोकप्रियता के कारणों पर चर्चा करते हुए बताएँ कि इसके साथ व्यापार कैसे संभव है?

    14 Jul, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा

    • प्रभावी भूमिका में करेंसी डेरिवेटिव को स्पष्ट करें।
    • तार्किक एवं संतुलित विषय-वस्तु में इसकी लोकप्रियता के कारणों पर चर्चा करें साथ ही इसके साथ व्यापार की संभावनाओं को स्पष्ट करें।
    • प्रश्नानुसार संक्षिप्त एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें।

    करेंसी डेरिवेटिव विक्रेता और खरीदार के बीच एक अनुबंध है, जिसका मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति, मुद्रा राशि से लिया जाता है। करेंसी डेरिवेटिव को विदेशी मुद्रा विनिमय दर अस्थिरता के खिलाफ किसी भी जोखिम का प्रबंधन करने के लिये सबसे अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है।

    एक्सचेंजों पर मुद्रा डेरिवेटिव की शुरुआत से पहले, केवल ओटीसी (over the counter) व्यवस्था थी| यह एक अपारदर्शी और बंद बाज़ार था जहाँ ज़्यादातर बैंक और वित्तीय संस्थानों द्वारा कारोबार किया गया। वर्तमान में यह एक्सचेंज आधारित एक विनियमित और पारदर्शी बाज़ार है जिसका उपयोग छोटे व्यवसायों और यहाँ तक कि व्यक्तियों द्वारा उनके मुद्रा जोखिमों को संभालने के लिये भी किया जा सकता है। इसकी लोकप्रियता के अन्य कारण निम्नलिखित हैं- 

    • 2008 में करेंसी सेगमेंट का अनावरण किया गया था और तब से इसके विस्तार में लगातार वृद्धि दर्ज की गई है।
    • जून में BSE ने अपने मुद्रा डेरिवेटिव प्लेटफ़ॉर्म पर  33,961 करोड़ रुपए का औसत दैनिक कारोबार दर्ज किया,  जबकि NSE ने 29,161 करोड़ रुपए का औसत दैनिक कारोबार दर्ज किया। MSEI ने जून में केवल 239 करोड़ रुपए के दैनिक औसत के हिसाब से कारोबार की सूचना दी।
    • सेगमेंट में हुई वृद्धि को पिछले कुछ वर्षों में कारोबार में हुई लगातार वृद्धि से पता लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिये  2014-15 में NSE के करेंसी सेगमेंट का औसत दैनिक कारोबार 12,705 करोड़ रुपए था  जो 2015-16 में 18,603 करोड़ रुपए और उसके बाद 2017-18 में 20,779 करोड़ रुपए हो गया।
    • वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक  औसत दैनिक कारोबार  29, 008 करोड़ रुपए आँका गया है।

    करेंसी डेरिवेटिव के साथ कोई व्यापार कैसे कर सकता है?

    • दो राष्ट्रीय स्तर के स्टॉक एक्सचेंज, BSE और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में करेंसी डेरिवेटिव सेगमेंट हैं। मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया (MSEI) में भी ऐसा ही सेगमेंट है लेकिन BSE या NSE पर इसका अधिक विस्तार देखा गया है।
    • कोई भी ब्रोकर के माध्यम से मुद्रा डेरिवेटिव में व्यापार कर सकता है। संयोग से  सभी प्रमुख स्टॉक ब्रोकर भी मुद्रा व्यापार सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • यह इक्विटी या इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट में ट्रेडिंग की तरह है और ब्रोकर के ट्रेडिंग एप के माध्यम से व्यापार किया जा सकता है। यद्यपि डॉलर-रुपए का अनुबंध आकार 1,000 डॉलर है, लेकिन केवल 2-3% मार्जिन देकर व्यापार शुरू किया जा सकता है।
    • मुद्रा विनिमय दरों के आधार पर डेरिवेटिव भविष्य का एक अनुबंध है जो उस दर को निर्धारित करता है जिस पर किसी मुद्रा का किसी अन्य मुद्रा के लिये भविष्य की तारीख में आदान-प्रदान किया जा सकता है

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