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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    18वीं और 19वीं शताब्दी में यूरोप के औद्योगीकरण में योगदान देने वाले कारकों पर चर्चा कीजिये। इस अवधि के दौरान औद्योगीकरण ने यूरोपीय समाज को किस प्रकार प्रभावित किया? (250 शब्द)

    09 Oct, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान यूरोप में हुई औद्योगिक क्रांति का संक्षिप्त विवरण देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • उन प्रमुख कारकों पर चर्चा कीजिये जिन्होंने यूरोप में औद्योगीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
    • बताइये कि 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान औद्योगीकरण ने यूरोपीय समाज के विभिन्न पहलुओं को किस प्रकार प्रभावित किया था।
    • यूरोपीय औद्योगीकरण के प्रमुख कारकों और आधुनिक समाज तथा वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभावों को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    औद्योगीकरण का आशय अर्थव्यवस्था को कृषि से विनिर्माण क्षेत्र में बदलने की प्रक्रिया है। इसमें वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिये मशीनों, कारखानों और ऊर्जा के नए स्रोतों का उपयोग करना शामिल है।

    18वीं और 19वीं शताब्दी में यूरोप का औद्योगीकरण एक परिवर्तनकारी एवं जटिल प्रक्रिया थी जिसका यूरोपीय समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

    मुख्य भाग:

    इस बदलाव में कई प्रमुख कारकों का योगदान है:

    • तकनीकी प्रगति: 17वीं सदी की वैज्ञानिक क्रांति से भाप इंजन, स्पिनिंग जेनी, पावरलूम जैसे महत्त्वपूर्ण आविष्कार हुए थे जिससे औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा मिलने के साथ औद्योगिक क्रांति के लिये मंच तैयार हुआ।
    • संसाधनों तक पहुँच: कोयला, लौह अयस्क और जलमार्ग जैसे यूरोप के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों ने मशीनरी हेतु कच्चे माल और ऊर्जा की आपूर्ति में सहायता करके औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया, जिससे कोयला खनन एवं इस्पात उत्पादन जैसे उद्योगों की संवृद्धि संभव हुई।
    • पूंजी और निवेश: औपनिवेशिक व्यापार और बैंकिंग प्रणालियों के माध्यम से उद्यमों के वित्तपोषण में महत्त्वपूर्ण सहायता मिली थी। धनी निवेशकों द्वारा कारखानों, रेलवे और बुनियादी ढाँचे का समर्थन किया गया, जिससे आर्थिक विस्तार हुआ।
    • शहरीकरण: औद्योगिक शहरों के विकास से ग्रामीण लोग कारखाने की ओर नौकरियों की तलाश हेतु आकर्षित हुए, जिससे शहरीकरण को बढ़ावा मिलने के साथ एक नया औद्योगिक कार्यबल तैयार हुआ।
    • परिवहन नेटवर्क: व्यापक परिवहन नेटवर्क (नहरें, रेलवे, बेहतर सड़कें) के विकास से व्यापार और संचार को बढ़ावा मिला, जिससे विनिर्माताओं को व्यापक बाजारों तक पहुँच प्राप्त हुई।
    • विधिक और राजनीतिक कारक: ब्रिटेन जैसे कुछ यूरोपीय देशों में एक स्थिर विधिक ढाँचा था जिससे संपत्ति के अधिकारों की रक्षा होने के साथ नवाचार को प्रोत्साहन मिला था। इसके अतिरिक्त यूरोप के कई हिस्सों में राजनीतिक स्थिरता से औद्योगिक विकास के लिये अनुकूल वातावरण मिला।
    • उद्यमिता और नवाचार: उद्यमियों और अन्वेषकों ने औद्योगीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जेम्स वाट, जॉर्ज स्टीफेंसन और रिचर्ड आर्कराइट जैसे व्यक्तियों ने औद्योगिक प्रौद्योगिकी और प्रक्रियाओं में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।

    इस अवधि के दौरान यूरोपीय समाज पर गहन एवं बहुआयामी प्रभाव पड़ा था जैसे:

    • आर्थिक परिवर्तन: औद्योगीकरण से आर्थिक विकास को गति मिली, नए उद्योगों, बाजारों एवं नौकरियों का सृजन हुआ, कृषि अर्थव्यवस्थाओं का औद्योगिक एवं पूंजीवादी अर्थव्यवस्थाओं में परिवर्तन हुआ तथा बड़े पैमाने पर उत्पादन को बल मिला।
    • सामाजिक स्तरीकरण: औद्योगीकरण के कारण सामाजिक स्तर पर वर्ग असमानताएँ विकसित हुईं, उद्योगपति और पूंजीपति समृद्ध हुए जबकि श्रमिक वर्ग को खराब परिस्थितियों के साथ कम वेतन पर कार्य करना पड़ा।
    • तकनीकी प्रगति: तकनीकी नवाचार से जीवन स्तर में सुधार हुआ, लोगों की वस्तुओं तक पहुँच में वृद्धि हुई तथा कृषि एवं परिवहन दक्षता में सुधार हुआ।
    • जनसांख्यिकीय बदलाव: स्वास्थ्य सेवा में सुधार होने के साथ शहरों में रहने की स्थिति बेहतर होती गई। 19वीं सदी के दौरान यूरोप में तीव्र जनसंख्या वृद्धि हुई थी। इस जनसांख्यिकीय बदलाव ने औद्योगिक विकास तथा शहरीकरण को और बढ़ावा दिया था।
    • सांस्कृतिक और बौद्धिक परिवर्तन: औद्योगीकरण का सांस्कृतिक और बौद्धिक स्तर पर भी प्रभाव पड़ा था। इस दौरान समाजवाद और मार्क्सवाद सहित नए दर्शन एवं विचारधाराओं का उदय हुआ, जिनके द्वारा औद्योगिक पूंजीवाद से जुड़ी असमानताओं एवं सामाजिक अन्याय की आलोचना की गई थी।
    • राजनीतिक परिवर्तन: राजनीतिक परिवर्तन और लोकतांत्रीकरण से राजशाही एवं अभिजात वर्ग की पुरानी व्यवस्था को चुनौती मिली। इसने उदारवाद, राष्ट्रवाद, समाजवाद, नारीवाद और साम्राज्यवाद जैसी नई विचारधाराओं को भी प्रेरित किया।

    निष्कर्ष:

    18वीं और 19वीं शताब्दी में यूरोप का औद्योगीकरण तकनीकी, आर्थिक एवं सामाजिक कारकों से प्रेरित एक बहुआयामी प्रक्रिया थी। इससे आर्थिक समृद्धि और तकनीकी प्रगति तो हुई लेकिन इससे शहरीकरण, सामाजिक स्तरीकरण और श्रमिक आंदोलनों के उदय सहित कई सामाजिक परिवर्तन भी देखे गए। औद्योगीकरण के इस दौर के प्रभाव आज भी आधुनिक यूरोपीय समाज एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था को आकार देने में भूमिका निभा रहे हैं।

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