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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    समानुभूति और सहानुभूति में क्या अंतर है? समानुभूति एक सिविल सेवक को हितधारकों की ज़रूरतों और भावनाओं को समझने तथा बेहतर सार्वजनिक सेवा प्रदान करने में कैसे मदद कर सकती है? (150 शब्द)

    19 Oct, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    परिचय:

    समानुभूति दूसरे व्यक्ति की भावनाओं को साझा करने और समझने की क्षमता है, जबकि सहानुभूति किसी के लिये चिंता की भावना और अभिव्यक्ति है, जो अक्सर उनके खुश या बेहतर होने की इच्छा के साथ होती है। समानुभूति में स्वयं को दूसरे व्यक्ति के स्थान पर रखना और कल्पना करना शामिल होता है कि वे कैसा महसूस करते हैं, जबकि सहानुभूति में उनकी भावनाओं को अपने दृष्टिकोण से स्वीकार करना शामिल होता है।

    मुख्य भाग:

    दोनों के मध्य अंतर:

    सहानुभूति 

    समानुभूति 

    विशेषताएँ 

    अवलोकन, प्रतिक्रिया, त्वरितता, मुख्य रूप से भावनात्मक जागरूकता।

    पीड़ा की स्वीकृति, व्यक्ति को समझना, प्रभावशाली प्रतिक्रिया।

    पीड़ा का उत्तर

    स्वीकृति

    स्वीकृति, समझ, और भावनात्मक अनुनाद

    प्रतिक्रिया का प्रकार

    किसी संकटपूर्ण स्थिति पर एक आंतरिक प्रतिक्रिया

    किसी संकटपूर्ण स्थिति में वस्तुनिष्ठ और प्रभावशाली प्रतिक्रिया

    लोक सेवा के संदर्भ में, समानुभूति हितधारकों की ज़रूरतों और भावनाओं को समझने एवं बेहतर लोक सेवा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है:

    • बेहतर समझ: समानुभूति लोक सेवकों को उन लोगों के दृष्टिकोण और अनुभवों को बेहतर ढंग से समझने की अनुमति देती है जिनकी वे सेवा करते हैं। सक्रिय रूप से स्वयं को हितधारकों के स्थान पर रखकर, लोक सेवक समुदाय की चुनौतियों, चिंताओं और आकांक्षाओं के बारे में गहरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
    • बेहतर संप्रेषण: समानुभूतिशील लोक सेवक अधिक प्रभावी संप्रेषक होते हैं। वे अधिक ध्यान से सुन सकते हैं और अपने क्षेत्र के निवासरतों की वास्तविक ज़रूरतों और भावनाओं का पता लगाने के लिये सही प्रश्न पूछ सकते हैं। यह गुण अधिक पारदर्शी व रचनात्मक संवाद को प्रोत्साहित करता है, जिससे विश्वास और सहयोग को बढ़ावा मिलता है।
    • अनुकूल समाधान: उच्च स्तर की समानुभूति के साथ, लोक सेवक अधिक वैयक्तिक और प्रभावी समाधान निकाल सकते हैं। विभिन्न हितधारकों की अलग-अलग परिस्थितियों को सही मायने में समझकर, वे ऐसी नीतियाँ और कार्यक्रम निर्मित कर सकते हैं जो विशिष्ट आवश्यकताओं को संबोधित करते हों तथा सफलता की अधिक संभावना रखते हैं।
    • संघर्ष में कमी: समानुभूति विभिन्न पक्षों की भावनाओं और चिंताओं को स्वीकार करके संभावित संघर्षों तथा विवादों को कम कर सकती है। यह सर्वसम्मति निर्माण एवं संघर्ष समाधान का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, जिससे अधिक सामंजस्यपूर्ण और स्थिर वातावरण तैयार हो सकता है।
    • परिवर्तित आवश्यकताओं के अनुरूप अनुकूलन: तेज़ी से विकसित हो रही दुनिया में, समानुभूति लोक सेवकों को अपने हितधारकों की बदलती ज़रूरतों और भावनाओं के अनुकूल होने की अनुमति देती है। वे यह सुनिश्चित करते हुए उत्तरदायी और प्रासंगिक बने रह सकते हैं कि लोक सेवाएँ सामाजिक विकास के साथ कदम से कदम मिला कर विकसित हों।

    निष्कर्ष

    यद्यपि सहानुभूति देखभाल और चिंता की भावना उत्पन्न कर सकती है, समानुभूति इसे हितधारकों की भावनाओं और ज़रूरतों को गहराई से समझने और उनके साथ जोड़कर एक कदम आगे ले जाती है। समानुभूति का अभ्यास करने वाले लोक सेवक आमजन के साथ अधिक सकारात्मक संबंधों को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे वैयक्तिक और प्रभावी नीतियाँ, बेहतर सेवा वितरण एवं एक मज़बूत, अधिक समावेशी समाज का निर्माण हो सकता है।

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