"ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड" (GLOF) से आप क्या समझते हैं? हिमालय क्षेत्र में GLOF के कारणों और परिणामों की चर्चा कीजिये? (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- GLOF का संक्षिप्त परिचय देते हुए एवं हिमालय क्षेत्र में इसकी प्रासंगिकता को संक्षेप में बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- हिमालय क्षेत्र में GLOF के विशिष्ट कारणों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इसकी अद्वितीय भूवैज्ञानिक एवं जलवायु विशेषताओं पर चर्चा कीजिये।
- GLOFs के विभिन्न परिणामों का वर्णन कीजिये।
- हिमालय में GLOF संबंधी जोखिमों को हल करने की तात्कालिकता एवं जलवायु परिवर्तन शमन से संबंधित व्यापक निहितार्थों पर बल देते हुए निष्कर्ष दीजिये।
|
परिचय:
ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) एक विनाशकारी घटना है जो तब होती है जब ग्लेशियर के विघटन से किसी ग्लेशियल झील में अचानक से जल का प्रवाह होता है। इससे तीव्र एवं बड़े पैमाने पर बाढ़ आ सकती है, जिससे मानव बस्तियों, बुनियादी ढाँचे और पर्यावरण के लिये खतरा पैदा हो सकता है। अपनी जटिल स्थलाकृति, असंख्य ग्लेशियरों और संवेदनशील समुदायों के कारण हिमालय क्षेत्र में GLOF एक चिंताजनक घटना है।
मुख्य भाग:
हिमालय क्षेत्र में GLOF के कारण:
- ग्लेशियरों का संकुचन: GLOF के प्राथमिक कारणों में से एक ग्लेशियरों का पिघलना और संकुचन होना है। जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, हिमालय के ग्लेशियर चिंताजनक दर से घट रहे हैं। यह कमी हिमनद झीलों में जल प्रवाह को बढ़ावा दे सकती है, जिससे GLOF की संभावना बढ़ सकती है।
- ग्लेशियर झील का निर्माण: हिमनद झीलें तब बनती हैं जब पिघला हुआ जल हिमनदों के मोरेन, बर्फ के बाँधों या अन्य प्राकृतिक स्थलों में जमा हो जाता है। जैसे-जैसे इन झीलों में जल की मात्रा बढ़ती है, वे GLOF के प्रति अधिक अस्थिर और संवेदनशील हो जाती हैं।
- भूकंप: हिमालय क्षेत्र भूकंपीय रूप से सक्रिय है जिससे हिमनद बाँध टूटने की संभावना बनी रहती है या भूस्खलन हो सकता है, जिससे हिमनद झीलों से अचानक जल प्रवाह हो सकता है।
- भूस्खलन: भूस्खलन (जो अक्सर भारी वर्षा या भूकंप के कारण होता है) से हिमनद झीलों में बड़ी मात्रा में मलबा आ सकता है जिससे जल विस्थापित होने से यह GLOF का कारण बन सकता है।
हिमालय क्षेत्र में GLOF के परिणाम:
- जन-धन की हानि: GLOF के परिणामस्वरूप मानव जीवन की हानि, बुनियादी ढाँचे का विनाश और कृषि भूमि को नुकसान हो सकता है।
- बुनियादी ढाँचे को नुकसान: GLOF के दौरान सड़कें, पुल, जलविद्युत संयंत्र एवं अन्य महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे क्षतिग्रस्त या नष्ट हो सकते हैं, जिससे आवश्यक सेवाओं के साथ परिवहन बाधित हो सकता है।
- पारिस्थितिकी प्रभाव: GLOF का स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है, जिसमें वनस्पति और आवासों का विनाश, नदियों और नालों का अवसादन तथा जल निकायों का प्रदूषण शामिल है।
- आजीविका के लिये खतरा: हिमालयी क्षेत्र में कई समुदाय कृषि और पशुपालन पर निर्भर हैं। GLOF से कृषि क्षेत्रों को नुकसान होने एवं पशुधन को खतरा होने से लोगों की आजीविका बाधित होने के साथ खाद्य असुरक्षा पैदा हो सकती है।
- डाउनस्ट्रीम बाढ़: GLOFs से व्यापक मात्रा में जल का प्रवाह होने से डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में बाढ़ आ सकती है, जिससे बाढ़ के स्रोत से दूर स्थित समुदाय प्रभावित हो सकते हैं।
निष्कर्ष:
प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियाँ, खतरे वाले क्षेत्रों का मानचित्रण और सुरक्षित क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास उन रणनीतियों में शामिल हैं जिन्हें इन संभावित विनाशकारी घटनाओं के प्रभाव को कम करने के लिये लागू किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जलवायु परिवर्तन की समस्या को हल करना एवं ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के साथ ग्लेशियर संकुचन की गति को धीमा करना, हिमालय में GLOF के दीर्घकालिक जोखिमों को कम करने हेतु महत्त्वपूर्ण है।