भारत जैसे विकासशील देशों के संदर्भ में वैश्वीकरण के प्रभावों की जाँच कीजिये और चर्चा कीजिये कि भारत तेज़ी से वैश्वीकृत हो रही दुनिया में आर्थिक विकास तथा अपनी सांस्कृतिक एवं सामाजिक पहचान की सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे बना सकता है? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- वैश्वीकरण को परिभाषित कीजिये।
- वैश्वीकरण के प्रभावों का उल्लेख कीजिये।
- उल्लेख कीजिये कि भारत किस प्रकार अपनी सांस्कृतिक एवं सामाजिक पहचान की सुरक्षा के बीच संतुलन बना सकता है।
- सकारात्मक निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
वैश्वीकरण विभिन्न देशों के लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच वार्ता, एकीकरण और परस्पर निर्भरता की एक प्रक्रिया है। इसकी राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्तियाँ हैं। वैश्वीकरण का लोगों पर सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रभाव देखे जाते हैं।
भारत में वैश्वीकरण के प्रभाव:
- आर्थिक विकास:
- विदेशी निवेश और व्यापार बढ़ने से आर्थिक विकास में वृद्धि देखी गई है।
- आईटी और आउटसोर्सिंग क्षेत्र में वृद्धि हो रही है तथा ये विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं।
- बढ़ता मध्यम वर्ग और उच्च जीडीपी वृद्धि दर।
- उदाहरण: कर व्यवस्था और एफडीआई का उदारीकरण।
- सांस्कृतिक विनियमन:
- मीडिया और प्रौद्योगिकी के माध्यम से विविध प्रकार की कला और विचारधारा का प्रदर्शन।
- विश्व स्तर पर भारतीय संस्कृति और कला के प्रति रुचि बढ़ रही है।
- फैशन, संगीत और सिनेमा में भारतीय एवं पश्चिमी विचारों का मिश्रण।
- संस्कृति मंत्रालय ने अंतर-धार्मिक और अंतर-जातीय संवाद एवं सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिये ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम की शुरुआत की है।
- सामाजिक परिवर्तन:
- शहरीकरण और लोगों का शहरों की ओर पलायन।
- बदलती जीवनशैली और उपभोक्ता व्यवहार।
- शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच में वृद्धि।
- स्मार्ट सिटी मिशन का उद्देश्य मुख्य बुनियादी ढाँचा, स्वच्छ वातावरण, सतत् गतिशीलता, डिजिटल कनेक्टिविटी आदि प्रदान करके शहरी निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
संतुलन स्थापित करना:
- सांस्कृतिक शिक्षा को बढ़ावा देना:
- भारतीय संस्कृति के संरक्षण और बढ़ावा देने वाले शैक्षिक कार्यक्रमों में निवेश करना।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान और संवाद को प्रोत्साहित करना।
- उदाहरण: NEP-2020 में एक ऐसे पाठ्यक्रम और अध्यापन प्रणाली/विधि के विकास पर बल दिया गया है जिसके तहत कौशल विकास, अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिंतन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जाए।
- स्थानीय उद्योगों का समर्थन करना:
- स्वदेशी उद्योगों की रक्षा करने वाली नीतियाँ लागू करना।
- घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये "मेक इन इंडिया" पहल को बढ़ावा देना।
- उदाहरण: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने तथा भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिये मेक इन इंडिया पहल शुरू की है।
- सांस्कृतिक कूटनीति:
- वैश्विक स्तर पर अपनी सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिये भारत की “सॉफ्ट पॉवर” का उपयोग करना।
- भारतीय संस्कृति को प्रदर्शित करने वाले पर्यटन और कलात्मक आयोजनों को प्रोत्साहित करना।
- उदाहरण: पर्यटन मंत्रालय ने विश्व स्तर पर भारत को एक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिये अतुल्य भारत अभियान शुरू किया है। यह अभियान भारत के विविध एवं अनूठे आकर्षण, जैसे- इसकी संस्कृति, विरासत, वन्य जीवन, भोजन आदि को प्रदर्शित करता है।
- सामाजिक समावेशिता:
- ऐसी नीतियाँ विकसित करना, जो सुनिश्चित करें कि हाशिये पर रहने वाले समुदायों को आर्थिक विकास से लाभ हो।
- सामाजिक सुरक्षा जाल को मज़बूत करना एवं समावेशिता को बढ़ावा देना।
- उदाहरण: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने अनुसूचित जाति (SC) की उच्च सांद्रता वाले मॉडल गाँवों को विकसित करने के लिये प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (PMAGY) शुरू की है।
निष्कर्ष:
वैश्वीकरण ने निस्संदेह भारत के आर्थिक विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रेरित किया है। परस्पर संतुलन स्थापित करने के लिये भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में सक्रिय रूप से शामिल होते हुए अपनी समृद्ध सांस्कृतिक एवं सामाजिक पहचान को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये। सही नीतियों के साथ भारत अपनी अनूठी विरासत तथा परंपराओं से समझौता किये बिना आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकता है।