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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    महिला उद्यमिता आर्थिक सशक्तीकरण का जरिया बन सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) को हासिल करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सविस्तार स्पष्ट कीजिये।

    30 Nov, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    भूमिका में:


    महिलाओं की भूमिका में आए परिवर्तन और उसके महत्त्व को रेखांकित करते हुए उत्तर आरंभ करें-

    हाल के वर्षों में आर्थिक कारणों से महिलाओं की परंपरागत भूमिका में बदलाव आया है। साथ ही समाज के समग्र विकास में उनकी भूमिका को सामने लाने का भी प्रयास किया जा रहा है। महिलाओं की उद्यमशीलता परिवारों और समुदायों के आर्थिक कल्याण, गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तीकरण में काफी योगदान दे सकती है।

    विषय-वस्तु में:


    विषय-वस्तु के पहले भाग में महिला सशक्तीकरण और विकास के मध्य परस्पर निर्भरता बताते हुए उसे उदाहरण के द्वारा स्पष्ट करेंगे-

    देश के विकास में अंतर्निहित महिलाओं की क्षमता को देखते हुए विश्व भर की सरकारें और विभिन्न विकास संगठन अपनी योजनाओं तथा प्रोत्साहनपरक उपायों के माध्यम से महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने का कार्य कर रही हैं। सशक्तीकरण की अवधारणा के अंतर्गत महिलाओं को चयन की आज़ादी, अपने लक्ष्य तय करने और उसके लिये कार्य करने, लैंगिक शक्ति संबंधी जागरूकता तथा आत्मसम्मान और आत्मविश्वास आता है। सशक्तीकरण व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामुदायिक एवं सामाजिक सभी स्तरों पर संभव है और इन विभिन्न प्रोत्साहनों के जरिये महिलाओं को सशक्त किया जा सकता है। लघु वित्त के साथ स्वयं सहायता समूह (SHG), महिला उद्यमिता और वित्तीय सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में प्रभावी भूमिका निभाते हैं। सूक्ष्म उद्यमशीलता महिला सशक्तीकरण को मज़बूत कर रही है और लैंगिक असमानताओं को दूर कर रही है। इस प्रकार यह सभी क्षेत्रों में प्रगति हासिल करने का माध्यम बन रही है।

    विषय-वस्तु के दूसरे भाग में हम सरकार द्वारा उद्यमिता के जरिये महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने वाले नीतिगत कार्यक्रमों पर चर्चा करेंगे-

    महिलाओं की उद्यमशीलता और आर्थिक भागीदारी के महत्त्व को स्वीकार करते हुए तथा देश के विकास और समृद्धि को संभव बनाने के लिये सरकार विभिन्न कार्यक्रमों के ज़रिये उन्हें समान अवसर प्रदान कर रही है। सरकार ऋण, नेटवर्क, बाज़ार और प्रशिक्षण तक पहुँच प्रदान करके महिलाओं को अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही है।

    • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विकास संगठन उद्यमिता विकास कार्यक्रम चला रहा है जिसका उद्देश्य संभावनाओं से पूर्ण उन महिला उद्यमियों की मदद करना है जिन्हें पर्याप्त शिक्षा या दक्षता हासिल नहीं है।
    • भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) महिलाओं के लिये दो विशेष योजनाएँ ‘महिला उद्यम निधि’ और ‘महिला विकास निधि’ चला रहा है।
    • ‘स्टार्ट-अप इंडिया’ के तहत भारत सरकार स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करते हुए उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रही है।
    • विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में औपचारिक दक्षता प्रशिक्षण सुविधाओं से वंचित महिलाओं के प्रशिक्षण के लिये महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘स्टेप’ कार्यक्रम की शुरुआत की है।
    • 2015 में भारत के वंचित समूहों को संस्थागत ऋण प्रदान करने और महिला उद्यमियों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की आर्थिक भागीदारी बढ़ाने तथा उन तक विकास के लाभ को पहुँचाने के लिये ‘स्टैंड-अप इंडिया’ लाया गया।
    • भारत में वंचित महिला समूहों को ऋण प्रदान करने के लिये ‘व्यापार संबंधी उद्यमिता सहायता और विकास’ (ट्रीड) नामक कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
    • ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ (पीएमकेवीवाई) कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को उद्योग आधारित प्रशिक्षण देना है ताकि उनके लिये आजीविका का सृजन किया जा सके।
    • ‘निष्पक्ष सशक्तीकरण और विकास के लिये विज्ञान’ (सीड) का लक्ष्य विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिकों और कर्मचारियों, खासकर महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक लाभ हेतु विभिन्न परियोजनाओं के लिये अवसर प्रदान करना है।
    • नीति आयोग ने ‘महिला उद्यमिता मंच’ (डब्ल्यूईपी) की शुरुआत की है जिसका उद्देश्य भारत की महिला उद्यमियों के लिये एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना है जिससे वे उद्यमशीलता के लिये विभिन्न संभावनाओं को तलाश सकें।
    • सरकार द्वारा प्रारंभ ‘मुद्रा योजना’ उन महिलाओं को व्यक्तिगत स्तर पर मदद प्रदान करती है जो छोटे व्यवसाय जैसे-ब्यूटी पार्लर, ट्यूशन सेंटर आदि चलाना चाहती हैं।
    • ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ के हिस्से के रूप में भारतीय महिला उद्यमियों के लिये ऑनलाइन बाज़ार प्लेटफार्म ‘महिला ई-हाट’ का शुभारंभ किया गया है।

    निष्कर्ष


    अंत में प्रश्नानुसार संक्षिप्त, संतुलित एवं सारगर्भित निष्कर्ष लिखें-

    महिला उद्यमियों को आर्थिक विकास का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत माना जा रहा है क्योंकि वे स्वयं और दूसरों के लिये रोज़गार का सृजन करती हैं। इसके साथ ही प्रबंधन, संगठन और व्यवसाय से जुड़ी समस्याओं के लिये समाज को समाधान भी प्रदान करती है। परंतु उन्हें भारतीय उद्योग क्षेत्र में बहुत अधिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभ का फायदा उठाने की दिशा की ओर देख रहा है। ऐसे में सशक्त महिलाओं की भूमिका काफी अहम हो जाती है। शिक्षा और सार्थक रोज़गार के ज़रिये महिलाओं की भूमिका को सक्रिय बनाकर राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान लिया जा सकता है।

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