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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था लागू होने से कराधान संरचना में आमूल-चूल परिवर्तन आया है, लेकिन कुछ विसंगतियों के कारण इसकी प्रभावशीलता कम हो गई है। चर्चा कीजिये (250 शब्द)

    18 Oct, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • वस्तु एवं सेवा कर (GST) व्यवस्था का एक संक्षिप्त विवरण देते हुए प्रारंभ कीजिये।
    • कराधान प्रणाली में सुधार में GST संरचना की भूमिका और महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
    • GST व्यवस्था की कमियों को देखते हुए इसमें और कैसे सुधार किया जा सकता है? स्पष्ट कीजिये।
    • आप GST व्यवस्था के प्रमुख कारकों के साथ इसकी विभिन्न आर्थिक संभावनाओं को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    वस्तु एवं सेवा कर (GST) को भारत की कर प्रणाली में बदलाव लाने वाला एक ऐतिहासिक परिवर्तन घोषित करते हुए लागू किया गया। GST, एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है, जिसका उद्देश्य इसके कार्यान्वयन का आधार पहले से मौजूद असंबद्ध और जटिल कर प्रणाली को सुव्यवस्थित करना था। इसके लिये एक संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता थी, जिसको "एक राष्ट्र, एक कर" के विचार को बढ़ावा देने वाले 101वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 2016 के माध्यम से लागू किया गया था।

    संरचना:

    GST व्यवस्था के लाभ तथा महत्त्व:

    • सरलीकरण एवं एकीकरण: GST, कई अप्रत्यक्ष करों जैसे उत्पाद शुल्क, सेवा कर, वैट के साथ अन्य करों को एकल व्यापक कर से बदल दिया गया। इस कदम के माध्यम से कर संरचना को सरल बना दिया गया, जिससे व्यवसायों के लिये अनुपालन करना आसान हो गया साथ ही कर चोरी भी कम हुई है।
    • व्यवसायिक सुगमता को प्रोत्साहन: एक सरलीकृत कर प्रणाली का उद्देश्य व्यापार करने की सुगमता में सुधार करना, निवेश को प्रोत्साहित करना एवं आर्थिक विकास को बढ़ावा देना था।
    • अनुपालन में डिजिटलीकरण: पिछली व्यवस्था की तुलना में, सरकार का कर अनुपालन का स्वचालन एक बड़ी सफलता रही है, साथ ही प्रभावी ढंग से संचालित हुई है। GST के तहत सभी अनुपालनों के लिये 'वन-स्टॉप-शॉप' पोर्टल अर्थात जीएसटी नेटवर्क (GSTN) की शुरुआत के कारण यह संभव हो पाया है।
    • प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग: इसके पश्चात, GSTN द्वारा नीति निर्धारण को बढ़ाने, धोखाधड़ी का पता लगाने के साथ अनुपालन में सुधार के लिये उपलब्ध डेटा और प्रौद्योगिकी का लाभ प्राप्त करने के लिये एक बिजनेस इंटेलिजेंस एंड फ्रॉड एनालिटिक्स (BIFA) इकाई की स्थापना की।
    • सहकारी संघवाद: GST शासन का एक अनिवार्य घटक है साथ ही इसकी सर्वसम्मति-आधारित राजकोषीय संघीय संरचना है, जिसका उदाहरण GST परिषद द्वारा दिया गया है। केंद्र और राज्य सरकारें महत्त्वपूर्ण कानूनी मुद्दों पर एक साथ काम कर रही हैं।
    • कर आधार का विस्तार: सामान्य तौर पर, GST ने उपभोक्ताओं पर समग्र अप्रत्यक्ष कर का बोझ कम कर करने के साथ ही भारतीय उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में अधिक प्रतिस्पर्धी बना दिया है। कर आधार में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व संग्रह में वृद्धि भी हुई है।
    • GST कर के व्यापक प्रभाव को समाप्त करता है: GST, एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है जिसे अप्रत्यक्ष कराधान को एक छतरी के नीचे लाने के लिये डिज़ाइन किया गया था। इससे भी अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह कर के व्यापक प्रभाव को समाप्त करने जा रहा है जो पहले स्पष्ट था। व्यापक कर प्रभावों को 'टैक्स पर टैक्स' के रूप में सबसे अच्छी तरह वर्णित किया जा सकता है।

    GST कार्यान्वयन में चुनौतियाँ एवं कठिनाइयाँ:

    • अनेक टैक्स स्लैब: GST व्यवस्था में सबसे महत्त्वपूर्ण चुनौतियों में से एक कई टैक्स स्लैब की उपस्थिति है। GST में पाँच टैक्स स्लैब हैं - 0%, 5%, 12%, 18% एवं 28%।
      • इस बहुलता ने व्यवस्था को जटिल बना दिया है और वर्गीकरण विवादों को जन्म दिया है, क्योंकि उत्पादों एवं सेवाओं को इन स्लैबों में से एक के तहत वर्गीकृत करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, इसके परिणामस्वरूप व्यवसायों के लिये भ्रम और अनुपालन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
    • अनुपालन का बोझ: GST अनुपालन में विभिन्न रिटर्न दाखिल करना तथा विभिन्न नियमों एवं विनियमों का पालन करना शामिल है।
      • इससे छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs) के लिये अनुपालन बोझ बढ़ गया है, जिससे नई कर व्यवस्था को अपनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है। नियमित फाइलिंग की आवश्यकता के साथ डिजिटल इंटरफेस प्राय: छोटे व्यवसायों के लिये कठिनाइयों का कारण बनते हैं।
    • तकनीकी मुद्दे: GST व्यवस्था के आईटी फाउंडेशन, जीएसटी नेटवर्क (GSTN) ने सर्वर आउटेज के साथ अन्य तकनीकी समस्याओं का अनुभव किया है, जिससे करदाताओं की रिटर्न दाखिल करने एवं कानूनी आवश्यकताओं का पालन करने की क्षमता बाधित हुई है। इससे न केवल देरी होती है, बल्कि व्यवसायों में निराशा भी बढ़ती है।
    • इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) विसंगतियाँ: इनपुट-टू-आउटपुट (ITC) तंत्र के साथ समाधान समस्याओं की सूचना प्रदान की गई, जो उद्यमों को उनकी आउटपुट देनदारियों से इनपुट करों में कटौती करने की सुविधा भी प्रदान करता है। ITC के दावों में विसंगतियों के कारण व्यवसायों एवं कर अधिकारियों के बीच विवाद उत्पन्न हो गया है, जिससे व्यवसायों पर बोझ अधिक हो गया है।
    • चोरी एवं धोखाधड़ी: हालाँकि GST के लागू होने से कर चोरी में कमी आने का अनुमान था, लेकिन ऐसा पूरी तरह से नहीं हुआ है। व्यवस्था की जटिलता तथा इसकी कई कमियों के कारण, कुछ व्यवसाय कर धोखाधड़ी और चोरी करते रहते हैं।
    • मुनाफाखोरी विरोधी उपाय: यह सुनिश्चित करने के लिये कि कंपनियाँ ग्राहकों को कम कर दरों का लाभ प्रदान करते हुए मुनाफाखोरी विरोधी कानून प्रस्तुत किये गए। हालाँकि, इन उपायों के कार्यान्वयन की जटिलता और संघर्ष भड़काने के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा है।
    • अंतरराज्यीय लेन-देन मुद्दे: कई राज्य कर प्राधिकरणों तथा अनुपालन आवश्यकताओं से निपटने वाली कंपनियों ने अंतरराज्यीय लेनदेन में संलग्न होने पर चुनौतियों की सूचना दी है। केंद्र और राज्य कर अधिकारियों के बीच दोहरे नियंत्रण का मुद्दा इस मामले को और भी अधिक जटिल बनाता है।
    • अनौपचारिक क्षेत्र पर प्रभाव: अनौपचारिक क्षेत्र, जो भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्त्वपूर्ण भाग है, GST द्वारा लाए गए औपचारिकीकरण से प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है। इस क्षेत्र के कई छोटे व्यवसायों को नई कर प्रणाली को अपनाने के लिये संघर्ष करना पड़ा है।

    निष्कर्ष:

    भारत में वस्तु एवं सेवा कर की शुरूआत निश्चित रूप से कर सुधार में एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर थी। हालाँकि, इसकी प्रभावशीलता कई कर स्लैब, अनुपालन बोझ, प्रौद्योगिकी मुद्दों एवं कर चोरी सहित कई विसंगतियों और चुनौतियों से प्रभावित हुई है। इन मुद्दों के बावजूद, GST भारत की कराधान संरचना में एक परिवर्तनकारी बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है साथ ही इसमें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के साथ कर व्यवस्था को और अधिक सरल बनाने की क्षमता है। भारत में GST की निरंतर सफलता के लिये इन चुनौतियों का समाधान करना एवं कर अनुपालन की संस्कृति को बढ़ावा देना आवश्यक होगा।

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