भारत में मेथनॉल आधारित अर्थव्यवस्था के संभावित लाभों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। देश में ऊर्जा और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये मेथनॉल अर्थव्यवस्था के सफल कार्यान्वयन हेतु किन प्रमुख कारकों पर विचार करने की आवश्यकता है? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- मेथनॉल आधारित अर्थव्यवस्था का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- मेथनॉल आधारित अर्थव्यवस्था के लाभों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- मेथनॉल आधारित अर्थव्यवस्था के सफल कार्यान्वयन के लिये प्रमुख कारकों का सुझाव दीजिये।
- यथोचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
हाल ही में नीति आयोग (NITI Aayog) ने घरों के साथ-साथ व्यावसायिक रूप से भी रसोई ईंधन के रूप में मेथनॉल (methanol) को अपनाने का पक्षसमर्थन करते हुए एक व्यापक योजना तैयार की है। मेथनॉल एक निम्न-कार्बन युक्त, हाइड्रोजन वाहक ईंधन है जो अधिक राख वाले कोयले (high ash coal), कृषि अवशेषों, थर्मल पॉवर संयंत्रों से उत्पन्न CO2 और प्राकृतिक गैस से उत्पादित किया जाता है। दहन में सुधार के लिये और उत्सर्जन को कम करने के लिये इसे प्रायः गैसोलीन के साथ मिश्रित किया जाता है।
मुख्य भाग :
मेथनॉल आधारित अर्थव्यवस्था के लाभ:
- कम उत्पादन लागत: मेथनॉल का उत्पादन अन्य वैकल्पिक ईंधन की तुलना में कम लागत पर किया जा सकता है, जो इसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये आर्थिक रूप से व्यवहार्य विकल्प बनाता है।
- कम ज्वलनशीलता जोखिम: मेथनॉल में गैसोलीन की तुलना में ज्वलनशीलता का कम जोखिम होता है, जो कुछ अनुप्रयोगों में सुरक्षा के स्तर को बढ़ा सकता है।
- पर्यावरणीय लाभ: जब मेथनॉल हरित हाइड्रोजन से और कार्बन जब्ती प्रौद्योगिकियों के साथ उत्पादित किया जाता है तो यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तथा वायु प्रदूषकों में कमी लाने में योगदान दे सकता है।
- प्रबंधन और परिवहन: मेथनॉल का सामान्य तापमान और दाब पर प्रबंधन एवं परिवहन करना अपेक्षाकृत आसान होता है। यह मौजूदा अवसंरचना के साथ भी संगत है, जो विभिन्न उद्योगों के लिये इसके अंगीकरण को आसान बनाता है।
- उच्च ऑक्टेन और हॉर्सपॉवर: मेथनॉल में उच्च ऑक्टेन रेटिंग (high octane ratings) उत्पन्न करने की क्षमता होती है और यह सुपर हाई-ऑक्टेन गैसोलीन के समतुल्य हॉर्सपॉवर (horsepower) प्रदान कर सकता है। यह इसे उच्च-प्रदर्शन इंजनों के लिये एक उपयुक्त विकल्प बना सकता है।
- बहुमुखी उपयोग: यह शिपिंग, विमानन, फ्यूल रीफॉर्मिंग (इंजन अपशिष्ट ताप का उपयोग कर) और औद्योगिक बिजली उत्पादन में उपयोग के लिये भी उपयुक्त है।
मेथनॉल अर्थव्यवस्था की भारत की महत्त्वाकांक्षा के समक्ष चुनौतियाँ:
- घरेलू प्राकृतिक गैस संसाधनों की कमी: भारत के पास प्राकृतिक गैस का सीमित भंडार है और वह अपनी मांग को पूरा करने के लिये आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
- उच्च राख कोयला और निम्न ग्रेड बायोमास: भारत में कोयले के पर्याप्त भंडार मौजूद हैं लेकिन इनमें से अधिकांश अधिक राख वाले कोयले हैं जिन्हें अधिक प्रसंस्करण की आवश्यकता होती है और इनसे कम राख वाले कोयले की तुलना में अधिक उत्सर्जन उत्पन्न होता है।
- अवसंरचना और नीति समर्थन का अभाव: भारत में मेथनॉल उत्पादन, वितरण, भंडारण और उपयोग के लिये आवश्यक अवसंरचना का अभाव है।
- जागरूकता और स्वीकार्यता की कमी: मेथनॉल अर्थव्यवस्था के लाभों और चुनौतियों के बारे में आम लोगों और हितधारकों के बीच जागरूकता एवं स्वीकृति की कमी है।
सफल कार्यान्वयन के लिये प्रमुख कारक:
- उत्प्रेरकों और प्रक्रियाओं का विकास करना: विकास एवं अनुसंधान प्रयासों को विभिन्न फीडस्टॉक से मेथनॉल उत्पादन की दक्षता में सुधार लाने पर लक्षित होना चाहिये।
- मेथनॉल को समुद्री ईंधन के रूप में बढ़ावा देना: मेथनॉल के उपयोग के लिये दिशानिर्देश और मानक स्थापित करने के लिये समुद्री उद्योगों के साथ सहयोग स्थापित किया जाए।
- मेथनॉल-आधारित फ्यूल सेल का प्रयोग: इस अवधारणा को लागू करने के लिये फ्यूल सेल प्रौद्योगिकी और अवसंरचना में निवेश करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगा।
- मेथनॉल-चालित वाहनों को प्रोत्साहित करना: मेथनॉल के लिये उपयुक्त इंजन और फ्यूल इंजेक्शन प्रणालियाँ (fuel injection systems) विकसित करने के लिये ऑटोमोबाइल निर्माताओं के साथ संलग्नता बढ़ाई जाए।
- वितरण नेटवर्क और अवसंरचना का विस्तार: उचित भंडारण और वितरण सुविधाओं के साथ एक व्यापक वितरण नेटवर्क में निवेश किया जाए।
- जागरूकता और प्रोत्साहन: मेथनॉल-आधारित ईंधन और उपकरणों के लाभों के बारे में आम लोगों को सूचित करने के लिये शैक्षिक अभियान शुरू किये जाएँ।
निष्कर्ष:
भारतीय अर्थव्यवस्था में मेथनॉल आधारित अर्थव्यवस्था के सफल कार्यान्वयन के लिये तकनीकी उन्नति, सहायक सरकारी नीतियों और सार्वजनिक जागरूकता के संयोजन की आवश्यकता है।