‘‘पिछले कुछ दशकों से आतंकवाद एक प्रतिस्पर्द्धात्मक उद्योग के रूप में उभर रहा है।’’ उपर्युक्त कथन का विश्लेषण कीजिये।
30 Nov, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा
आतंकवाद के बारे में सामान्य परिचय देते हुए उत्तर आरंभ करें-
वैश्विक आतंकवाद 21वीं सदी में विश्व के सबसे बड़े खतरों में से एक है। आतंकवाद एक ऐसी विचारधारा है जो अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिये किसी भी प्रकार की हिंसा एवं भयभीत किये जाने के कार्य को सही मानती है।
विषय-वस्तु के पहले भाग में हम यह बताएंगे कि किस प्रकार आतंकवाद के स्वरूप में प्रतिस्पर्द्धात्मक उद्योग की विशेषताएँ शामिल हो गई हैं-
पिछले कुछ दशकों में अनेक आतंकवादी संगठन उभरे हैं जो चारों तरफ आतंक फैला रहे हैं। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार अनेक उद्योग एक ही प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन कर रहे हैं। आतंकवादी संगठनों का उत्पादन के साधनों पर उसीप्रकार नियंत्रण है जिस प्रकार उद्योगों में होता है। आतंकवाद के प्रति वैश्विक दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि पिछले कुछ दशकों में इसमें प्रतिस्पर्द्धात्मक उद्योग की कई विशेषताएँ पाई गई हैं, जो इस प्रकार हैं-
विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम इसके प्रतिस्पर्द्धात्मक होने के कारणों और प्रभावों पर थोड़ी चर्चा करेंगे-
पिछले कुछ दशकों में आतंकवाद एक प्रतिस्पर्द्धात्मक उद्योग के रूप में उभरा है। इससे संबंधित कुछ विचारकों का मानना है कि यह पश्चिमी विकसित देशों की एक सोची-समझी राजनीति रही है। इन देशों ने एशिया व अप्रीका जैसे महाद्वीप (जिनके अधिकतर देश विकासशील या अल्पविकसित हैं) में आतंकवाद को फलने-फूलने में सहयोग दिया है। इनका उद्देश्य इन क्षेत्रों के ऊर्जा संसाधनों (उदाहरण- पेट्रोलियम पदार्थों) पर नियंत्रण स्थापित करना तथा अपने शस्त्र उद्योग के लिये एक बड़े बाज़ार का निर्माण करना रहा है। विश्व में अपने वर्चस्व को बनाए रखने के लिये विकसित देश इस प्रकार के हथकंडों को अपना रहे हैं।
अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, सारगर्भित एवं संतुलित निष्कर्ष लिखें-
गौरतलब है कि आतंकवादी संगठनों और उद्योगों के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है कि पारंपरिक उद्योग द्वारा वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन मानव जाति को फायदा पहुँचाने और मानव के काम को आसान बनाने के उद्देश्य से किया जाता है, जबकि आतंकवाद हिंसा का सहारा लेकर केवल भय, नफरत और अनिश्चितता फैलाता है। इस आतंकवाद से निपटने के लिये विश्व स्तर पर आपसी सहयोग तथा ठोस बहुपक्षीय पहलों की आवश्यकता है। भारत द्वारा प्रस्तावित ‘कॉम्प्रिहेंसिव कॉन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेरेरिज़्म’ को स्वीकृति देना तथा विभिन्न देशों द्वारा इसकी पुष्टि करना इस दिशा में एक सही कदम होगा।