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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    सार्वजनिक क्षेत्र में अनुकंपा नियुक्तियों में शामिल नैतिक मुद्दे क्या हैं? वे सिविल सेवा की दक्षता और जवाबदेहिता को कैसे प्रभावित कर सकते हैं? (150 शब्द)

    02 Nov, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • अनुकंपा नियुक्तियों को परिभाषित कीजिये।
    • अनुकंपा नियुक्तियों में शामिल नैतिक मुद्दों और सिविल सेवा की दक्षता एवं जवाबदेही पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये।
    • समाधान-आधारित दृष्टिकोण के साथ समापन कीजिये।

    परिचय:

    सार्वजनिक क्षेत्र में अनुकंपा नियुक्तियाँ व्यक्तियों को उनकी योग्यता या गुणों के बजाय उनकी राजनीतिक वफादारी या संबंधों के आधार पर नियुक्त करने या बढ़ावा देने की प्रथा है। यह प्रथा कई नैतिक मुद्दों को उठाती है जो सिविल सेवा की दक्षता और जवाबदेही को प्रभावित कर सकती है।

    मुख्य भाग:

    • अनुकंपा नियुक्तियों में शामिल कुछ नैतिक मुद्दे हैं:
      • योग्यता और निष्पक्षता: राजनीतिक वफादारी के आधार पर सार्वजनिक क्षेत्र की भूमिकाओं में नियुक्ति योग्यता के सिद्धांत को कमज़ोर करती है, जो इस विचार का केंद्र है कि सबसे योग्य व्यक्तियों को सिविल सेवा में पद देना चाहिये, जो अंततः चयन प्रक्रिया की निष्पक्षता से समझौता करती है।
      • स्वजन पक्षपात और भाई-भतीजावाद: संरक्षण से स्वजन पक्षपात और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा मिल सकता है, जहाँ सरकारी पद सत्ता में बैठे लोगों के परिवार के सदस्यों, दोस्तों या राजनीतिक सहयोगियों से भरे होते हैं।
      • जवाबदेही: जब नियुक्तियाँ अनुकंपा के आधार पर की जाती हैं, तो सार्वजनिक अधिकारियों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह बनाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। जो लोग अपने पदों का श्रेय राजनीतिक संबंधों को देते हैं, वे जनता के प्रति कम जवाबदेह और अपने अनुकंपाों के प्रति अधिक आभारी महसूस कर सकते हैं।
      • अक्षमता: अनुकंपा नियुक्तियों के परिणामस्वरूप प्रायः अयोग्य व्यक्तियों को प्रमुख प्रशासनिक भूमिकाओं में रखा जाता है। इससे अक्षमता हो सकती है, क्योंकि इन नियुक्तियों में अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिये आवश्यक कौशल और ज्ञान की कमी हो सकती है।
        • सार्वजनिक विश्वास का क्षरण: जब जनता यह समझती है कि सरकारी पद राजनीतिक लाभ के रूप में दिये जाते हैं, तो इससे सार्वजनिक संस्थानों में विश्वास कम हो जाता है। इससे जनता के हितों की सेवा करने और कानून के शासन को बनाए रखने की सरकार की क्षमता में विश्वास की हानि हो सकती है।
        • यह सिविल सेवा की दक्षता और जवाबदेही को विभिन्न तरीकों से प्रभावित कर सकता है, जैसे:
        • प्रदर्शन और उत्पादकता में कमी: अनुकंपा नियुक्त व्यक्तियों में अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से और कुशलता से करने के लिये आवश्यक ज्ञान, कौशल या अनुभव की कमी हो सकती है।
        • उनमें अपने कार्य के प्रति कम प्रेरणा या प्रतिबद्धता भी हो सकती है, क्योंकि वे अपनी स्थिति को अस्थायी या असुरक्षित मान सकते हैं।
        • इससे सार्वजनिक क्षेत्र का प्रदर्शन और उत्पादकता कम हो सकती है तथा इसकी लागत एवं जोखिम बढ़ सकते हैं।
      • बढ़ता टर्नओवर और अस्थिरता: अनुकंपा नियुक्त व्यक्तियों को भी उच्च टर्नओवर और अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें नए राजनीतिक अभिनेताओं या सरकार में बदलाव द्वारा प्रतिस्थापित या हटाया जा सकता है।
      • यह सार्वजनिक नीतियों और सेवाओं की निरंतरता एवं स्थिरता को बाधित कर सकता है तथा भूमिकाओं व ज़िम्मेदारियों में अंतराल या अधिव्यापन उत्पन्न कर सकता है।
      • यह सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थागत स्मृति और सीखने को भी प्रभावित कर सकता है तथा बदलती परिस्थितियों के अनुकूल होने की इसकी क्षमता को कमज़ोर कर सकता है।

    निष्कर्ष

    सिविल सेवा में नैतिक मुद्दों को संबोधित करने के लिये सुधारों, स्वतंत्र निरीक्षण, पारदर्शिता, जवाबदेही, भाई-भतीजावाद-विरोधी, क्रोनिज़्म-विरोधी नीतियों और व्हिसलब्लोअर संरक्षण को लागू करना। इससे योग्यता-आधारित नियुक्तियों को बढ़ावा देने से दक्षता, जवाबदेही, सुशासन और प्रभावी सार्वजनिक सेवा वितरण सुनिश्चित होता है।

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